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Shraddha Paksha 2023 : श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण करने गलता तीर्थ पहुंच रहे शहरवासी, वृद्धाश्रम जाकर करा रहे बुजुर्गों को भोजन - सनातन परंपरा में श्राद्ध का महत्व

14 अक्टूबर तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में पितरों के तर्पण और ब्राह्मण भोज (Shraddha Paksha 2023) के अलावा शहरवासियों ने अब एक नई पहल की है. विभिन्न वृद्ध आश्रम, सेवा केंद्रों और अनाथालयों में पहुंचकर शहर के लोग सात्विक भोजन और फलों का वितरण कर रहे हैं.

Shraddha Paksha 2023
श्राद्ध पक्ष में बुजुर्गों को भोजन करा रहे शहरवासी
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 4, 2023, 8:58 AM IST

अवधेशाचार्य, पीठाधीश्वर, गलता तीर्थ

जयपुर. श्राद्ध पक्ष में पितरों के तर्पण से लेकर ब्राह्मण भोज की परंपरा रही है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए राजधानीवासी गलता तीर्थ भी पहुंच रहे हैं. वहीं अपने घरों पर ब्राह्मणों को भोजन भी कराया जा रहा है. खास बात ये है कि इस बार शहर वासियों ने ब्राह्मण भोज के साथ-साथ वृद्ध आश्रमों और सेवा केंद्रों में अल्पाहार और भोजन कराने की भी पहल की है.

भगवान राम और कृष्ण ने भी किया था श्राद्ध : भारतीय सनातन परंपरा में श्राद्ध का एक बड़ा महत्व है. भगवान श्रीराम ने भी अपने पिता दशरथ का श्राद्ध फल्गु नदी के तट पर किया था और फिर कालांतर में भगवान कृष्ण ने भी सभी पांडवों के साथ मिलकर श्राद्ध किया था. इसका उल्लेख महाभारत में मिलता है. इसे लेकर गलता तीर्थ के पीठाधीश्वर अवधेशाचार्य ने बताया कि सनातन धर्म में पितरों के श्राद्ध की परंपरागत व्यवस्था रही है. प्राचीन मान्यता है कि देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण से युक्त होकर मनुष्य जन्म लेता है और उनके निमित तर्पण करने से शांति मिलती है.

पढ़ें : Shraddha Paksha 2023 : श्राद्ध के भोजन में परोसे जा रहे रबड़ी के मालपुए और घेवर, दिए जाते हैं स्पेशल ऑर्डर

उन्होंने बताया कि पितरों की शांति बहुत आवश्यक है. मृत्यु के 3 साल बाद मृतक को पितरों में शामिल किया जाता है. इसके लिए हर श्राद्ध पक्ष में मृत्यु की तिथि पर तर्पण करना चाहिए. इसके साथ ही पिंडदान का भी महत्व है. इसमें तिल, जौ और कुश का महत्व है. उन्होंने बताया कि श्राद्ध पक्ष 14 अक्टूबर तक चलने वाला है. उसमें विधान यही है कि जिस तिथि पर व्यक्ति की मौत हुई है, उस तिथि पर श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध करना चाहिए. इसके अलावा ऐसे पूर्वज जिनकी मृत्यु तिथि की जानकारी नहीं है, उनके लिए सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध करना चाहिए. वहीं श्राद्ध में गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देवता के लिए भोग निकालना चाहिए.

वृद्ध आश्रमों के 7000 से ज्यादा बुजुर्गों के भोजन की हुई एडवांस बुकिंग : उधर, सनातन धर्म की इस परंपरा को निर्वहन करने के साथ-साथ शहर वासियों ने अब एक नई पहल भी की है. जिसके तहत घर में बनाए गए सात्विक भोजन और फलों को वितरित करने के लिए शहरवासी विभिन्न वृद्ध आश्रम, सेवा केंद्रों और अनाथालयों तक पहुंच रहे हैं. खास बात यह है कि इस पहल से बड़ी संख्या में लोग जुड़ रहे हैं. यही वजह है कि पूरे श्राद्ध पक्ष में वृद्ध आश्रमों में रह रहे करीब 7000 से ज्यादा बुजुर्गों के सुबह-शाम का भोजन और नाश्ते की एडवांस बुकिंग हो चुकी है.

अवधेशाचार्य, पीठाधीश्वर, गलता तीर्थ

जयपुर. श्राद्ध पक्ष में पितरों के तर्पण से लेकर ब्राह्मण भोज की परंपरा रही है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए राजधानीवासी गलता तीर्थ भी पहुंच रहे हैं. वहीं अपने घरों पर ब्राह्मणों को भोजन भी कराया जा रहा है. खास बात ये है कि इस बार शहर वासियों ने ब्राह्मण भोज के साथ-साथ वृद्ध आश्रमों और सेवा केंद्रों में अल्पाहार और भोजन कराने की भी पहल की है.

भगवान राम और कृष्ण ने भी किया था श्राद्ध : भारतीय सनातन परंपरा में श्राद्ध का एक बड़ा महत्व है. भगवान श्रीराम ने भी अपने पिता दशरथ का श्राद्ध फल्गु नदी के तट पर किया था और फिर कालांतर में भगवान कृष्ण ने भी सभी पांडवों के साथ मिलकर श्राद्ध किया था. इसका उल्लेख महाभारत में मिलता है. इसे लेकर गलता तीर्थ के पीठाधीश्वर अवधेशाचार्य ने बताया कि सनातन धर्म में पितरों के श्राद्ध की परंपरागत व्यवस्था रही है. प्राचीन मान्यता है कि देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण से युक्त होकर मनुष्य जन्म लेता है और उनके निमित तर्पण करने से शांति मिलती है.

पढ़ें : Shraddha Paksha 2023 : श्राद्ध के भोजन में परोसे जा रहे रबड़ी के मालपुए और घेवर, दिए जाते हैं स्पेशल ऑर्डर

उन्होंने बताया कि पितरों की शांति बहुत आवश्यक है. मृत्यु के 3 साल बाद मृतक को पितरों में शामिल किया जाता है. इसके लिए हर श्राद्ध पक्ष में मृत्यु की तिथि पर तर्पण करना चाहिए. इसके साथ ही पिंडदान का भी महत्व है. इसमें तिल, जौ और कुश का महत्व है. उन्होंने बताया कि श्राद्ध पक्ष 14 अक्टूबर तक चलने वाला है. उसमें विधान यही है कि जिस तिथि पर व्यक्ति की मौत हुई है, उस तिथि पर श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध करना चाहिए. इसके अलावा ऐसे पूर्वज जिनकी मृत्यु तिथि की जानकारी नहीं है, उनके लिए सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध करना चाहिए. वहीं श्राद्ध में गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देवता के लिए भोग निकालना चाहिए.

वृद्ध आश्रमों के 7000 से ज्यादा बुजुर्गों के भोजन की हुई एडवांस बुकिंग : उधर, सनातन धर्म की इस परंपरा को निर्वहन करने के साथ-साथ शहर वासियों ने अब एक नई पहल भी की है. जिसके तहत घर में बनाए गए सात्विक भोजन और फलों को वितरित करने के लिए शहरवासी विभिन्न वृद्ध आश्रम, सेवा केंद्रों और अनाथालयों तक पहुंच रहे हैं. खास बात यह है कि इस पहल से बड़ी संख्या में लोग जुड़ रहे हैं. यही वजह है कि पूरे श्राद्ध पक्ष में वृद्ध आश्रमों में रह रहे करीब 7000 से ज्यादा बुजुर्गों के सुबह-शाम का भोजन और नाश्ते की एडवांस बुकिंग हो चुकी है.

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