जयपुर. राजधानी जयपुर में लगातार बढ़ते अपराध और असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगाने के लिए जयपुर पुलिस ने अनूठी पहल करते हुए गुरुवार को एक मोबाइल एप लॉन्च किया है. इसे 'नजर' नाम दिया गया है. इसकी मदद से बीट कांस्टेबल घर-घर और दुकानों पर जाकर घरेलू नौकरों और किराएदारों का सर्वे करेंगे. इस एप का मकसद जयपुर में रह रहे लोगों को सुरक्षा मुहैया करवाने के साथ ही अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण करना है.
जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने बताया कि राजधानी का विस्तार होने के साथ ही आपराधिक गतिविधियां भी बढ़ी हैं. कई बार सामने आता है कि किसी घर में किराए पर रह रहा कोई व्यक्ति अपराध करके फरार हो जाता है. ऐसी घटनाओं से बचने के लिए अब ये मोबाइल एप लॉन्च किया है. इसके पहले चरण में सभी बीट कांस्टेबल को यह मोबाइल एप मुहैया करवाया जाएगा. बीट कांस्टेबल घर-घर और दुकानों पर जाकर वहां रह रहे किराएदारों और घरेलू नौकरों की जानकारी इस मोबाइल एप में दर्ज करेंगे. इससे उनकी जानकारी व मोबाइल नंबर पुलिस के पास डिजिटली सुरक्षित रहेंगे और जरूरत पड़ने पर पुलिस एक क्लिक में पूरी जानकारी हासिल कर सकेगी.
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अगले चरण में हर व्यक्ति तक पहुंचेगा एप - कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने बताया कि फिलहाल यह एप पुलिस के बीट कांस्टेबल को ही मुहैया करवाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के अगले चरण में जयपुर शहर के हर व्यक्ति को प्ले स्टोर-एप स्टोर के जरिए नजर एप मुहैया करवाया जाएगा. इसे मोबाइल नंबर और ओटीपी के जरिए ऑपरेट किया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि इस एप की मदद से लोग घर बैठे ही अपने घरेलू नौकरों और किराएदारों की जानकारी एप पर अपडेट कर सकेंगे.
ये है नए एप का मकसद - जयपुर कमिश्नरेट इलाके में रहने वाले लोगों और व्यवसायियों को सुरक्षित वातावरण मुहैया करवाने के लिए हर घर तक पुलिस की पहुंच सुनिश्चित करने के साथ ही जयपुर में आने वाले प्रवासियों का रिकॉर्ड भी रखा जाएगा. वहीं, इस एप की मदद से अब जयपुर में छिपकर रह रहे असामाजिक और आपराधिक तत्वों की पहचान भी संभव होगी. इसके अलावा लोगों का डाटा भी डिजिटली संग्रहित होगा.
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संपत्ति मलिक को भी मिलेगा रेफरेंस नंबर - बीट कांस्टेबल जयपुर के हर घर, दुकान, होटल और ऑफिस पहुंचेंगे. संपत्ति स्वामी की जानकारी एप में दर्ज करेंगे. यहां लगे बिजली बिल की जानकारी दर्ज किया जाएगा. नौकरों और किराएदारों की जानकारी के साथ ही फोटो, आधार कार्ड या अन्य परिचय पत्र, मोबाइल नंबर और वाहन नंबर एप में दर्ज किया जाएगा. बीट कांस्टेबल की ओर से दर्ज की जाने वाली जानकारी को डिजिटली वैरिफाई किया जाएगा. पूरी जानकारी दर्ज होने के बाद सर्वे रेफरेंस नंबर संपत्ति स्वामी के मोबाइल पर एसएमएस के जरिए पहुंचेगा.