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जम्मू-कश्मीर समेत लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने से क्या होगा, जानिए

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Published : Aug 5, 2019, 12:33 PM IST

राज्यसभा में सोमवार को कश्मीर में अनुच्छेद 370 में बदलाव करने को लेकर बिल पेश किया.  इसमें जम्मू-कश्मीर समेत लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला किया गया है. अब यह भी दिल्ली, पुड्डुचेरी समेत अन्य केद्र शासित प्रदेशों की सूची में शामिल हो जाएगा. इस फैसले के बाद आखिर कश्मीर पर क्या असर पड़ेगा और आखिर अनुच्छेद 370 है क्या, इन सभी को विस्तार से जानते हैं.

Amit Shah, HomeMinister

क्या है अनुच्छेद 370
यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देता है. इसके मुताबिक, भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों-रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती है. इसके अलावा किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए होती है.
जम्मू-कश्मीर के मौजूदा संविधान के अनुसार, स्थायी नागरिक वही व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा और कानूनी तरीके से संपत्ति का अधिग्रहण किया हो. इसके अलावा कोई शख्स 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो.
अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के 'स्थायी निवासी' की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है. अस्थायी नागरिक जम्मू-कश्मीर में न स्थायी रूप से बस सकते हैं और न ही वहां संपत्ति खरीद सकते हैं. उन्हें कश्मीर में सरकारी नौकरी और छात्रवृत्ति भी नहीं मिल सकती. 1954 में इसे संविधान में जोड़ा गया था.

पढ़ें: JK LIVE: जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषाधिकार खत्म, राष्ट्रपति की भी मंजूरी

जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित राज्य बनने से क्या होगा?

  • जम्मू-कश्मीर समेत लद्दाख को केंद्र शासित राज्य घोषित कर दिया गया. धारा-370 में बदलाव को लेकर राष्ट्रपति ने मंजूरी भी दे दी. अब जम्मू-कश्मीर भी दिल्ली, पुड्डुचेरी और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की तरह यहां भी अधिकतर पावर केंद्र के पास होगा.
  • अब जम्मू-कश्मीर में भारतीय संसद के द्वारा बनाए गए सारे कानून लागू होंगे. अब किसी भी कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी नहीं चाहिए होगा.
  • जम्मू-कश्मीर में अब अलग संविधान नहीं होगा. साथ ही यहां का अलग झंडा नहीं रहेगा.
  • जम्मू-कश्मीर में अब दोहरी नागरिकता नहीं रहेगी.
  • अब बाहरी भी जम्मू-कश्मीर में जमीन ले सकेंगे.

क्या है अनुच्छेद 370
यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देता है. इसके मुताबिक, भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों-रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती है. इसके अलावा किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए होती है.
जम्मू-कश्मीर के मौजूदा संविधान के अनुसार, स्थायी नागरिक वही व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा और कानूनी तरीके से संपत्ति का अधिग्रहण किया हो. इसके अलावा कोई शख्स 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो.
अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के 'स्थायी निवासी' की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है. अस्थायी नागरिक जम्मू-कश्मीर में न स्थायी रूप से बस सकते हैं और न ही वहां संपत्ति खरीद सकते हैं. उन्हें कश्मीर में सरकारी नौकरी और छात्रवृत्ति भी नहीं मिल सकती. 1954 में इसे संविधान में जोड़ा गया था.

पढ़ें: JK LIVE: जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषाधिकार खत्म, राष्ट्रपति की भी मंजूरी

जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित राज्य बनने से क्या होगा?

  • जम्मू-कश्मीर समेत लद्दाख को केंद्र शासित राज्य घोषित कर दिया गया. धारा-370 में बदलाव को लेकर राष्ट्रपति ने मंजूरी भी दे दी. अब जम्मू-कश्मीर भी दिल्ली, पुड्डुचेरी और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की तरह यहां भी अधिकतर पावर केंद्र के पास होगा.
  • अब जम्मू-कश्मीर में भारतीय संसद के द्वारा बनाए गए सारे कानून लागू होंगे. अब किसी भी कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी नहीं चाहिए होगा.
  • जम्मू-कश्मीर में अब अलग संविधान नहीं होगा. साथ ही यहां का अलग झंडा नहीं रहेगा.
  • जम्मू-कश्मीर में अब दोहरी नागरिकता नहीं रहेगी.
  • अब बाहरी भी जम्मू-कश्मीर में जमीन ले सकेंगे.
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राज्यसभा में सोमवार को कश्मीर में अनुच्छेद 370 में बदलाव करने को लेकर बिल पेश किया.  इसमें जम्मू-कश्मीर समेत लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला किया गया है. अब यह भी दिल्ली, पुड्डुचेरी समेत अन्य केद्र शासित प्रदेशों की सूची में शामिल हो जाएगा. इस फैसले के बाद आखिर कश्मीर पर क्या असर पड़ेगा और आखिर अनुच्छेद 370 है क्या, इन सभी को विस्तार से जानते हैं.

अनुच्छेद 370 

यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देता है. इसके मुताबिक, भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों-रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती है. इसके अलावा किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए होती है.

जम्मू-कश्मीर के मौजूदा संविधान के अनुसार, स्थायी नागरिक वही व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा और कानूनी तरीके से संपत्ति का अधिग्रहण किया हो. इसके अलावा कोई शख्स 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो.

अनुच्छेद 35ए 

अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के 'स्थायी निवासी' की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है. अस्थायी नागरिक जम्मू-कश्मीर में न स्थायी रूप से बस सकते हैं और न ही वहां संपत्ति खरीद सकते हैं. उन्हें कश्मीर में सरकारी नौकरी और छात्रवृत्ति भी नहीं मिल सकती. 1954 में इसे संविधान में जोड़ा गया था.

जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित राज्य बनने से क्या होगा?

जम्मू-कश्मीर समेत लद्दाख को केंद्र शासित राज्य घोषित कर दिया गया. धारा-370 में बदलाव को लेकर राष्ट्रपति ने मंजूरी भी दे दी. अब जम्मू-कश्मीर भी दिल्ली, पुड्डुचेरी और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की तरह यहां भी अधिकतर पावर केंद्र के पास होगा.

अब जम्मू-कश्मीर में भारतीय संसद के द्वारा बनाए गए सारे कानून लागू होंगे. अब किसी भी कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी नहीं चाहिए होगा.

जम्मू-कश्मीर में अब अलग संविधान नहीं होगा. साथ ही यहां का अलग झंडा नहीं रहेगा.

जम्मू-कश्मीर में अब दोहरी नागरिकता नहीं रहेगी.

अब बाहरी भी जम्मू-कश्मीर में जमीन ले सकेंगे.

 


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