जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग, तृतीय ने दोषपूर्ण ई-स्कूटर की बिक्री करने को सेवा दोष मानते हुए इसे अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करार दिया है. इसके साथ ही आयोग ने विपक्षी एसकेएस इंटरप्राइजेज को आदेश दिए हैं कि वह परिवादी का खराब ई-स्कूटर बदल कर एक माह में नया स्कूटर दें. ऐसा नहीं करने पर आयोग ने स्कूटर की कीमत के तौर पर वसूले गए 85 हजार रुपए 9 फीसदी ब्याज सहित लौटाने को कहा है. इसके अलावा आयोग ने परिवादी को हुए मानसिक संताप के लिए विपक्षी कंपनी पर 11 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया है. आयोग के अध्यक्ष देवेन्द्र मोहन माथुर व सदस्य सीमा शर्मा ने यह आदेश मुन्नालाल जैन के परिवाद पर दिए.
खरीदने के कुछ दिन बाद ही खराब : परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने दैनिक उपयोग के लिए विपक्षी से 21 जनवरी 2023 को 85 हजार रुपए में एक ई-स्कूटर खरीदा. स्कूटर के पार्ट्स पर दो साल की वारंटी थी और खराबी सही नहीं होने पर ई-स्कूटर को रिप्लेस करने की बात कही गई थी. परिवादी ने 70 फीसदी दिव्यांग होने के चलते उस पर दो अतिरिक्त टायर और लगवाए, लेकिन कुछ दिन बाद ही ई-स्कूटर की बैटरी चार्ज होना बंद हो गई और टायर में हवा नहीं रुकी. इसकी शिकायत करने पर विपक्षी ने अपना कर्मचारी भेजा. कर्मचारी स्कूटर सही करने की बात कहकर ले गया.
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ठीक करवाने के बाद भी परेशानी : बाद में 13 फरवरी 2023 को विपक्षी ने बिल सहित ई-स्कूटर भिजवा दिया और कहा कि आगे परेशानी नहीं होगी, लेकिन दो दिन बाद ही स्कूटर वापस खराब हो गया. विपक्षी ने चार्जर को दिल्ली भेजकर सही करवाने के लिए कहा और उसे दूसरा चार्जर दे दिया. इसके बावजूद भी ई-स्कूटर कभी भी सही चार्ज नहीं हुआ और परिवादी को अत्यधिक परेशानी हुई. परिवाद में कहा गया कि ई-स्कूटर में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट था, लेकिन विपक्षी ने उसे नहीं बदला. इस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने स्कूटर बदलकर देने या उसकी कीमत ब्याज सहित लौटाने को कहा है.