जयपुर. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से वर्ष 2023 की आखिरी लोक अदालत शनिवार को आयोजित की गई. लोक अदालत में कुल 49 लाख 71 हजार 103 मुकदमों का निस्तारण किया गया. वहीं 11 अरब 94 करोड़ 43 लाख 24 हजार 511 रुपए के अवार्ड जारी किए गए.
लोक अदालत का शुभारंभ करते हुए एक्टिंग सीजे और प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि लोक अदालत के जरिए मुकदमों का निस्तारण होने से न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों पर काम का बोझ कम होता है. ऐसे में लोक अदालत नियमित अदालतों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं. वहीं लोक अदालत के माध्यम से मुकदमों का प्री-लिटिगेशन के स्तर पर निस्तारण किया कर दिया जाता है. जिससे आगे चलकर ऐसे मामले मुकदमों के रूप में नहीं बदलते हैं. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव प्रमिल कुमार माथुर ने बताया कि लोक अदालत में मुकदमों के निस्तारण के लिए 505 बेंच का गठन किया गया था. जिसमें लाखों मुकदमों को सूचीबद्ध किया गया. लोक अदालत में राजीनामा योग्य फौजदारी प्रकरण, चेक अनादरण प्रकरण, धन वसूली, मोटर दुर्घटना मामले, लेबर विवाद, भूमि अधिग्रहण और राजस्व मामले सहित अन्य मामले रखे गए हैं.
सदस्य सचिव ने बताया कि लोक अदालत में दोनों पक्षों की आपसी सहमति से मुकदमें का निस्तारण किया जाता है. जिसमें तो किसी पक्षकार की हार होती है और ना ही किसी पक्षकार की जीत होती है. ऐसे में प्रकरण का निस्तारण भी हो जाता है और दोनों दोनों ही पक्षकार अपने आप को जीता हुआ महसूस करते हैं. वहीं दोनों पक्षों की सहमति से मुकदमे का निस्तारण होने की चलते दिए गए फैसले की अपीलीय अदालत में अपील भी नहीं की जाती. उन्होंने बताया कि इस साल की यह साल की चौथी लोक अदालत है. गत 9 सितंबर को आयोजित तीसरी लोक अदालत में करीब 47 लाख मुकदमों का निस्तारण होने के साथ-साथ 12.63 अरब रुपए से अधिक की अवार्ड राशि जारी की गई थी.