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Lok Adalat jaipur: भूखंड की रजिस्ट्री किए बिना नहीं वसूल सकते मेंटेनेंस शुल्क - राजस्थान लेटेस्ट न्यूज

जयपुर मेट्रो प्रथम की स्थाई लोक अदालत ने टाउनशिप में स्थित भूखंड के मेंटेनेंस से जुड़े मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि रजिस्ट्री किए बिना मेंटेनेंस शुल्क नहीं वसूल सकते.

Jaipur Metro First Permanent Lok Adalat,  Permanent Lok Adalat
भूखंड की रजिस्ट्री किए बिना नहीं वसूल सकते मेंटेनेंस शुल्क.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 19, 2023, 9:02 PM IST

जयपुर. राजधानी में जयपुर मेट्रो-प्रथम की स्थाई लोक अदालत ने टाउनशिप में स्थित भूखंड के मेंटेनेंस शुल्क से जुडे़ मामले में कहा है कि भूखंड की रजिस्ट्री हुए बिना आवंटी से मेंटेनेंस शुल्क की वसूली नहीं की जा सकती. लोक अदालत ने कहा कि भूखंड की रजिस्ट्री नहीं होने के चलते परिवादी को खरीदार की श्रेणी में नहीं मान सकते. ऐसे में रजिस्ट्री होने के बाद ही विकासकर्ता मेंटेनेंस शुल्क वसूलने के अधिकारी होंगे.

इसके साथ ही अदालत ने अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर को निर्देश दिए हैं कि वह दो महीने में भूखंड की रजिस्ट्री कराए और इसके बाद ही परिवादी भी नियमानुसार मेंटेनेंस शुल्क अदा करे. लोक अदालत के अध्यक्ष हरविन्दर सिंह ने यह आदेश रामस्वरूप शर्मा के परिवाद पर दिए. परिवाद में अधिवक्ता पवन शर्मा ने बताया कि परिवादी ने अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड से अंसल सुशांत सिटी प्रथम टाउनशिप में 14 दिसम्बर 2005 को भूखंड खरीदा था, लेकिन मेंटेनेंस शुल्क को लेकर उनके बीच कोई कॉन्ट्रेक्ट नहीं हुआ था.

पढ़ेंः लोक अदालत में 46.96 लाख मुकदमों का हुआ निस्तारण, 1263 करोड़ रुपए का मुआवजा दिलवाया

पढ़ेंः बीमारी के इलाज पर खर्च हुए 10 लाख रुपए दे बीमा कंपनी-स्थाई लोक अदालत

इस दौरान 31 मार्च 2022 तक कंपनी ने मेंटेनेंस को लेकर कोई राशि खर्च नहीं की. कई बार विपक्षी से आग्रह करने के बाद भी उसने भूखंड की रजिस्ट्री नहीं कराई, लेकिन बाद में विपक्षी ने परिवादी पर मेंटेनेंस के 3,46,170 रुपए बकाया निकाल दिए और यह राशि जमा होने के बाद ही एनओसी देने की बात कही. विपक्षी की इस कार्रवाई को परिवादी ने स्थाई लोक अदालत में चुनौती दी.

जयपुर. राजधानी में जयपुर मेट्रो-प्रथम की स्थाई लोक अदालत ने टाउनशिप में स्थित भूखंड के मेंटेनेंस शुल्क से जुडे़ मामले में कहा है कि भूखंड की रजिस्ट्री हुए बिना आवंटी से मेंटेनेंस शुल्क की वसूली नहीं की जा सकती. लोक अदालत ने कहा कि भूखंड की रजिस्ट्री नहीं होने के चलते परिवादी को खरीदार की श्रेणी में नहीं मान सकते. ऐसे में रजिस्ट्री होने के बाद ही विकासकर्ता मेंटेनेंस शुल्क वसूलने के अधिकारी होंगे.

इसके साथ ही अदालत ने अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर को निर्देश दिए हैं कि वह दो महीने में भूखंड की रजिस्ट्री कराए और इसके बाद ही परिवादी भी नियमानुसार मेंटेनेंस शुल्क अदा करे. लोक अदालत के अध्यक्ष हरविन्दर सिंह ने यह आदेश रामस्वरूप शर्मा के परिवाद पर दिए. परिवाद में अधिवक्ता पवन शर्मा ने बताया कि परिवादी ने अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड से अंसल सुशांत सिटी प्रथम टाउनशिप में 14 दिसम्बर 2005 को भूखंड खरीदा था, लेकिन मेंटेनेंस शुल्क को लेकर उनके बीच कोई कॉन्ट्रेक्ट नहीं हुआ था.

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इस दौरान 31 मार्च 2022 तक कंपनी ने मेंटेनेंस को लेकर कोई राशि खर्च नहीं की. कई बार विपक्षी से आग्रह करने के बाद भी उसने भूखंड की रजिस्ट्री नहीं कराई, लेकिन बाद में विपक्षी ने परिवादी पर मेंटेनेंस के 3,46,170 रुपए बकाया निकाल दिए और यह राशि जमा होने के बाद ही एनओसी देने की बात कही. विपक्षी की इस कार्रवाई को परिवादी ने स्थाई लोक अदालत में चुनौती दी.

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