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एलडीसी भर्ती 2013: तलाकशुदा कोटे में नियुक्ति नहीं, हाईकोर्ट ने एक पद रिक्त रखने के दिए आदेश

एलडीसी भर्ती 2013 में कट ऑफ से अधिक लाने के बावजूद महिला अभ्यर्थी को तलाकशुदा कोटे में नियुक्ति नहीं देने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है. साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता के लिए एक पद रिक्त रखने के ​आदेश दिए (Court orders to keep a post vacant for petitioner) हैं.

Court orders to keep a post vacant for petitioner
हाईकोर्ट ने एक पद रिक्त रखने के दिए आदेश
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Published : Oct 26, 2022, 6:12 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एलडीसी भर्ती 2013 में कट ऑफ से अधिक अंक लाने के बावजूद अभ्यर्थी को तलाकशुदा कोटे में नियुक्ति नहीं देने पर पंचायती राज सचिव और बाड़मेर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से जवाब मांगा है. वहीं अदालत ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने के आदेश दिए हैं. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश मनीषा मीना की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने एलडीसी भर्ती-2013 में आवेदन किया था. इससे पूर्व उसका सामाजिक तलाक हो गया था. वहीं कोर्ट से तलाक की डिक्री आवेदन की अंतिम तिथि के बाद मिली. याचिकाकर्ता के भर्ती में तलाकशुदा कोटे की कट ऑफ से अधिक अंक आए थे. इसके बावजूद विभाग ने यह कहते हुए नियुक्ति देने से इनकार कर दिया कि उसकी तलाक की डिक्री आवेदन करने की अंतिम तिथि के बाद की है और सामाजिक रूप से दिया गया तलाक विधि मान्य नहीं है.

पढ़ें: हाईकोर्ट ने दिए कृषि पर्यवेक्षक भर्ती में एक पद रिक्त रखने के आदेश

याचिका में कहा गया कि वह एसटी वर्ग से है और इस वर्ग पर हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते हैं. ऐसे में उसे सामाजिक रूप से दिए तलाक को विधि मान्यता देते हुए तलाकशुदा कोटे में नियुक्ति दी (Petitioner claim appointment in divorcee quota) जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एलडीसी भर्ती 2013 में कट ऑफ से अधिक अंक लाने के बावजूद अभ्यर्थी को तलाकशुदा कोटे में नियुक्ति नहीं देने पर पंचायती राज सचिव और बाड़मेर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से जवाब मांगा है. वहीं अदालत ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने के आदेश दिए हैं. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश मनीषा मीना की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने एलडीसी भर्ती-2013 में आवेदन किया था. इससे पूर्व उसका सामाजिक तलाक हो गया था. वहीं कोर्ट से तलाक की डिक्री आवेदन की अंतिम तिथि के बाद मिली. याचिकाकर्ता के भर्ती में तलाकशुदा कोटे की कट ऑफ से अधिक अंक आए थे. इसके बावजूद विभाग ने यह कहते हुए नियुक्ति देने से इनकार कर दिया कि उसकी तलाक की डिक्री आवेदन करने की अंतिम तिथि के बाद की है और सामाजिक रूप से दिया गया तलाक विधि मान्य नहीं है.

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याचिका में कहा गया कि वह एसटी वर्ग से है और इस वर्ग पर हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते हैं. ऐसे में उसे सामाजिक रूप से दिए तलाक को विधि मान्यता देते हुए तलाकशुदा कोटे में नियुक्ति दी (Petitioner claim appointment in divorcee quota) जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है.

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