जयपुर. पांच दिवसीय दीपोत्सव का प्रमुख पर्व दिवाली चित्रा नक्षत्र और राजयोग में मनाया जा रहा है. जिसकी शुरुआत में सबसे पहले सुबह गृहिणियां घर के आंगन में मांडने उकेरेंगी और मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर को फूल मालाओं से सजाया जाएगा. वहीं शाम को हर घर और प्रतिष्ठानों में मां लक्ष्मी का पूजन होगा. इसके साथ ही घर-घर धन की देवी लक्ष्मीजी का स्वागत सत्कार होगा. वहीं धन लक्ष्मी के साथ सुख-समृद्धि घर में आए, इसके लिए अष्ट लक्ष्मी पूजन किया जाएगा. जिसमें मां लक्ष्मी के 8 स्वरूप अमृत, काम, सत्य, भोग, विद्या, आद्य, सौभाग्य, योग लक्ष्मी की आराधना की जाएगी.
पंडित दामोदर शर्मा के अनुसार दिवाली पर्व पर शुभ मुहूर्त की बात करें तो राजयोग दोपहर 12.23 बजे से शुरू होकर रात 3.17 बजे तक रहेगा. वहीं अमावस्या की शुरुआत दोपहर 12.23 बजे से शुरू होकर अगले दिन 9.09 बजे तक रहेगी. हालांकि, दोपहर में भी लक्ष्मी का पूजन किया जा सकता है. लेकिन श्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 5.45 बजे से 8.19 बजे तक रहेगा. इसमें शुभ का चौघड़िया, अमृत और चर का चौघड़िया रहेगा. चित्रा नक्षत्र युक्त नक्षत्र में प्रदोष काल में कार्तिक अमावस्या होने से इस दिन लक्ष्मी पूजन किया जाएगा. यह संयोग धन धान्य, ऐश्वर्य और व्यापार में अपार वृद्धि करेगा.
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ऐसे करें पूजन
वहीं पूजन विधि की बात करें तो चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर पूर्वाभिमुख बैठना शुभ होता है. लक्ष्मी जी को उसी लाल चौकी पर विराजमान कर षोडशोपचार पूजन करें. इसके बाद भगवान कुबेर के रूप में तिजोरी और मां सरस्वती के रूप में बहीखाता, पेन का पूजन करें. पूजन में खासतौर पर ध्यान रखें लक्ष्मीजी को कमल का पुष्प जरूर अर्पित करें. क्योंकि, शास्त्रों के अनुसार माता को कमल का पुष्प विशेष प्रिय है. ऐसे में लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती है तो वहीं पूजन के बाद माता की आरती कर प्रसाद बांटे. फिर उसके बाद भव्य आतिशबाजी करें.