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SPECIAL: लॉकडाउन की मार से चौपट मोगरे की फसल, किसानों को मदद की आस - crop of mogra in jaipur

गर्मी शुरू होने के साथ ही किसानों को लगा था कि मोगरे की फसल बेचकर इस साल अच्छी आमदनी कमाएंगे. लेकिन फसल तैयार होते ही लॉकडाउन लग गया और मोगरे की फसल खेतों में ही सूख रही है. फसल की लागत भी नहीं निकल पाने की वजह से किसान परेशान हैं. कुछ किसान कर्ज में डूब चुके हैं तो कुछ किसानों के सामने अब रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया हैं.

Mogra crop, मोगरा की फसल
मोगरा की फसल खराब होने से किसान परेशान
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Published : Jun 2, 2020, 10:25 PM IST

जयपुर. जिस मोगरे की खुशबू हर मंदिर परिसर और शादियों की शान बनती है, वो मोगरा इस बार खेतों में ही सड़ रहा है. 22 मार्च से लॉकडाउन लगने के बाद से प्रदेश के सभी धार्मिक स्थल बंद हैं तो वहीं शादियों के बड़े समारोह भी नहीं हो पा रहे हैं. मोगरे के फूल खेतों से निकलकर मंडियों तक भी नहीं पहुंच पा रहे हैं और ये खेतों में ही सूख रहे हैं. राजधानी जयपुर के जयसिंहपुरा खोर इलाके के किसान साल भर मोगरा के फूलों को ही बेचकर अपना गुजर-बसर करते हैं. लेकिन इस बार बिक्री नहीं होने से किसान निराश हैं.

मोगरा की फसल खराब होने से किसान परेशान

किसानों ने मोगरे की पैदावार के लिए 50 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक की अपनी सारी जमा पूंजी लगाई थी. देखभाल रख-रखाव के बाद जब आमदनी का समय आया तो लॉकडाउन ने इन किसानों को रोने पर मजबूर कर दिया. ईटीवी भारत जब किसानों के पास पहुंचा तो किसान अपना दर्द बयां करते हुए रोने लगे.

किसान बाबूलाल सैनी और गणेश बताते हैं कि पूरे साल भर में 5 महीने के लिए मोगरा का सीजन चलता है. मोगरे की खेती से इन 5 महीनों में होने वाली कमाई से ही किसान पूरे साल भर अपना अपने परिवार का खर्च चलते हैं.

Mogra crop, मोगरा की फसल
मोगरे के फूल

मोगरा को राईबेल नाम से भी जानते हैं

आपको बता दें कि मोगरे को राईबेल के नाम से भी जाना जाता है. मोगरे के फूल केवल गर्मी के मौसम में ही आते हैं. किसान पूरे साल मोगरा की खेती का पालन पोषण करते हैं. अप्रैल महीने से मोगरा में फूल आने शुरू होते हैं और अगस्त महीने तक मोगरे के फूलों की खेती चलती है. इस साल खेतों में मोगरा के फूल आना तो शुरू हुए लेकिन कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन होने से मंडियों और बाजारों तक नहीं पहुंच पाए.

Mogra crop, मोगरा की फसल
मोगरे की फसल

किसानों को लागत भी नहीं मिली

लॉकडाउन की वजह से सभी धार्मिक स्थल, शादी समारोह और फूल मंडियां बंद होने की वजह से मोगरा के फूल खेतों में ही खराब हो रहे हैं. जिस फसल के लिए किसानों ने अपनी पूरी पूंजी लगा दी वहीं फसल आंखों के सामने सूख रही है. किसानों का कहना है कि उनकी लागत भी नहीं निकल पाई है ऐसे में अब उनके सामने अपना और परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है.

कैसे तैयार होता है मोगरा?

सर्दी के मौसम में किसान मोगरे की फसल में खाद डालकर उसकी कटाई छटाई करके कड़ी मेहनत से तैयार करते हैं. फसल को लेकर किसान पूरे साल भर से गर्मी के सीजन शुरू होने की उम्मीद करते हैं. गर्मी शुरू होने ही मोगरे के फूल बाजार और मंडियों में पहुंचने लगते हैं. किसानों की आमदनी होती है और इसी आमदनी से ये किसान परिवार अगले साल फसल उगाने की तैयारी करना शुरू कर देते हैं.

ये भी पढ़ें: SPECIAL: सरहदी गांवों में भीषण गर्मी के साथ पानी की किल्लत से आमजन बेहाल

गुलाब से भी ज्यादा महंगा है मोगरा का फूल

बाजारों में मोगरा का फूल गुलाब के फूल से भी ज्यादा महंगा बिकता है. जहां गुलाब के फूल लगभग 50 रुपए किलो के हिसाब से बिकते हैं तो वहीं मोगरा के फूल 200 से 300 रुपए प्रति किलो रुपए की कीमत से बिकते हैं. किसानों का कहना है कि इस बार टिड्डी ने भी फसल को काफी बर्बाद किया है. बड़ी मुश्किल से हमने फसल तैयार की थी लेकिन कोरोना वायरस की वजह से सब बर्बाद हो गई.

किसानों का कहना है कि वो अब कर्ज में डूब गए हैं, हमारे सामने अपने परिवार को पालने का भी संकट है. अब एक ही सहारा है कि सरकार हमारी मदद करे, ताकि हम अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें और अगले साल मोगरा की फसल तैयार करने की तैयारी भी कर सकें.

जयपुर. जिस मोगरे की खुशबू हर मंदिर परिसर और शादियों की शान बनती है, वो मोगरा इस बार खेतों में ही सड़ रहा है. 22 मार्च से लॉकडाउन लगने के बाद से प्रदेश के सभी धार्मिक स्थल बंद हैं तो वहीं शादियों के बड़े समारोह भी नहीं हो पा रहे हैं. मोगरे के फूल खेतों से निकलकर मंडियों तक भी नहीं पहुंच पा रहे हैं और ये खेतों में ही सूख रहे हैं. राजधानी जयपुर के जयसिंहपुरा खोर इलाके के किसान साल भर मोगरा के फूलों को ही बेचकर अपना गुजर-बसर करते हैं. लेकिन इस बार बिक्री नहीं होने से किसान निराश हैं.

मोगरा की फसल खराब होने से किसान परेशान

किसानों ने मोगरे की पैदावार के लिए 50 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक की अपनी सारी जमा पूंजी लगाई थी. देखभाल रख-रखाव के बाद जब आमदनी का समय आया तो लॉकडाउन ने इन किसानों को रोने पर मजबूर कर दिया. ईटीवी भारत जब किसानों के पास पहुंचा तो किसान अपना दर्द बयां करते हुए रोने लगे.

किसान बाबूलाल सैनी और गणेश बताते हैं कि पूरे साल भर में 5 महीने के लिए मोगरा का सीजन चलता है. मोगरे की खेती से इन 5 महीनों में होने वाली कमाई से ही किसान पूरे साल भर अपना अपने परिवार का खर्च चलते हैं.

Mogra crop, मोगरा की फसल
मोगरे के फूल

मोगरा को राईबेल नाम से भी जानते हैं

आपको बता दें कि मोगरे को राईबेल के नाम से भी जाना जाता है. मोगरे के फूल केवल गर्मी के मौसम में ही आते हैं. किसान पूरे साल मोगरा की खेती का पालन पोषण करते हैं. अप्रैल महीने से मोगरा में फूल आने शुरू होते हैं और अगस्त महीने तक मोगरे के फूलों की खेती चलती है. इस साल खेतों में मोगरा के फूल आना तो शुरू हुए लेकिन कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन होने से मंडियों और बाजारों तक नहीं पहुंच पाए.

Mogra crop, मोगरा की फसल
मोगरे की फसल

किसानों को लागत भी नहीं मिली

लॉकडाउन की वजह से सभी धार्मिक स्थल, शादी समारोह और फूल मंडियां बंद होने की वजह से मोगरा के फूल खेतों में ही खराब हो रहे हैं. जिस फसल के लिए किसानों ने अपनी पूरी पूंजी लगा दी वहीं फसल आंखों के सामने सूख रही है. किसानों का कहना है कि उनकी लागत भी नहीं निकल पाई है ऐसे में अब उनके सामने अपना और परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है.

कैसे तैयार होता है मोगरा?

सर्दी के मौसम में किसान मोगरे की फसल में खाद डालकर उसकी कटाई छटाई करके कड़ी मेहनत से तैयार करते हैं. फसल को लेकर किसान पूरे साल भर से गर्मी के सीजन शुरू होने की उम्मीद करते हैं. गर्मी शुरू होने ही मोगरे के फूल बाजार और मंडियों में पहुंचने लगते हैं. किसानों की आमदनी होती है और इसी आमदनी से ये किसान परिवार अगले साल फसल उगाने की तैयारी करना शुरू कर देते हैं.

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गुलाब से भी ज्यादा महंगा है मोगरा का फूल

बाजारों में मोगरा का फूल गुलाब के फूल से भी ज्यादा महंगा बिकता है. जहां गुलाब के फूल लगभग 50 रुपए किलो के हिसाब से बिकते हैं तो वहीं मोगरा के फूल 200 से 300 रुपए प्रति किलो रुपए की कीमत से बिकते हैं. किसानों का कहना है कि इस बार टिड्डी ने भी फसल को काफी बर्बाद किया है. बड़ी मुश्किल से हमने फसल तैयार की थी लेकिन कोरोना वायरस की वजह से सब बर्बाद हो गई.

किसानों का कहना है कि वो अब कर्ज में डूब गए हैं, हमारे सामने अपने परिवार को पालने का भी संकट है. अब एक ही सहारा है कि सरकार हमारी मदद करे, ताकि हम अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें और अगले साल मोगरा की फसल तैयार करने की तैयारी भी कर सकें.

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