जयपुर. अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम- 10 महानगर प्रथम ने तलाक से जुड़े मामले में कहा है कि विवाहोत्तर संबंध के आधार पर तलाक याचिका दायर की गई है. ऐसे में जिस व्यक्ति के साथ विवाहोत्तर संबंध का आरोप है, वह भी याचिका निस्तारण के लिए जरूरी पक्षकार होगा. इसके साथ ही अदालत ने महिला के दोस्त का नाम तलाक अर्जी से हटाने के संबंध में दायर प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है.
मामले के अनुसार एक निजी बैंक में कार्यरत प्रार्थी की शादी बिजली विभाग में जेईएन पद पर कार्यरत महिला से वर्ष 2013 में हुई थी. इस दौरान शादी नियमित रही और 2019 में उनके एक बेटा हुआ. वहीं प्रार्थी को उसकी पत्नी के किसी अन्य सरकारी सेवा में कार्यरत व्यक्ति के साथ विवाहोत्तर संबंधों में होने का पता चला. उसने सोशल मीडिया पर उनकी चैट और होटल में एक साथ रुकने की जानकारी लगी. इन सब आधारों पर पति ने विवाहोत्तर संबंधों का हवाला देते हुए पत्नी से तलाक लेने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की. इसमें पत्नी के दोस्त को भी पक्षकार बनाया गया.
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याचिका से नाम हटाने की गुहार खारिज : पत्नी के दोस्त ने तलाक की याचिका में उसका नाम हटाने के लिए कोर्ट में अर्जी दायर कर कहा कि उसे हिन्दू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार पक्षकार बनाया है. वह न तो मामले में पति है और न ही पत्नी, इसलिए उसका नाम याचिका से हटाया जाए. इसको अदालत ने खारिज कर दिया.