जयपुर. गुलाबी नगरी में 3 दिन चले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का 68वें राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतिम दिन (Last Day of ABVP National Convention) समाज सेवी के रूप में काम करने वाले नंदकुमार पालवे को प्रा. यशवंतराव केलकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इस सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मौजूद रहे. जिन्होंने नंद कुमार पालवे को पुरस्कार देकर सम्मानित किया.
इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि परिषद की 75वीं स्थापना होने में 2 साल का समय बाकी है. अमृत महोत्सव 2 साल के बाद होगा. वो सभी जिस विचार कुल के हैं, उसको 100 साल पूरे होने जा रहे हैं. उन्होंने पुराने अनुभव साझा करते हुए कहा कि 1991 में प्रतिनिधि बनकर राजस्थान आए थे. उसके बाद 2004 के अधिवेशन में भी राजस्थान आए थे. 1991 में जब वो यहां आए तब भी तबीयत ठीक नहीं थी, और आज भी ठीक नहीं है. उन्होंने यशवंतराव केलकर को याद करते हुए कहा कि उन्होंने इस संगठन को मजबूत करने का काम किया. साथ ही कहा कि वो समाज को संघटित देखना चाहते हैं. वो परिषद को हनुमान मानते हैं. क्योंकि परिषद को पता नहीं है कि उनकी ताकत क्या है. आज परिषद के कार्यकर्ताओं की संख्या 45 लाख से ज्यादा हो गई है.
देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ढांचा बना : केंद्रीय मंत्री ने अपनी इच्छा प्रकट करते हुए कहा कि (ABVP National Convention in Jaipur) अगले साल बड़ा अधिवेशन होने जा रहा है. उसमें उन्हें भोजन प्रबंधक लगाएं. इस दौरान धर्मेंद्र प्रधान ने प्रा. यशवंतराव केलकर पुरस्कार से सम्मानित नंदकुमार पालवे के सुझावों पर महाराष्ट्र और केंद्र सरकार के स्तर पर काम करने की बात कही. उन्होंने बताया कि आज देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ढांचा बन गया है. आज देश में 30 करोड़ बच्चे पढ़ रहे हैं. 26 करोड़ स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा में 4 करोड़ बच्चे हैं. NEP को बनाना आसान है, लेकिन लागू करना चुनौती है.
आज से 50 साल आगे की सोचना शुरू करें : उन्होंने कहा कि जब वो सुनते है कि किसी राज्य ने विरोध किया तो उन पर हंसी आती है. आज टेक्नोलॉजी का बोल बाला बढ़ रहा है, इससे आंख नहीं मूंद सकते हैं. इसके साथ आगे बढ़ना है. आज भी 20 करोड़ लोग शिक्षा से दूर हैं. लेकिन NEP के माध्यम से अब ऑटो चलाने वाले भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सकते हैं. आज से 50 साल आगे का सोचना है तो शुरुआत आज से ही करनी है. उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री के नाते नहीं एक आम नागरिक के नाते अपील की कि एबीवीपी को आगे आना होगा. अगर एक कार्यकर्ता भी किसी की पढ़ाने का जिम्मेदारी लेता है तो 45 लाख लोग अपने आप ही शिक्षत हो जाएंगे. नरेंद्र मोदी 130 करोड़ लोगों की पराकाष्ठा की प्रतिकृति है.
विश्व की नई परिभाषा के लिए एबीवीपी को योगदान देना होगा: केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि विश्व में कितने देश हैं, लेकिन इसके बाद भी अमेरिका भारत की ओर देख रहा है. हमारे देश के नौजवानों में इतनी ताकत है. विश्व की नई परिभाषा भारत को बनानी है और ABVP को इसमें अपना योगदान देना है. उन्होंने कहा कि हम बुद्धिमान लोगों का समूह हैं. परिषद ने देश के नौजवानों को मौका दिया है. निराश्रित और मानसिक रूप से दिव्यांगों को पोषण, स्वास्थ्य सेवा और स्नेह देकर उनका सम्मानजनक पुनर्वास करने का कार्य करने वाले बुलढाणा (महाराष्ट्र) निवासी नंदकुमार पालवे को प्रा. यशवंतराव केलकर पुरस्कार मिला.
पुरस्कार में नंदकुमार पालवे (Yashwantrao Kelkar Award to Nandkumar Palve) को एक लाख रुपए, प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया. आपको बता दें कि ये पुरस्कार वर्ष 1991 से प्रा. यशवंतराव केलकर की स्मृति में दिया जाता है, जिन्हें संगठन का शिल्पकार कहा जाता है. इस दौरान नंदकुमार ने कहा कि उनकी संस्थान सेवा संकल्प प्रतिष्ठान बेसहारा, बेघर, मनोरुग्ण, दिव्यांग, वृद्ध, एचआईवी बाधित रुग्ण, रेड लाइट एरिया के बच्चों के लिए काम करती है. उनका उपचार, संभाल, मार्गदर्शन और पुनर्वास का काम किया जाता है.
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आज तक 105 व्यक्तियों को ठीक करके उन्हें उनके परिजनों से मिलाया गया है. करीब 200 लोगों की सेवा की जा रही है. उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि लोगों को जब जंजीरों में जकड़ा देखा तो मन व्यथित हुआ. एक दरगाह के बाहर ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा मिली. ऐसे में परिवार को सेटल करने के बजाए समाज सेवा का काम किया. उन्होंने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि ऐसे लोगों के पास इनकी पहचान नहीं है न इनके पास आधार कार्ड नहीं है और न ही कोई पहचान का दस्तावेज. जिसकी वजह से इन लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है. इसलिए अगर सरकार इनका पहचान पत्र बनवाए तो इसका लाभ मिलेगा.
अधिवेशन में हुई घोषणाओं में एक बार फिर राष्ट्रीय मंत्री बने हुश्यार मीणा ने बताया कि अधिवेशन में राजस्थानी की झलक आकर्षण का केंद्र रही. महाराणा प्रताप नगर, गुरु तेग बहादुर के नाम पर विशाल सभागार, आदिवासी महापुरुष गोविंद गुरु के नाम पर प्रदर्शनी, ध्वज मंडप पर चित्तौड़गढ़ किले की आकृति और राजधानी की झलक दिखाता हुआ हवामहल आकर्षण का केंद्र रहा. वहीं आयोजन में कश्मीर से कन्याकुमारी और पूर्वांचल से राजस्थान तक के 1500 से ज्यादा युवा शामिल हुए. नेपाल से भी छात्रों का एक डेलिगेशन यहां पहुंचा, जिन्होंने अपने अनुभव भी साझा किए.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इस अधिवेशन में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाब कटारिया, सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, विधायक वासुदेव देवनानी, अशोक लाहोटी, मेयर सौम्या गुर्जर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई वरिष्ठ प्रचारक भी मौजूद रहे. अधिवेशन में छात्रों और युवाओं के सर्वांगीण विकास पर मंथन किया गया.
इसके लिए पांच महत्वपूर्ण प्रस्ताव लाए गए.
प्रस्ताव - 1 : शैक्षणिक संस्थान राष्ट्रीय शिक्षा नीति के नाम पर शुल्क वृद्धि करते हैं. ऐसे प्रस्ताव ला रहे हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें बजट में एनईपी के लिए धनराशि का प्रावधान करें.
प्रस्ताव - 2 : नई शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं, भारतीय ज्ञान, परम्परा की बात की गई है. 11 दिसंबर को राष्ट्रीय कवि सुब्रमण्यम भारती के जन्मदिन को भारतीय भाषा दिवस घोषित किया गया है. इसका सेलिब्रेशन में ज्यादा से ज्यादा युवा भागीदारी को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया.
प्रस्ताव - 3 : राज्य पब्लिक सर्विस कमीशन, नेशनल टेस्ट एजेंसी या यूजीसी नेट की परीक्षाएं वर्ष में दो बार कराई जाती थी, लेकिन अब एक साल में कराई जा रही है. चिरनिद्रा में सोए प्रशासन को जगाने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया. छात्रों का प्रवेश परीक्षा, परिणाम समय पर किया जाए जिससे स्टूडेंट का करियर का खराब नहीं हो.
प्रस्ताव - 4: आंतरिक सुरक्षा के लिए पीएफआई पर बैन का स्वागत किया गया. केंद्र सरकार के निर्णय का स्वागत किया. बैन के बाद क्या प्रीकोशन बरतने चाहिए, इस मंथन भी हुआ.
प्रस्ताव - 5 : भावी भारत के संदर्भ जी 20 प्लेटफॉर्म का सदुपयोग भारतीय मान्यताओं, मूल्यों और संस्कृति का वैश्विक उपयोग पर मंथन किया गया.