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जयपुर: आपदा में अवसर तलाशने वाले अस्पतालों पर शिकंजा, बिना लाइसेंस चल रहे गोदाम से दवाइयां बरामद

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Published : May 23, 2021, 9:47 PM IST

जयपुर सहित चौमूं के कई बड़े अस्पतालों में औषधि नियंत्रक विभाग की टीम छापामार कार्रवाई कर रही है. इन बड़े अस्पतालों में संचालित मेडिकल की दुकानों पर मनमाने कीमत वसूल करने की बात सामने आई है.

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आपदा में अवसर तलाशने वाले अस्पतालों पर शिकंजा

चौमूं (जयपुर). कोरोना काल में प्रदेश के निजी अस्पतालों में मनमर्जी की रकम लेने के कई मामले सामने आए. वहीं निजी अस्पतालों की मेडिकल स्टोरों पर भी ब्लैक फंगस, कोरोना की दवाइयों को अधिक मुनाफा लेकर बेचा गया है. इस बात का खुलासा औषधि नियंत्रक विभाग की टीम के निरीक्षण से हुआ है. जहां कई अस्पतालों ने रेमेडी सीवर इंजेक्शन और ऑक्सीमीटर को मनमाने दामों में बेचकर मुनाफा कमाया है, लेकिन अब इन मुनाफाखोरी पर औषधि नियंत्रण विभाग ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.

ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा के निर्देश पर राजधानी जयपुर सहित चौमूं के कई बड़े अस्पतालों में औषधि नियंत्रक विभाग की टीम छापामार कार्रवाई कर रही है. इन बड़े अस्पतालों में संचालित मेडिकल की दुकानों पर मनमानी कीमत वसूल करने की बात सामने आई है. ऐसे में अब यह कहना गलत नहीं होगा कि अस्पताल संचालक भी आपदा में अवसर तलाश रहे थे.

पढ़ें: इंदिरा रसोई में निशुल्क भोजन नहीं खिलाने वालों को लाइसेंस निरस्त की चेतावनी

औषधी नियंत्रक विभाग की एक टीम रविवार को चौमूं पहुंची. जहां टीम के आने के बाद अधिकांश मेडिकल स्टोर संचालक दुकान बंद कर फरार हो गए तो वहीं अस्पतालों में संचालित मेडिकल स्टोरों में भी हड़कंप मच गया. टीम ने रींगस मोड़ पर स्थित चौमूं महिला एंड आई अस्पताल और सिद्धिविनायक अस्पताल की मेडिकल स्टोर का रिकॉर्ड खंगाला. अधिकारियों ने बताया की हालांकि सिद्धिविनायक अस्पताल में कोई खामी नहीं मिली. चौमूं महिला एंड आई अस्पताल में कई तरह की अनियमितताएं मिली है.

इतना ही नहीं अस्पताल में एक गोदाम दवाइयों से भरा हुआ मिला. जहां ड्रग विभाग के अधिकारियों की माने तो अस्पताल संचालक के पास इस गोदाम का कोई लाइसेंस नहीं है. ड्रग लाइसेंस नहीं होने के चलते अधिकारियों ने गोदाम से भारी मात्रा में दवाइयां बरामद की है. बरामद की गई दवाइयों की कीमत तकरीबन दो 2 लाख 70 हजार रुपए आंकी गई है. इस कार्रवाई में ड्रग कंट्रोल इंस्पेक्टर सिंधु आदि शामिल रहे. ड्रग कंट्रोल इंस्पेक्टर ने बताया कि मेडिकल स्टोर पर मरीजों को दवाओं के बिल भी नहीं दिए जा रहे थे. इसके साथ ही दवाओं का रिकॉर्ड भी प्रॉपर नहीं मिला. अब फर्म के खिलाफ औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी.

चौमूं (जयपुर). कोरोना काल में प्रदेश के निजी अस्पतालों में मनमर्जी की रकम लेने के कई मामले सामने आए. वहीं निजी अस्पतालों की मेडिकल स्टोरों पर भी ब्लैक फंगस, कोरोना की दवाइयों को अधिक मुनाफा लेकर बेचा गया है. इस बात का खुलासा औषधि नियंत्रक विभाग की टीम के निरीक्षण से हुआ है. जहां कई अस्पतालों ने रेमेडी सीवर इंजेक्शन और ऑक्सीमीटर को मनमाने दामों में बेचकर मुनाफा कमाया है, लेकिन अब इन मुनाफाखोरी पर औषधि नियंत्रण विभाग ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.

ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा के निर्देश पर राजधानी जयपुर सहित चौमूं के कई बड़े अस्पतालों में औषधि नियंत्रक विभाग की टीम छापामार कार्रवाई कर रही है. इन बड़े अस्पतालों में संचालित मेडिकल की दुकानों पर मनमानी कीमत वसूल करने की बात सामने आई है. ऐसे में अब यह कहना गलत नहीं होगा कि अस्पताल संचालक भी आपदा में अवसर तलाश रहे थे.

पढ़ें: इंदिरा रसोई में निशुल्क भोजन नहीं खिलाने वालों को लाइसेंस निरस्त की चेतावनी

औषधी नियंत्रक विभाग की एक टीम रविवार को चौमूं पहुंची. जहां टीम के आने के बाद अधिकांश मेडिकल स्टोर संचालक दुकान बंद कर फरार हो गए तो वहीं अस्पतालों में संचालित मेडिकल स्टोरों में भी हड़कंप मच गया. टीम ने रींगस मोड़ पर स्थित चौमूं महिला एंड आई अस्पताल और सिद्धिविनायक अस्पताल की मेडिकल स्टोर का रिकॉर्ड खंगाला. अधिकारियों ने बताया की हालांकि सिद्धिविनायक अस्पताल में कोई खामी नहीं मिली. चौमूं महिला एंड आई अस्पताल में कई तरह की अनियमितताएं मिली है.

इतना ही नहीं अस्पताल में एक गोदाम दवाइयों से भरा हुआ मिला. जहां ड्रग विभाग के अधिकारियों की माने तो अस्पताल संचालक के पास इस गोदाम का कोई लाइसेंस नहीं है. ड्रग लाइसेंस नहीं होने के चलते अधिकारियों ने गोदाम से भारी मात्रा में दवाइयां बरामद की है. बरामद की गई दवाइयों की कीमत तकरीबन दो 2 लाख 70 हजार रुपए आंकी गई है. इस कार्रवाई में ड्रग कंट्रोल इंस्पेक्टर सिंधु आदि शामिल रहे. ड्रग कंट्रोल इंस्पेक्टर ने बताया कि मेडिकल स्टोर पर मरीजों को दवाओं के बिल भी नहीं दिए जा रहे थे. इसके साथ ही दवाओं का रिकॉर्ड भी प्रॉपर नहीं मिला. अब फर्म के खिलाफ औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी.

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