जयपुर. हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार आज का दिन भगवान बृहस्पति देव और भगवान विष्णु को समर्पित होता हैं. इस दिन भगवान विष्णु तथा देवों के गुरु बृहस्पती देव की पूजा करने का विशेष महत्व माना गया है.
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गुरूवार को विष्णु जी की पूजा का आरंभ आप ‘ऊं नमो नारायणा’ मंत्र के जाप के साथ कर सकते हैं. इस मंत्र के जाप से जीवन में सुख-शांति आती है. बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु और उनके अवतारों को समर्पित है. इस दिन किसी भी रूप की पूजा दूध, दही, घी से करें. बृहस्पति के व्रत में सिर्फ एक ही बार भोजन किया जाता है और वो भी दूध से बने व्यंजनो से बना होना चाहिए.
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बृहस्पति गुरू का भी दिन
बृहस्पतिवार बृहस्पति ग्रह को प्रसन्न करने के लिए भी एक अच्छा दिन है, इसे सभी ग्रहों का गुरु भी कहा जाता है. यही वजह है कि बृहस्पतिवार का एक नाम गुरुवार भी है. इस दिन का शुभ रंग पीला माना जाता है. व्रत रखने वाले लोग इस दिन घी और चने की दाल या फिर पीले रंग के किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं. जो लोग बृहस्पतिवार का व्रत रखते हैं. उन पर बृहस्पतिदेव प्रसन्न होते हैं और उन्हें स्वस्थ और खुशहाल जीवन प्रदान करते हैं. इस दिन पूरे श्रद्धाभाव से व्रत करने वाले व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है और उसका गुरु दोष भी खत्म होता है.
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साईं को भी करें इस तरह प्रसन्न
साईं बाबा का व्रत आप कोई भी गुरूवार को बाबा का नाम ले कर शुरू कर सकते हैं. गुरुवार के दिन पीले या लाल कपड़ा बिछाकर उसपे साईं बाबा की फोटो लगाना चाहिए. उसके बाद स्वच्छ पानी से फोटो को पोछ कर चंदन या कुमकुम का तिलक लगाना चाहिए. बाबा को पीले फूल या हार चढ़ाना चाहिये. अगरबत्ती और दीपक जलाकर साईं व्रत की कथा पढ़ें. साईं बाबा का स्मरण कर सभी में पूजा या व्रत का प्रसाद बांटें. प्रसाद फलाहार या मिठाई का बाटा जा सकता है. अगर संभव हो तो साईं बाबा के मंदिर में जाकर भक्तिभाव से बाबा के दर्शन करें और बाबा साईं के भजनों में भक्तिमय रहना चाहिए.