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चुनावी साल में जेलकर्मी भी आंदोलन की राह पर, वेतन विसंगति दूर करने की मांग - जेलकर्मी भी आंदोलन की राह पर

चुनावी साल में वेतन विसंगति दूर करने की अपनी वर्षों पुरानी मांग को लेकर जेलकर्मी भी अब आंदोलन की राह पर हैं. सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए अब जेलकर्मी मंगलवार 13 जून से एक सप्ताह तक काली पट्टी बांधकर काम करेंगे.

Rajasthan Jail Departmet
जेलकर्मी भी आंदोलन की राह पर
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Published : Jun 12, 2023, 7:05 PM IST

जयपुर. चुनावी साल में जहां अलग-अलग कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठे हैं. अब वेतन विसंगति दूर करने की अपनी कई सालों पुरानी मांग को लेकर जेलकर्मियों ने भी आंदोलन की रह पकड़कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है. अब 13 जून (मंगलवार) से जेलकर्मी आंदोलन के तहत काली पट्टी बांधकर काम करेंगे और अपनी मांगों की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करेंगे. इसके बाद भी यदि कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए जाते हैं तो जेलकर्मी कार्य और मैस का बहिष्कार भी करेंगे.

अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि 1988 से 1998 तक कारागार विभाग में प्रहरी व मुख्य प्रहरी का वेतनमान पुलिस विभाग के कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल के बराबर था. लेकिन वित्त विभाग द्वारा 1 मार्च 1998 को पुलिस विभाग के कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन किया गया था. इसके बाद से जेल कर्मियों के वेतनमान में असमानता उत्पन्न हुई है और जेल कर्मी इस वेतन विसंगति को दूर करने की मांग कर रहे हैं.

पढ़ें : Special : यहां जेल में बंदी बनाएंगे LED बल्ब और लाइट्स, करेंगे गार्डनिंग

पिछले दिनों आंदोलनकारी जेलकर्मियों से मुख्यमंत्री ने मुलाकात कर उनकी मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाने का आश्वासन दिया था. लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. इससे जेलकर्मियों में गुस्सा है. उन्होंने कहा कि अब राज्य के सभी जेलकर्मी महासंघ के बैनर तले अनुशासन में रहते हुए 13 जून से सात दिन तक काली पट्टी बांधकर काम करेंगे और सरकार का ध्यान अपनी मांगों की तरफ आकर्षित करवाएंगे. इसके बाद भी यदि सुनवाई नहीं हुई तो कार्य और मैस का बहिष्कार कर जेलकर्मी अपने आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे.

साल 2017 में सरकार ने किया था समझौता : अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि 2017 में सभी जेल कार्मिकों ने मैस का बहिष्कार कर भूखे रहकर ड्यूटी का निर्वहन किया था. इस पर राज्य सरकार व विभाग के उच्च अधिकारियों के बीच 9 जुलाई 2017 को लिखित समझौता हुआ. जिसमें जेल कर्मियों का वेतन पुलिस महकमे के समान करने पर सहमति दी गई थी. लेकिन आज तक इस समझौते की पालना नहीं हुई है. अपनी मांगों को लेकर जेलकर्मियों ने एक बार फिर इस साल 13 जनवरी को मैस का बहिष्कार कर ड्यूटी का निर्वहन किया था. इस पर 18 जनवरी को अधिकारियों के आश्वासन के बाद मैस का बहिष्कार वापस लिया गया. प्रतिनिधि मंडल से सीएम अशोक गहलोत भी मिले, लेकिन अभी तक समस्या जस की तस हैं.

जयपुर. चुनावी साल में जहां अलग-अलग कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठे हैं. अब वेतन विसंगति दूर करने की अपनी कई सालों पुरानी मांग को लेकर जेलकर्मियों ने भी आंदोलन की रह पकड़कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है. अब 13 जून (मंगलवार) से जेलकर्मी आंदोलन के तहत काली पट्टी बांधकर काम करेंगे और अपनी मांगों की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करेंगे. इसके बाद भी यदि कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए जाते हैं तो जेलकर्मी कार्य और मैस का बहिष्कार भी करेंगे.

अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि 1988 से 1998 तक कारागार विभाग में प्रहरी व मुख्य प्रहरी का वेतनमान पुलिस विभाग के कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल के बराबर था. लेकिन वित्त विभाग द्वारा 1 मार्च 1998 को पुलिस विभाग के कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन किया गया था. इसके बाद से जेल कर्मियों के वेतनमान में असमानता उत्पन्न हुई है और जेल कर्मी इस वेतन विसंगति को दूर करने की मांग कर रहे हैं.

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पिछले दिनों आंदोलनकारी जेलकर्मियों से मुख्यमंत्री ने मुलाकात कर उनकी मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाने का आश्वासन दिया था. लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. इससे जेलकर्मियों में गुस्सा है. उन्होंने कहा कि अब राज्य के सभी जेलकर्मी महासंघ के बैनर तले अनुशासन में रहते हुए 13 जून से सात दिन तक काली पट्टी बांधकर काम करेंगे और सरकार का ध्यान अपनी मांगों की तरफ आकर्षित करवाएंगे. इसके बाद भी यदि सुनवाई नहीं हुई तो कार्य और मैस का बहिष्कार कर जेलकर्मी अपने आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे.

साल 2017 में सरकार ने किया था समझौता : अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि 2017 में सभी जेल कार्मिकों ने मैस का बहिष्कार कर भूखे रहकर ड्यूटी का निर्वहन किया था. इस पर राज्य सरकार व विभाग के उच्च अधिकारियों के बीच 9 जुलाई 2017 को लिखित समझौता हुआ. जिसमें जेल कर्मियों का वेतन पुलिस महकमे के समान करने पर सहमति दी गई थी. लेकिन आज तक इस समझौते की पालना नहीं हुई है. अपनी मांगों को लेकर जेलकर्मियों ने एक बार फिर इस साल 13 जनवरी को मैस का बहिष्कार कर ड्यूटी का निर्वहन किया था. इस पर 18 जनवरी को अधिकारियों के आश्वासन के बाद मैस का बहिष्कार वापस लिया गया. प्रतिनिधि मंडल से सीएम अशोक गहलोत भी मिले, लेकिन अभी तक समस्या जस की तस हैं.

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