जयपुर. समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट के ऊपर है, लेकिन इस बीच देशभर में इस मुद्दे पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही है. हिंदू सामाजिक संगठन, संत समाज सहित कई संगठनों ने समलैंगिक विवाह का विरोध किया है. विश्व हिंदू परिषद ने भी इस तरह के विवाह को संस्कृति के खिलाफ बताया है.
वीएचपी इस विवाह के खिलाफः वीएचपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरएन सिंह ने इस समलैंगिक विवाह को हिंदू धर्म के विरुद्ध बताया. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में इस तरह के विवाह को मान्यता नहीं है. विश्व हिंदू परिषद इसके खिलाफ है. उन्होंने यह भी मांग रखी कि इस पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट में नहीं बल्कि विधायिका में रखा जाना चाहिए. इसके साथ ही आरएन सिंह ने पिछले दिनों जोधपुर में पाक विस्थापित के मकानों पर चले बुलडोजर को लेकर भी गहलोत सरकार को निशाने पर लिया और कहा कि प्रदेश में जबसे कांग्रेस सरकार बनी है तब से तुष्टीकरण की नीति अपनाई जा रही है.
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सुप्रीम कोर्ट इस पर निर्णय न लेः आरएन सिंह ने कहा कि समलैंगिक विवाह को लेकर विधि मान्यता देने में जो निर्णय देने में तत्परता दिखाई जा रही है, उसका विश्व हिंदू परिषद आज की वर्तमान परिस्थिति में भरपूर विरोध करता है. समाज में इस संदर्भ में जो रिएक्शन आया है. वह साफ बताता है कि इस तरह के विवाह की हमारी संस्कृति में स्वीकारिता नहीं है. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय जो तत्परता दिखा रहा है, इस निर्णय को करने में समाज इसको स्वीकार नहीं करेगा. हम सर्वोच्च न्यायालय से यह निवेदन करेंगे की इस पूरे मामले में अपना फैसला देने की बजाय उस पर निर्णय के लिए विधायिका के पास भेज देना चाहिए.
विधायिका को इस पर फैसला लेना चाहिएः आरएन सिंह ने कहा जन भवन क्या है और संस्कृति क्या कहती है. इस पर विधायिका निर्णय करे. जनता में जिस तरह का रिएक्शन सामने आ रहा है वो ठीक नहीं है. देश की जनता इस तरह के विवाह को स्वीकार नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि विधायिका ही जन मानस की भावना के अनुसार समलैंगिक विवाह को लेकर अपना निर्णय तय कर देगी. उन्होंने कहा कि अगर इस तरह के समलैंगिक विवाह को मान्यता दी जाती है तो इस समाज के लिए घातक होगा.
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कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति ः डॉ. आरएन. सिंह ने पाक विस्थापितों के मकान तोड़े जाने पर भी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से जो हमारे हिंदू भाई आए हैं. उनके मकान बिना किसी ठोस आधार के तोड़े गए और उनको बेघर किया गया. वीचएपी इसकी घोर भर्त्सना करती है. हम पाकिस्तान से हमेशा मांग करते रहते हैं कि वहां पर हमारे हिंदू भाइयों के अधिकारों का ख्याल रखा जाए. उनके धर्म की मान्यता में कोई दखल नहीं दे. लेकिन जब ये समाचार पाकिस्तान पहुंचेगा कि भारत में ही पाक हिंदू विस्थापितों के मकान तोड़े गए. हमारे देश में पाक विस्थापितों के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार किया गया तो, फिर किस तरह से हम उनके सामने अपनी मांग रख सकेंगे.
राष्ट्रपति को भेजा गया है विरोध पत्रः दूसरी ओर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के विरोध में राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया है. जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन शर्मा जवानपुरा ने लिखा है राष्ट्रपति को पत्र. देश की प्राचीन मान्यता और सामाजिक व्यवस्था में विवाह एक महत्वपूर्ण गतिविधि है. देश के संविधान के अनुच्छेद 246 के अंतर्गत विवाह को कानूनी मान्यता. पवन शर्मा जवानपुरा ने राष्ट्रपति को ज्ञापन पत्र भेजकर समलैंगिक विवाह कानून मान्यता लागू नहीं करने की मांग की है. जिस तरह से दिन और रात, धूप और छांव उसी प्रकार से समाज में नर और नारी दोनों ही सामाजिक प्रकृति में वैवाहिक व्यवस्था के लिए आवश्यक अंग हैं. समलैंगिक विवाह पद्धति प्रकृति के बनाए हुए नियमों के विरुद्ध कार्य है. जिससे भविष्य में देश में समाज में अनेक दुष्परिणाम सामने आएंगे.