जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने कहा है कि ग्राम सेवक पद पर समायोजित कर्मचारी को चयनित वेतनमान देने के लिए उसकी सेवा अवधि की गणना उसकी पूर्व विभाग में नियुक्ति तिथि से की जाए. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता के मृतक पति के सेवाकाल की गणना उसके नियमित नियुक्ति तिथि से कर चयनित वेतनमान और समस्त परिलाभ देने को कहा है. हाइकोर्ट ने यह आदेश अरुणा जैन की याचिका पर दिए हैं.
पीड़ित के पति की पहली नियुक्ति बेलदार के रूप में हुई थीः याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया की याचिकाकर्ता के पति संजय जैन की नियुक्ति एक अप्रैल 1987 को वन विभाग में बेलदार के तौर पर हुई थी. दो साल की सेवा के बाद उसे अर्द्ध स्थाई किया गया. वहीं सन 2000 में उसे विभाग अधिशेष घोषित कर पंचायती राज विभाग में समायोजित किया गया. याचिक में कहा गया की 18 मार्च 2016 को पंचायती राज विभाग ने सभी जिला परिषदों को निर्देश जारी किए की ग्राम सेवक पद पर समायोजित कर्मचारियों को चयनित वेतनमान और एसीपी का लाभ देने के लिए उनके सेवाकाल की गणना समायोजन की तिथि से ही होगी.
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कोर्ट ने कहा कि संशोधित पेंशन का लाभ दिया जाएः इस आदेश के आधार याचिकाकर्ता के पति को 18 वर्ष व 27 वर्ष का चयनित वेतनमान और एसीपी का निर्धारण किया गया. वहीं पति की मौत के बाद इसी आधार पर पेंशन आदि की गणना की गई. याचिका में कहा गया की सुप्रीम कोर्ट गुलाम रसूल के मामले में निर्देश दे चुका है कि अधिशेष कर्मचारियों को चयनित वेतनमान देने के लिए उनकी ओर से पूर्व के विभाग में दी गई सेवाकाल को भी जोड़ा जाए और उसी के आधार पर संशोधित पेंशन आदि का लाभ दिया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के पति के सेवाकाल की गणना पूर्व के विभाग में दी गई सेवा को जोड़ते हुए पारिवारिक पेंशन देने को कहा है.