जयपुर. जयपुर जिले के कोटखावदा में एक ही परिवार के चार लोगों को गाड़ी से कुचलने के मामले और आमेर में बंजारा परिवार के लोगों को जमीन से बेदखल करने के मामले में मुकदमा दर्ज नहीं होने और कार्रवाई नहीं होने के विरोध में भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा डीजीपी आवास पहुंचे. दोपहर की तपती धूप के बीच मीणा ई-रिक्शा में सवार होकर पीड़ित परिवारों को साथ लेकर डीजीपी आवास के सामने पहुंचे और दोनों मामलों में प्राथमिकी दर्ज नहीं होने तक वहीं डटे रहने की चेतावनी दी, तो पुलिस अधिकारियों के हाथ-पैर फूल गए.
कोटखावदा में चार लोगों को कुचलने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और आमेर में बंजारा समाज के लोगों को बेदखल करने वालों पर कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद डॉ किरोड़ी लाल मीणा डीजीपी आवास के बाहर से रवाना हुए. इससे पहले दोनों मामलों में पीड़ित परिवार के लोगों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर उन्होंने फोन पर डीजीपी से भी बात की. डीजीपी आवास के बाहर मीडिया से बातचीत में किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि दो मामलों में पीड़ित परिवार के लोगों के साथ वे डीजीपी आवास पर पहुंचे हैं. दोनों ही मामलों में पुलिस ने प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की है.
मीणा बोले, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि थाने में प्राथमिकी दर्ज नहीं हो, तो एसपी दर्ज करेगा. कोटखावदा में एसपी भी मौके पर हैं. फिर भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ. परिवार में एकमात्र बच्ची बची है. उसे पुलिस कह रही है कि पहले परिजनों के शव का दाह संस्कार करो, उसके बाद मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी करेंगे. मीणा बोले, दूसरा मामला यह है कि कूकस में एक बड़ी होटल है. उस होटल मालिक ने बंजारा समाज के 30 परिवारों को उजाड़कर भगा दिया. वे वहां से दूर आकर बस गए. इसके बाद 20 मई को बदमाश पहुंचे और बंजारा समाज के लोगों के साथ मारपीट की और धमकी दी कि तीन दिन में जगह खाली कर देना वरना तबाह कर देंगे. जबकि ये लोग 30 साल से वहां रह रहे हैं.
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तपती धूप में डीजीपी के दरवाजे पर बैठना पड़ रहा हैः मीणा ने कहा कि इन दोनों मामलों की लिखित रिपोर्ट हम लेकर आए हैं. मेरी डीजीपी से फोन पर बात हुई है. उन्होंने यह कहा है कि दोनों मुकदमें दर्ज होंगे. उन्होंने कहा कि दोनों मुकदमे दर्ज होने के बाद ही वे डीजीपी आवास से जाएंगे. यह राजस्थान में कानून व्यवस्था के हालात हैं कि प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए नौतपे के बीच इस तपती धूप में डीजीपी के दरवाजे पर दीन-हीन लोगों को बैठना पड़ रहा है.