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पीएम की ओर से अमेरिका की फर्स्ट लेडी को दिया गया लैब ग्रोन डायमंड, अब जयपुर में बिखेरेगा चमक

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Published : Jul 1, 2023, 9:35 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति की पत्नी जिल बाइडन को जो 7.5 कैरेट का जो डायमंड गिफ्ट किया गया था, वो किसी खदान से नहीं बल्कि सूरत की लैब में तैयार लैब ग्रोन डायमंड था. यह डायमंड अब राजधानी जयपुर में भी अपनी चमक बिखेरेगा. शनिवार और रविवार को जयपुर के त्रिमूर्ति सर्किल स्थित एक होटल में सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक लैब ग्रोन डायमंड ज्वेलरी का संग्रह प्रदर्शित किया जाएगा.

Lab Grown Diamonds Exhibition
फर्स्ट लेडी को दिया गया लैब ग्रोन डायमंड
क्या कहते हैं जानकार, सुनिए....

जयपुर. हीरा एक कीमती पत्थर है जो आम जनता की पहुंच से बहुत दूर था, लेकिन अब सूरत की लैब में तैयार लैब ग्रोन डायमंड नेचुरल डायमंड से 10 गुना कम कीमत पर उपलब्ध है. इसी तरह के लैब ग्रोन डायमंड की एक प्रदर्शनी जयपुर में सजेगी. आयोजक ललित चौधरी ने बताया कि लैब ग्रोन एक डायमंड है, जो किसी खदान से निकला हुआ डायमंड नहीं, बल्कि लैब में तैयार किया गया डायमंड है. प्राकृतिक डायमंड और लैब ग्रोन डायमंड में सीधे तौर पर कोई फर्क नहीं होता.

इसका उद्योग देश मे लगातार बढ़ता जा रहा है. इस क्रम में जयपुर में भी शनिवार को एग्जीबिशन लगाई जाएगी. 2 दिन तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक ज्वेलरी शोकेस की जाएगी और इसके बाद जयपुर में ही लैब ग्रोन डायमंड का शोरूम भी शुरू होगा. उन्होंने बताया कि डायमंड प्वाइंटर में आते हैं, लैब ग्रोन डायमंड का 1 पॉइंट से लेकर 15 कैरेट तक डायमंड इस प्रदर्शनी में प्रजेंट किए जाएंगे. इन डायमंड का प्रोडक्शन सूरत में किया जा रहा है.

पढ़ें : निवेशकों की चांदी : रिकॉर्ड स्तर पर सेंसेक्स-निफ्टी, सोने में दिखी तेजी

वहीं, लैब ग्रोन डायमंड विशेषज्ञ अभिषेक डालमिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि पीएम ने पूरे विश्व को ये संदेश देने की कोशिश की है कि देश इतना आत्मनिर्भर हो चुका है, कि यहां डायमंड लैब में बनाए जा रहे हैं. अमेरिका की फर्स्ट लेडी को दिए गए डायमंड के रॉ मटेरियल से लेकर डायमंड की ग्रोइंग, कटिंग, पॉलिशिंग सब कुछ सूरत में हुई है और अब देश में चाइना से अच्छे लैब ग्रोन डायमंड तैयार हो रहे हैं.

उन्होंने बताया कि नेचुरल डायमंड को बनने में लाखों साल लगते हैं, वो धरती के नीचे एक पर्टिकुलर टेंपरेचर पर निर्मित होता है, जबकि लैब ग्रोन डायमंड एक मशीन के अंदर बनता है. जिसका रॉ मैटेरियल डायमंड ही होता है, लेकिन उसे 30 दिन में डवेलप किया जाता है और फिर इसकी कटिंग, पॉलिशिंग करके उसकी ज्वेलरी तैयार की जाती है. उन्होंने बताया कि नेचुरल डायमंड की माइनिंग करनी पड़ती है. ये प्रोसेस बहुत महंगी है, जिसकी वजह से डायमंड भी बहुत महंगा हो जाता है. जबकि लैब ग्रोन डायमंड मशीन में बनता है. इससे जो कॉस्ट सेविंग होता है, वो पूरा कंजूमर को पास ऑन हो जाता है. यदि किसी नेचुरल हीरे की कीमत 10 लाख है, तो उसकी तुलना में उसी कैरेट के लैब ग्रोन हीरे की कीमत 1 लाख होगी.

क्या कहते हैं जानकार, सुनिए....

जयपुर. हीरा एक कीमती पत्थर है जो आम जनता की पहुंच से बहुत दूर था, लेकिन अब सूरत की लैब में तैयार लैब ग्रोन डायमंड नेचुरल डायमंड से 10 गुना कम कीमत पर उपलब्ध है. इसी तरह के लैब ग्रोन डायमंड की एक प्रदर्शनी जयपुर में सजेगी. आयोजक ललित चौधरी ने बताया कि लैब ग्रोन एक डायमंड है, जो किसी खदान से निकला हुआ डायमंड नहीं, बल्कि लैब में तैयार किया गया डायमंड है. प्राकृतिक डायमंड और लैब ग्रोन डायमंड में सीधे तौर पर कोई फर्क नहीं होता.

इसका उद्योग देश मे लगातार बढ़ता जा रहा है. इस क्रम में जयपुर में भी शनिवार को एग्जीबिशन लगाई जाएगी. 2 दिन तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक ज्वेलरी शोकेस की जाएगी और इसके बाद जयपुर में ही लैब ग्रोन डायमंड का शोरूम भी शुरू होगा. उन्होंने बताया कि डायमंड प्वाइंटर में आते हैं, लैब ग्रोन डायमंड का 1 पॉइंट से लेकर 15 कैरेट तक डायमंड इस प्रदर्शनी में प्रजेंट किए जाएंगे. इन डायमंड का प्रोडक्शन सूरत में किया जा रहा है.

पढ़ें : निवेशकों की चांदी : रिकॉर्ड स्तर पर सेंसेक्स-निफ्टी, सोने में दिखी तेजी

वहीं, लैब ग्रोन डायमंड विशेषज्ञ अभिषेक डालमिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि पीएम ने पूरे विश्व को ये संदेश देने की कोशिश की है कि देश इतना आत्मनिर्भर हो चुका है, कि यहां डायमंड लैब में बनाए जा रहे हैं. अमेरिका की फर्स्ट लेडी को दिए गए डायमंड के रॉ मटेरियल से लेकर डायमंड की ग्रोइंग, कटिंग, पॉलिशिंग सब कुछ सूरत में हुई है और अब देश में चाइना से अच्छे लैब ग्रोन डायमंड तैयार हो रहे हैं.

उन्होंने बताया कि नेचुरल डायमंड को बनने में लाखों साल लगते हैं, वो धरती के नीचे एक पर्टिकुलर टेंपरेचर पर निर्मित होता है, जबकि लैब ग्रोन डायमंड एक मशीन के अंदर बनता है. जिसका रॉ मैटेरियल डायमंड ही होता है, लेकिन उसे 30 दिन में डवेलप किया जाता है और फिर इसकी कटिंग, पॉलिशिंग करके उसकी ज्वेलरी तैयार की जाती है. उन्होंने बताया कि नेचुरल डायमंड की माइनिंग करनी पड़ती है. ये प्रोसेस बहुत महंगी है, जिसकी वजह से डायमंड भी बहुत महंगा हो जाता है. जबकि लैब ग्रोन डायमंड मशीन में बनता है. इससे जो कॉस्ट सेविंग होता है, वो पूरा कंजूमर को पास ऑन हो जाता है. यदि किसी नेचुरल हीरे की कीमत 10 लाख है, तो उसकी तुलना में उसी कैरेट के लैब ग्रोन हीरे की कीमत 1 लाख होगी.

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