जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर कांग्रेस का हाई वोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामा (Rajasthan political crisis) चल रहा है. एक तरफ गहलोत समर्थकों ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का खुले रूप से विरोध कर दिया है. साथ ही 76 विधायकों ने अपना इस्तीफा भी विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया है. वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कट्टर समर्थक माने जाने वाले बसपा से कांग्रेस में आने वाले विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने इस पूरे घटनाक्रम को घोर अनुशासनहीनता का बताया. उन्होंने कहा कि यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक महेश जोशी और उप सचेतक महेंद्र चौधरी ने जो किया वह आलाकमान को आंख दिखाने का काम है. इतना ही नही गुढ़ा ने कहा कि जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है.
धारीवाल ने की अनुशासनहीनता- गहलोत सरकार में मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि हमने कांग्रेस की अल्पमत सरकार को अपना समर्थन जनता हित को देखते हुए दिया था, ताकि राजस्थान में स्थाई और मजबूत सरकार बने. बाद में हमने जनता के व्यापक हित को देखते हुए पार्टी का मर्ज किया, लेकिन अब जिस तरीके से यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव पर जो किया वो ठीक नहीं. धारीवाल कांग्रेस के नाम पर दुआएं देते थे. धारीवाल ही नहीं, महेश जोशी, उपमुख्य सचेतक जो आलाकमान के प्रति निष्ठा रखते थे उन्होंने आज उन्ही को आंख दिखा दी है. जिस तरीके से अलग-अलग जगह मीटिंग बुला रहे हैं यह घोर अनुशासनहीनता है.
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कांग्रेस का टिकट नहीं हो तो सरपंच भी नहीं बने- गुढ़ा ने कहा कि आज तो ये लोग आलाकमान को भी नही मान रहे हैं. लेकिन कांग्रेस का टिकट नहीं होता तो कोई भी एमएलए तो क्या सरपंच तक नहीं बन सकते थे. कांग्रेस सोनिया गांधी के नाम पर चलती है. कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का नाम है. यह लोग आज उनके खिलाफ उनको आंख दिखा रहे हैं, जो घोर अन्याय और अनुशासनहीनता है.
90 की बात कर रहे 40 तो हम अलग बैठे थे- गुढ़ा ने कहा कि कल ये लोग शांति धारीवाल के बंगले पर बैठक कर 90 विधायकों के साथ होने की बात कर रहे थे. लेकिन 90 विधायक कहां हैं? जो 102 विधायक का समर्थन इनके पास है उनमें से 40 से ज्यादा विधायक तो हम लोग अलग बैठे थे . फिर कैसे 90 विधायक हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि अलग तरह से मीटिंग बुलाई और लोगों की गुटबाजी कि इससे यह साफ है कि उन्होंने ठीक नहीं किया. गुढ़ा ने कहा कि बुलाया तो हम भी चले गए थे. हमसे कहा गया कि विधायक दल की बैठक में एक साथ चलेंगे, लेकिन वह तो उस बैठक में आलाकमान के फैसले को चुनौती देने की बात कर रहे थे. इसलिए हम 40 से ज्यादा विधायक उनके साथ नहीं गए.
जो 2 साल पहले हुआ उससे भी बड़ी अनुशासनहीनता हुई- राजेन्द्र गुढ़ा ने कहा कि जिस तरीके से कल किया है यह ठीक नहीं है. धारीवाल तो गांधीवाद की बात करते हैं, अनुशासन की बात करते हैं, जिन्होंने पूरी जिंदगी कांग्रेस की बातें कि वह क्या कर रहे हैं? पिछली बार हमने सरकार को बचाने के लिए उनका साथ दिया. जो 2 साल पहले किया था उसे ज्यादा बुरा आज उन्होंने किया है. आलाकमान के फैसले को चुनौती दी है. वह कह रहे हैं कि जिन्होंने सरकार बचाने में सहयोग किया, उनमें से कि किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाए अगर वह पायलट गुट के लोगों को पसंद नहीं करते तो फिर उन्हें मंत्री क्यों बना रखा है.
जब नाश मनुज पर छाता है- विधायकों की बगावत पर क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौन स्वीकृति है, इस पर जवाब देते राजेन्द्र गुढ़ा ने कहा इस का जवाब तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही दे सकते हैं. लेकिन मैं तो यह कहूंगा कि जब नाश मनुज पर छाता है...
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