जयपुर. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से सचिन पायलट को गद्दार कहने के बाद राजनीतिक तपिश बढ़ गई थी. इस बीच राहुल गांधी के नेतृत्व में निकल रही भारत जोड़ो यात्रा को बिना किसी परेशानी के निकालने के लिए कांग्रेस आलाकमान के पास एक ही रास्ता बचा था कि दोनों नेताओं को एकजुट दिखाया जाए. यही वजह रही कि जयपुर दौरे पर पहुंचे पार्टी में संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने भले ही दिखावे के लिए सही, लेकिन दोनों नेताओं के हाथ खड़ा करवाकर एकजुटता का संदेश दिया. वहीं, अशोक गहलोत ने भी सचिन पायलट को पार्टी का एसेट बताया.
अब कम से कम भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में रहने तक तो राजस्थान में पूरी तरह से एकजुटता बनी रहेगी. लेकिन यह भी साफ है कि राजस्थान में जो स्थिति बनी है, उससे केवल सीएम अशोक गहलोत को सीधा फायदा मिलता दिखाई दे रहा है. क्योंकि अब भारत जोड़ो यात्रा (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) जब तक राजस्थान में रहेगी तब तक न तो मुख्यमंत्री के चेहरे में बदलाव की बात होगी. साथ ही न ही 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने में जिन नेताओं को जिम्मेदार माना गया था, उन पर कोई कार्रवाई होगी.
इसके साथ ही न कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों पर कोई चर्चा होगी. ऐसे में इसका सीधा फायदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके गुट के विधायकों को ही मिलेगा. पायलट के लिए केवल इस परिस्थिति का यही फायदा है कि वह अभी गांधी परिवार के राजस्थान में नंबर 1 नेता हो गए हैं. लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते थे वही हुआ है. ऐसे में सचिन पायलट और उनके समर्थकों का धैर्य भारत जोड़ो यात्रा निकलने के बाद भी बना रहेगा, इसकी संभावना न के बराबर दिखाई देती है.
वेणुगोपाल ने एक लाइन कहकर कर ली इतिश्री : राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियों को लेकर बैठक में आए केसी वेणुगोपाल ने बैठक में मंत्रियों को सख्त चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि बेफिजूल बयानबाजी पार्टी में बर्दाश्त नहीं होगी, अगर कोई ऐसा करेगा तो उसे 24 घंटे में पद से हटा दिया जाएगा. वहीं, बीते कुछ दिनों में जिस तरह से राजस्थान में बयानबाजी हुई और 29 सितंबर को जारी हुई गाइडलाइन का उल्लंघन हुआ, उन पर वेणुगोपाल ने कार्रवाई की जगह रिपोर्ट तैयार करवाने की बात कह कर इतिश्री कर ली.
इस दौरान जो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों के इस्तीफा का था (Congress Crisis in Rajasthan) उस पर कोई चर्चा नहीं हुई. साथ ही 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने में जिन तीन नेताओं मंत्री शांति धारीवाल, मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को जिम्मेदार मान कारण बताओ नोटिस दिया गया था, उन पर कोई कार्रवाई भी नहीं हुई.
कल की तस्वीरों में भले ही पायलट और गहलोत एकजुट दिखाई दे रहे हों, लेकिन इस परिस्थिति में फायदा केवल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ही हुआ है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को पार्टी का एसेट बताने के साथ ही यह भी कह दिया कि न केवल पायलट, बल्कि उनके और पायलट दोनों के फॉलोवर भी पार्टी के एसेट हैं. गहलोत का यह बयान सीधे तौर पर उनके खेमें के उन नेताओं के बचाव को लेकर है, जो कहीं न कहीं अनुशासनहीनता के रडार पर हैं. जानकारों की मानें तो कल सामने आई तस्वीर में नजर आ रही एकजुटता भारत जोड़ो यात्रा के बाद भी बनी रहेगी, इसको लेकर संभावना न के बराबर है.
क्या गहलोत पायलट के खिलाफ रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं डोटासरा ? : बैठक के दौरान केसी वेणुगोपाल ने नेताओं से यह भी पूछा कि क्या कोई और बात भी उन्हें करनी है. इस पर वेणुगोपाल की टीम में शामिल स्टीयरिंग कमिटी के सदस्य हरीश चौधरी ने यह कहा कि उन्हें बोलना तो बहुत कुछ है लेकिन अब आलाकमान चाहता है तो भारत जोड़ो यात्रा के बाद कि वह अपनी बात रखेंगे. इस पर एक मैच फिक्सिंग के तहत वेणुगोपाल ने हरीश चौधरी को ही यह कह दिया कि एक प्रभारी और स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य होकर आप ऐसी बात कैसे कर सकते हैं?.
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मतलब साफ था कि हरीश चौधरी जैसे पंजाब के प्रभारी और स्टीयरिंग कमेटी के सहयोगी को वेणुगोपाल ने यह बात कह कर उन नेताओं को शांत करवा दिया जो मीटिंग में बात रख सकते थे. वहीं, जो नेता बीते 2 महीने से लगातार बयानबाजी करके एडवाइजरी का उल्लंघन कर रहे थे, उन पर भी उन्होंने मीडिया के सामने गोविंद डोटासरा को रिपोर्ट तैयार करने को कह दिया. लेकिन हकीकत यह है कि बयानबाजी नहीं करने की जो गाइडलाइन वेणुगोपाल ने जारी की थी उसे तोड़ने में खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट शामिल रहे.
ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या गोविंद डोटासरा इन दोनों नेताओं को भी अपनी रिपोर्ट में जिम्मेदार ठहरा सकते हैं इस पर संदेह है. जानकारों का कहना है कि केसी वेणुगोपाल की मंगलवार को हुई बैठक केवल राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा को शांतिपूर्वक निकालने के लिए थी, जिसमें वह कामयाब भी रहे. गहलोत और पायलट के मुस्कुराते चेहरों के बीच (Gehlot Pilot Controversy) शांती ज्यादा दिनों तक बनी रहे, इसकी संभावना कम ही नजर आती है.