जयपुर. अखिल राजस्थान लैब टेक्नीशियन कर्मचारी संघ ने सरकार को चेतावनी दी है. संघ की ओर से कहा गया कि यदि इस बजट में सरकार उनकी मांगे पूरी नहीं करती है तो फिर वो उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे. साथ ही प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में कार्य बहिष्कार किए जाने की भी बात कही है. दरअसल, सोमवार को अखिल राजस्थान लैब टेक्नीशियन कर्मचारी संघ की ओर से धरना प्रदर्शन किया गया. जिसमें प्रदेशभर के लैब टेक्नीशियन जयपुर के शहीद स्मारक पर आयोजित इस एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में शामिल हुए.
इस दौरान उन्होंने पीपीई किट पहनकर प्रदर्शन किया. मौके पर अखिल राजस्थान लैब टेक्नीशियन कर्मचारी संघ के प्रदेश प्रवक्ता महेश सैनी ने बताया कि संघ अपनी जायज मांगों को लेकर पिछले कई सालों से आंदोलन की राह पर है. उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना को प्रभावित किए बिना शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन किए. इस दौरान लगातार 72 घंटों तक काम कर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया गया.
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सैनी ने कहा कि कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किए बिना लगातार मरीजों के हितों में लैब टेक्नीशियन ने काम किया. लैब टेक्नीशियन राज्य सरकार की विभिन्न प्रकार की चिकित्सा सेवा से जुड़ी फ्लैगशिप योजना का पूरी जिम्मेदारी से निर्वहन कर रहे हैं. बावजूद इसके ये लोग वर्तमान में राज्य की गहलोत सरकार से नाराज हैं और आरोप है कि हर बार संघ की मांगों की अनदेखी की जाती है. ऐसे में यदि इस बार लैब टेक्नीशियन संघ की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया कि तो फिर आगे वो उग्र आंदोलन को मजबूर होंगे.
ये है संघ की मांग - संघ की मुख्य मांग ग्रेड पे 4200 करने के साथ ही विशेष वेतन 1000 करना, मैस अलाउंस 1250 रुपए, हार्ड ड्यूटी एलाउंस के साथ गैर वित्तीय मांग पदनाम संशोधन करने को लेकर है. इसके अलावा लैब टेक्नीशियन के रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने की भी है. प्रदेश प्रवक्ता महेश सैनी ने बताया कि सरकार ने राजस्थान में चिकित्सा संवर्ग में सभी वर्गों की विसंगति दूर की है. लेकिन लैब टेक्नीशियन संघ की विसंगति आज भी जस की तस है. यदि सरकार इस बजट में उनकी मांगे पूरी नहीं करती है तो आगे वो उग्र आंदोलन को मजबूर होंगे. जिसके तहत पूरे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में जांच कार्य प्रभावित होंगे. जिसमें सरकार की मुख्यमंत्री जांच योजना, चिरंजीवी योजना, कोरोना सैंपलिंग,जननी शिशु सुरक्षा योजना आदि योजनाएं बाधित होंगी.