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जयपुर : अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्मारक और संग्रहालय हुए रोशन

अंगदान को महादान माना जाता है. किसी के दान किए हुए अंग से इंसान को नया जीवन मिलता है. अंगदान को बढ़ावा देने के लिए राजधानी जयपुर के सभी स्मारक एवं संग्रहालयों को हरी रोशनी से रोशन किया गया है.

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अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्मारक और संग्रहालय हुए रोशन
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Published : Nov 27, 2020, 10:41 PM IST

जयपुर. जयपुर के आमेर महल, अल्बर्ट हॉल, हवा महल, ईश्वरलाट, नाहरगढ़ फोर्ट समेत सभी स्मारकों पर हरी रोशनी की गई है. आमेर महल समेत सभी स्मारकों पर की गई हरी रोशनी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही. लोगों ने हरी रोशनी से जगमगाते पर्यटक स्थलों को अपने कैमरों में कैद किया. लोगों को अनुदान के प्रति जागरूक करने के लिए स्मारकों को हरी रोशनी से रोशन किया गया है.

पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के डायरेक्टर प्रकाश चंद शर्मा ने लोगों को अंगदान के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राजकीय स्मारकों और संग्रहालयों को हरे रंग की रोशनी से रोशन करने के निर्देश जारी किए थे. स्मारकों पर लाइटों पर हरे रंग की पन्नी लगाकर थीम को ग्रीन रखा गया है. एक अंगदाता 50 लोगों के जीवन को बचा सकता. अंगदान की कोई आयु सीमा नहीं है. 70 साल से भी ज्यादा उम्र के लोग भी अंग दान कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: RUHS अस्पताल में मौत का मामला : दावे कुछ और हकीकत कुछ और...सुनिये परिजनों ने क्या कहा

कोई भी अंगदाता नेत्रदान कर के किसी भी नेत्रहीन को जिंदगी में रोशनी दे सकता है. इसके अलावा फेफड़े, गुर्दे, छोटे अंग, दिल समेत अन्य अंग भी दान किए जा सकते हैं. इन अंगों को प्रत्यारोपण के उद्देश्य के लिए दान किया जाता है. कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें अंगदाता जीवित रहकर भी दान कर सकता है और कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें केवल तब ही प्रत्यारोपित किया जा सकता है, जब अंगदाता की मौत हो जाती है.

जयपुर. जयपुर के आमेर महल, अल्बर्ट हॉल, हवा महल, ईश्वरलाट, नाहरगढ़ फोर्ट समेत सभी स्मारकों पर हरी रोशनी की गई है. आमेर महल समेत सभी स्मारकों पर की गई हरी रोशनी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही. लोगों ने हरी रोशनी से जगमगाते पर्यटक स्थलों को अपने कैमरों में कैद किया. लोगों को अनुदान के प्रति जागरूक करने के लिए स्मारकों को हरी रोशनी से रोशन किया गया है.

पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के डायरेक्टर प्रकाश चंद शर्मा ने लोगों को अंगदान के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राजकीय स्मारकों और संग्रहालयों को हरे रंग की रोशनी से रोशन करने के निर्देश जारी किए थे. स्मारकों पर लाइटों पर हरे रंग की पन्नी लगाकर थीम को ग्रीन रखा गया है. एक अंगदाता 50 लोगों के जीवन को बचा सकता. अंगदान की कोई आयु सीमा नहीं है. 70 साल से भी ज्यादा उम्र के लोग भी अंग दान कर सकते हैं.

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कोई भी अंगदाता नेत्रदान कर के किसी भी नेत्रहीन को जिंदगी में रोशनी दे सकता है. इसके अलावा फेफड़े, गुर्दे, छोटे अंग, दिल समेत अन्य अंग भी दान किए जा सकते हैं. इन अंगों को प्रत्यारोपण के उद्देश्य के लिए दान किया जाता है. कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें अंगदाता जीवित रहकर भी दान कर सकता है और कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें केवल तब ही प्रत्यारोपित किया जा सकता है, जब अंगदाता की मौत हो जाती है.

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