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खुशखबरीः बिसलपुर बांध भरने से जयपुर, अजमेर और टोंक को मिलेगा ज्यादा पानी

जयपुर में अच्छी बारिश होने की वजह से बीसलपुर बांध पूरा भर गया है. इसी के मद्देनजर जलदाय विभाग ने पानी के सदुपयोग की योजना बनाई है. जिससे अगले साल पानी की कमी का सामना नहीं करना पड़े.

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Published : Aug 22, 2019, 4:18 PM IST

जयपुर. जलदाय विभाग ने बीसलपुर बांध के इतिहास को देखते हुए बांध के पानी का आने वाले दिनों में लोगों की उम्मीदों और जरूरतों को पूरा करने के लिए मितव्ययता से सदुपयोग करेगा. बीसलपुर बांध इस बार मानसून में पूरा भर गया है. विभाग ने बीसलपुर बांध के इतिहास का विश्लेषण कर यह निर्णय लिया है.

जलदाय विभाग ने पानी के सदुपयोग का निर्णय लिया

बता दें, बीसलपुर बांध की कुल भराव श्रमता 38.7 टीएमसी है. इसमें से जयपुर, अजमेर और टोंक जिलों में पेयजल के लिए 16.2 टीएमसी आरक्षित है. बांध के पूरा भर जाने की खबरों पर मीडिया और सोशल साईट्स पर व्यापक चर्चा का विषय बन गया है. जिससे जनता की आकांक्षाएं बढ़ गई हैं. बीसलपुर बांध गत 16 वर्ष में सिर्फ 5 बार क्रमश: 2004, 2006, 2014, 2016 एवं 2019 में ही पूरा भरा है.

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इसके इतिहास के हिसाब से बांध भरने के अगले वर्ष में काफी कम मात्रा में पानी आया है. वर्ष 2016 में बांध भरने के बाद वर्ष 2017 और 2018 में बहुत ही कम मात्रा में पानी आया था. इस कारण जयपुर, अजमेर और टोंक में सभी जगहों पर सितम्बर 2018 से पेयजल की कटौती करनी पड़ी थी. वहीं वर्ष 2019 की गर्मी में भी बड़ी मुश्किल से पेयजल व्यवस्था को बनाये रखा जा सका था. अगर इस बार भी मानसून में बरसात कम होती तो पेयजल के लिए बडा संकट खड़ा हो सकता था.

यह भी पढ़ें. छात्रसंघ चुनाव के नामांकन दाखिले पर पुख्ता इंतजाम ...पुलिस जाब्ता तैनात

बांध के भराव के पुराने इतिहास एवं इस वर्ष मानसून से पहले के पेयजल संकट की स्थितियों के अनुभव देखते हुए बांध के पूरा भरने पर भी जल के सही-सही उपयोग पर फोकस करने की जलदाय विभाग ने आवश्यकता जताई है. जिससे आगामी वर्ष में अगर कम वर्षा होती है तो भी पेयजल व्यवस्था को अगस्त 2021 तक सुचारू रूप से संपादित किया जा सके.

जयपुर. जलदाय विभाग ने बीसलपुर बांध के इतिहास को देखते हुए बांध के पानी का आने वाले दिनों में लोगों की उम्मीदों और जरूरतों को पूरा करने के लिए मितव्ययता से सदुपयोग करेगा. बीसलपुर बांध इस बार मानसून में पूरा भर गया है. विभाग ने बीसलपुर बांध के इतिहास का विश्लेषण कर यह निर्णय लिया है.

जलदाय विभाग ने पानी के सदुपयोग का निर्णय लिया

बता दें, बीसलपुर बांध की कुल भराव श्रमता 38.7 टीएमसी है. इसमें से जयपुर, अजमेर और टोंक जिलों में पेयजल के लिए 16.2 टीएमसी आरक्षित है. बांध के पूरा भर जाने की खबरों पर मीडिया और सोशल साईट्स पर व्यापक चर्चा का विषय बन गया है. जिससे जनता की आकांक्षाएं बढ़ गई हैं. बीसलपुर बांध गत 16 वर्ष में सिर्फ 5 बार क्रमश: 2004, 2006, 2014, 2016 एवं 2019 में ही पूरा भरा है.

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इसके इतिहास के हिसाब से बांध भरने के अगले वर्ष में काफी कम मात्रा में पानी आया है. वर्ष 2016 में बांध भरने के बाद वर्ष 2017 और 2018 में बहुत ही कम मात्रा में पानी आया था. इस कारण जयपुर, अजमेर और टोंक में सभी जगहों पर सितम्बर 2018 से पेयजल की कटौती करनी पड़ी थी. वहीं वर्ष 2019 की गर्मी में भी बड़ी मुश्किल से पेयजल व्यवस्था को बनाये रखा जा सका था. अगर इस बार भी मानसून में बरसात कम होती तो पेयजल के लिए बडा संकट खड़ा हो सकता था.

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बांध के भराव के पुराने इतिहास एवं इस वर्ष मानसून से पहले के पेयजल संकट की स्थितियों के अनुभव देखते हुए बांध के पूरा भरने पर भी जल के सही-सही उपयोग पर फोकस करने की जलदाय विभाग ने आवश्यकता जताई है. जिससे आगामी वर्ष में अगर कम वर्षा होती है तो भी पेयजल व्यवस्था को अगस्त 2021 तक सुचारू रूप से संपादित किया जा सके.

Intro:जयपुर। जलदाय विभाग बीसलपुर बांध के इतिहास को देखते हुए बांध के पानी का आने वाले दिनों में लोगों की उम्मीदों और जरूरतों को पूरा करने के लिए मितव्ययता से सदुपयोग करेगा। बीसलपुर बांध इस बार मानसून में पूरा भर गया है और विभाग में बीसलपुर बांध के इतिहास का विश्लेषण कर यह निर्णय लिया है।Body:उल्लेखनीय है कि बीसलपुर बांध की कुल भराव श्रमता 38.7 टीएमसी है, इसमें से जयपुर, अजमेर एवं टोंक जिलों में पेयजल के लिए 16.2 टीएमसी आरक्षित है। बांध पूरा भर जाने की खबरों पर मीडिया और सोश्यल साईट्स पर व्यापक चर्चा के कारण जनता की आकांक्षाएं बढ गई है। बीसलपुर बांध गत 16 वर्ष में सिर्फ 5 बार 2004, 2006, 2014, 2016 एवं 2019 में ही पूरा भरा है और इसके इतिहास के हिसाब से बांध भरने के अगले वर्ष में काफी कम मात्रा में पानी आया है। वर्ष 2016 में बांध भरने के बाद वर्ष 2017 व 2018 में बहुत ही कम मात्रा में पानी आया था। इस कारण जयपुर, अजमेर और टोंक में सभी जगहों पर सितम्बर 2018 से पेयजल की कटौती करनी पड़ी थी एवं वर्ष 2019 की गर्मी में भी बड़ी मुश्किल से पेयजल व्यवस्था को बनाये रखा जा सका। अगर इस बार भी मानसून में बरसात कम होती तो पेयजल के लिए बडा संकट खड़ा हो सकता था। Conclusion:बांध के भराव के पुराने इतिहास एवं इस वर्ष मानसून से पहले के पेयजल संकट की स्थितियों के अनुभव देखते हुए बांध के पूरा भरने पर भी जल के सही-सही उपयोग पर फोकस करने की जलदाय विभाग ने आवश्यकता जताई है, ताकि आगामी वर्ष में अगर कम वर्षा होती है तो भी पेयजल व्यवस्था को अगस्त 2021 तक सुचारू रूप से सम्पादित किया जा सके।
आपको बता दें कि इस बार मासूम में बीसलपुर बांध अपनी भराव क्षमता को पार कर गया है और गेट खोलकर पानी की निकासी की जा रही है। बांध पूरा भरने के बाद जयपुर अजमेर और टोंक जिले के लोगों की उम्मीदें काफी बढ़ गई है। हालांकि जलदाय विभाग अपने स्तर पर जनता से जल संरक्षण, जल बचाने आदि की अपील करता रहता है फिर भी बहुत सारा पानी व्यर्थ ही बह जाता है जिसका कोई सदुपयोग नहीं हो पाता। विभाग का दावा है कि यदि खुद जनता जल संरक्षण के साथ उसका बचत करेगी तो पानी कम खर्च होगा और बीसलपुर बांध में भरा पानी ज्यादा समय तक चलेगा।

बाईट मुख्य चीफ इंजीनिअर आईडी खान
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