जयपुर. राजस्थान में रविवार को विद्याधर नगर में हुए ब्राह्मण सम्मेलन पर अब ब्राह्मण नेताओं ने ही सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं. प्रदेश के जलदाय मंत्री महेश जोशी सम्मेलन में कांग्रेस के नेताओं को बोलने का मौका नहीं दिए जाने पर नाराजगी दिखाई. उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ वह नहीं होना चाहिए. क्योंकि निष्पक्षता पर सवाल उठना ही बड़ी बात है.
जोशी ने कहा कि मैं मानता हूं उस सम्मेलन में सबसे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार प्रकट करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि कोई मुख्यमंत्री ब्राह्मणों के लिए इतना करें और ब्राह्मण इसके लिए मुख्यमंत्री का आभार तक न करें यह नहीं होना चाहिए था. मंत्री महेश जोशी ने कहा कि राजस्थान में मंत्री ब्राह्मण हूं, विधानसभा अध्यक्ष ब्राह्मण हैं, मुख्य सचिव ब्राह्मण हैं, डीजीपी ब्राह्मण हैं, विप्र बोर्ड बन गया और बाकी बोर्ड में भी अध्यक्ष-उपाध्यक्ष की नियुक्ति दी गई है.
उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों ने जो सोचा नहीं था वह सब हो गया और सब जगह पर ब्राह्मण का प्रतिनिधित्व है. ब्राह्मणों को भी समझना चाहिए कि जितना मुख्यमंत्री ने ब्राह्मणों और आम जनता को दिया है उनके प्रति कृतज्ञता, आभार के दो शब्द सम्मेलन में होने चाहिए थे. मैं इसी कमी को सम्मेलन की असफलता मानता हूं. जोशी ने कहा कि ब्राह्मण बंधु जयपुर आए उनका स्वागत, लेकिन ब्राह्मण अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर सके. इसलिए सम्मेलन को कभी भी सफल नहीं कहा जा सकता.
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बता दें कि ब्राह्मणों के सम्मेलन में कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं को बोलने का मौका नहीं मिला था और इसमें महेश जोशी भी शामिल थे. वहीं, ब्राह्मणों के सम्मेलन में ब्राह्मण मुख्यमंत्री की मांग भी उठाई गई थी, जिस पर अब सवाल खड़े होने शुरू हो चुके हैं. निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने यहां तक कह दिया था कि संविधान की शपथ लेने वाले मंत्री और पार्टियों के अध्यक्ष तक जातिगत सम्मेलनों में शामिल हो रहे हैं और उन सम्मेलनों में वह अपनी जाति को पार्टी के भी ऊपर बता रहे हैं जो प्रजातंत्र के लिए खतरनाक है.