जयपुर. कोरोना के बाद सेहत की सवारी साइकिल के प्रति लोगों में क्रेज जयपुर में बढ़ा है. यही वजह है कि यहां साइकिल ट्रैक बनाए जाने की मांग भी उठी. जिस पर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत कागजी कार्रवाई शुरू हो चुकी है. साइकिल ट्रैक के साथ-साथ शहर वासियों को बतौर ट्रांसपोर्टेशन 50 साइकिल स्टैंड बनाकर राह सुगम करने की तैयारी की जा रही है. लेकिन यही स्मार्ट सिटी पूर्व में बनाए गए 20 साइकिल स्टैंड को लगभग भूला चुकी है. आज उन स्टैंडों पर साइकिल नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के घरौंदे बने हैं.
![साइकिल स्टैंड पर साइकिल की जगह बना घरौंदा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-jpr-01-cycle-pkg-7201174_03062023092326_0306f_1685764406_383.jpg)
समय के साथ जरूरतें बदली, साइकिल की जगह तेज रफ्तार वाले वाहनों ने ले ली. हालांकि कोरोना काल में लोगों को अपनी हेल्थ के प्रति सोचने को मजबूर किया. जिसके चलते एक बार फिर शहर वासियों ने साइकिल को अपना लिया. अब शहर भर में सुबह स्वच्छ वातावरण में शहरवासियों को साइकिलिंग करते देखा जा सकता है. ये साइकिल उनके लिए एक्सरसाइज का माध्यम बन गई है. हालांकि एक वर्ग ऐसा भी है जिसके लिए साइकिल आज भी यातायात का साधन है. इसके बाद भी प्रदेश के किसी भी शहर में साइकिल ट्रैक नहीं है. जयपुर में 1990 जरूर विद्याधर नगर में पहला साइकिल ट्रैक बनाया गया था, लेकिन देखरेख के अभाव में आज सिर्फ उसके निशां बाकी है. वहीं राजधानी में अब जल महल के पास और जगतपुरा आरओबी से एनआरआई चौराहे तक साइकिल ट्रैक प्रस्तावित है.
![साइकिल स्टैंड पर साइकिल की जगह बना घरौंदा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-jpr-01-cycle-pkg-7201174_03062023092326_0306f_1685764406_1052.jpg)
वहीं स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत ही अब राजधानी में 50 साइकिल स्टैंड बनाने, मल्टीस्टोरी हाउसिंग और सरकारी कार्यालयों में डॉकलेस बनाने की तैयारी की जा रही है. एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (एक्सईएन) अमित गर्ग ने बताया कि साइकिल को वर्किंग कल्चर में भी लाने की तैयारी है. इसके लिए एक नया टेंडर करने जा रहे हैं. जिसके तहत एक साइकिल ट्रैक विकसित किया जाएगा. ये जल महल के पीछे प्रस्तावित है. यहां साइकिल चालकों को हल्का नाश्ता और सॉफ्ट ड्रिंक आदि उपलब्ध कराने के लिए कुछ शॉप और कैफे भी शुरू किए जाएंगे. इसके अलावा पूर्व में बने 20 स्टैंड को शामिल करते हुए 50 साइकिल स्टैंड तैयार होंगे. उन्हें इस तरह से विकसित किया जाएगा ताकि एक वर्किंग पर्सन उसे इस्तेमाल करते हुए अपने गंतव्य तक पहुंच सके. जिस तरह कनेक्टेड बूट पर मेट्रो संचालित होती है, उसी तरह साइकिल स्टैंड भी कनेक्टेड रूट पर निर्मित किए जाएंगे. साथ ही मल्टीस्टोरी हाउसिंग्स और गवर्नमेंट ऑफिस में डॉकलेस तैयार करने जा रहे हैं.
हालांकि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जो 20 साइकिल स्टैंड बनाए गए थे, ईटीवी भारत ने जब उनकी हकीकत की तो वहां साइकिल नहीं मिली. बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों ने अपने आशियाने बना लिए हैं. इस संबंध में एक्सईएन अमित गर्ग ने कहा कि वर्तमान में निर्मित 20 ट्रैक ऑपरेशनल नहीं है. इस वजह से वहां निगरानी नहीं बरती जाती है. अगर कोई गतिविधि चल रही है तो उसे हटाया भी जाता है. पुरानी कंपनी अभी काम नहीं कर रही है इसलिए अब नया टेंडर करने की तैयारी है.
उधर, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत किशनपोल स्मार्ट रॉड पर नॉन मोटराइज्ड व्हीकल लेन तैयार की गई थी. लेकिन वहां गाड़ियां पार्क रहती है. इस पर एक्सईएन ने कहा कि किशनपोल में नॉन मोटर व्हीकल लेन विकसित की गई थी, लेकिन वहां पार्किंग की समस्या रहती है. इस वजह से वहां साइकिलिंग नहीं हो पा रही है. इसी वजह से अब एक डेडीकेटेड ट्रैक बनाने की तैयारी है. बहरहाल, स्मार्ट सिटी प्रशासन अपने पुराने संसाधनों को सहेज नहीं सका और अब करोड़ों रुपए खर्च करने के लिए नई फाइल तैयार कर लिया है