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International Museum Day 2023 : विश्व संग्रहालय दिवस पर जानिए राजस्थान के इन 5 म्यूजियम की खासियत

राजस्थान इतिहास, धरोहर और विरासत को प्रदर्शित करने के लिहाज से जाना जाता है. यहां के हर क्षेत्र में कुछ विशेष खासियत होती है. फिर भी पांच ऐसे संग्रहालय हैं, जिन्हें अक्सर उन शहरों में जाने वाले लोग घूमना पसंद करते हैं. इनमें से राजधानी जयपुर का सिटी पैलेस म्यूजियम और अल्बर्ट हॉल संग्रहालय शामिल है.

International Museum Day 2023
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Published : May 18, 2023, 9:43 AM IST

जयपुर. इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ म्यूजियम (आईकॉम) के आह्वान पर हर साल 18 मई को विश्व संग्रहालय दिवस मनाया जाता है. पहली मर्तबा साल 1977 में इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई थी. शुरुआत में दुनिया के करीब 80 देश इस मुहिम में शामिल हुए थे. पर बीसवीं सदी में दाखिल होने के बाद दुनिया के हर देश में संग्रहालय इस खास दिन को मनाते हैं. क्या खास दिन पैगाम देता है कि दुनिया भर में इतिहास के नजरिए से म्यूजियम का क्या महत्व है और कैसे विरासत को सहेजने के लिए जागरूकता रखनी चाहिए. साल 2023 इस खास दिन को म्यूजियम स्टेबिलिटी एंड वेलफेयर की टीम के आधार पर सेलिब्रेट किया जा रहा है. राजस्थान में इस खास मौके पर सभी संग्रहालय आने वाले पर्यटकों को मुफ्त में प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व के सहेजे गए सामान का दीदार करवाएंगे. इस विशेष अवसर पर हम आपको राजस्थान के उन चुनिंदा पांच संग्रहालय उनकी जानकारी देते हैं.

राजस्थान के टॉप 5 म्यूजियम : राजस्थान इतिहास, धरोहर और विरासत को प्रदर्शित करने के लिहाज से जाना जाता है. यहां के हर क्षेत्र में कुछ विशेष खासियत होती है. फिर भी पांच ऐसे संग्रहालय हैं, जिन्हें अक्सर उन शहरों में जाने वाले लोग घूमना पसंद करते हैं. इनमें से राजधानी जयपुर का सिटी पैलेस म्यूजियम और अल्बर्ट हॉल संग्रहालय शामिल है. वहीं, बीकानेर में गंगा संग्रहालय, उदयपुर में आहड़ संग्रहालय और भरतपुर में राजकीय संग्रहालय प्रमुख है.

सिटी पैलेस म्यूजियम, जयपुर : जयपुर के सिटी पैलेस संग्रहालय में कई राजा महाराजाओं के इस्तेमाल किए गये निजी सामान को संग्रह करके रखा गया है. इस संग्रहालय को महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने बनवाया था. म्युजियम में कई कॉन्प्लेक्स जैसे मुबारक महल, प्रीतम चौक, चंद्र महल, सभा निवास और सर्वतोभद चौक देखने को मिलते हैं. वहीं इसे अंदर से पांच हिस्सों में बांटा गया है, जिन्हें कपड़ा गैलरी, सभा निवास, सिलेह खाना, पेंटिंग और फोटोग्राफी गैलरी और सर्वतोभद के नाम से जाना जाता है. सिटी पैलेस को दो आर्किटेक्ट विद्याधर भट्टाचार्य और सर सैमुअल स्विंटन जैकब ने डिजाइन किया था. इसमें रखे चांदी की विशाल कलश और माधव शिव प्रथम की पहनी गई बेशकीमती ड्रेस मुख्य रूप से सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र होती है. इसके अलावा पूर्व राजपरिवार के हथियार भी यहां प्रदर्शित किए गए हैं.

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सिटी पैलेस म्यूजियम, जयपुर

पढ़ें : International Museum Day 2023 : 6 साल बाद भी नहीं संवारा जा सका विरासत संग्रहालय, एक बग्गी और दो कठपुतली बढ़ा रहे शोभा, पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट

राजकीय संग्रहालय, भरतपुर : भरतपुर का राजकीय संग्रहालय लोहागढ़ किले के परिसर में मौजूद है. संग्रहालय में प्राचीन कलाकृतियां, मूर्तियां, स्मृति चिह्न और पुरातात्विक संसाधनों को संजोया गया है. संग्रहालय में रखी प्राचीन मूर्तियां नोंह, मलाह, बयाना जैसे इलाक़ों में खुदाई के दौरान मिली थीं. संग्रहालय में 18 वी शताब्दी की बंदूक, तोपें, हथियार, अस्त्र, शस्त्र भी रखे हैं. संग्रहालय को चार भागों में बांटा गया है, पुरातत्व, बच्चों की गैलरी, शस्त्रागार, कला और शिल्प-उद्योग शामिल है. संग्रहालय सुबह 10 बजे से शाम 4:30 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है.

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राजकीय संग्रहालय, भरतपुर

आहड़ संग्रहालय, उदयपुर : उदयपुर में आहड़ सभ्यता से जुड़ा हुआ प्रदेश की अति प्राचीन जीवन शैली को प्रदर्शित करने वाला यह संग्रहालय काफी खास है. साल 1961-62 में उदयपुर के धूलकोट यानी मिट्टी की पहाड़ियों के बीच मिली संस्कृति के अंशों को इसमें सहेजा गया है. माना जाता है कि करीब जहां चार हजार साल पुराने अवशेष यहां दबे हुए थे. जहां प्राचीन आहड़ सभ्यता के अवशेष सहेजकर प्रदर्शित किये गये हैं. गौरतलब है कि साल, 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसका जीर्णोद्धार कराया था.

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आहड़ संग्रहालय, उदयपुर

पढ़ें : International Museum day 2023: दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी है यहां, 30 किलो है वजन

अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, जयपुर : जयपुर के अल्बर्ट हॉल म्यूजियम का इतिहास 100 साल से भी पुराना माना जाता है. साल 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट एडवर्ड की जयपुर यात्रा के दौरान इसकी नींव रखी गई थी. बाद में महाराजा सवाई माधव सिंह द्वितीय के कहने पर इसे संग्रहालय के रूप में तैयार करवाया गया. अल्बर्ट एडवर्ड के नाम से ही इस जगह को अल्बर्ट हॉल कहा जाता है. इस अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के अलावा विश्व के अन्य जगहों से लाई गई कलाकृतियों का संग्रह देखा जा सकता है. अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में प्राचीन समय के मिट्टी वाले बर्तन, सिक्के, संगमरमर से बनी कलाकृति के साथ-साथ मिश्र की ममी को भी देखा जा सकता है.

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अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, जयपुर

गंगा संग्रहालय (राजकीय), बीकानेर : पश्चिमी राजस्थान में प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को जानने के लिए बीकानेर के गंगा संग्रहालय की खास पहचान है. यहां पर हड़प्पा और प्राचीन गुप्त काल की पुरा महत्व की कलाकृतियों को सहेजा गया है. यह इतिहास के उन अवशेषों को आज की पीढ़ी से रूबरू कराता है, जिनके जरिए अति प्राचीन समय में चित्रकला, शिल्पकला, बुने हुए कालीन, मिट्टी के बर्तन प्राचीन सिक्के और शाही हथियार के बारे में जाना जा सकता है. सभी प्रकार के प्राचीन सामान को यहां पर अलग-अलग हिस्सों में करीने से सजा कर रखा गया है.

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गंगा संग्रहालय (राजकीय), बीकानेर

जयपुर. इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ म्यूजियम (आईकॉम) के आह्वान पर हर साल 18 मई को विश्व संग्रहालय दिवस मनाया जाता है. पहली मर्तबा साल 1977 में इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई थी. शुरुआत में दुनिया के करीब 80 देश इस मुहिम में शामिल हुए थे. पर बीसवीं सदी में दाखिल होने के बाद दुनिया के हर देश में संग्रहालय इस खास दिन को मनाते हैं. क्या खास दिन पैगाम देता है कि दुनिया भर में इतिहास के नजरिए से म्यूजियम का क्या महत्व है और कैसे विरासत को सहेजने के लिए जागरूकता रखनी चाहिए. साल 2023 इस खास दिन को म्यूजियम स्टेबिलिटी एंड वेलफेयर की टीम के आधार पर सेलिब्रेट किया जा रहा है. राजस्थान में इस खास मौके पर सभी संग्रहालय आने वाले पर्यटकों को मुफ्त में प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व के सहेजे गए सामान का दीदार करवाएंगे. इस विशेष अवसर पर हम आपको राजस्थान के उन चुनिंदा पांच संग्रहालय उनकी जानकारी देते हैं.

राजस्थान के टॉप 5 म्यूजियम : राजस्थान इतिहास, धरोहर और विरासत को प्रदर्शित करने के लिहाज से जाना जाता है. यहां के हर क्षेत्र में कुछ विशेष खासियत होती है. फिर भी पांच ऐसे संग्रहालय हैं, जिन्हें अक्सर उन शहरों में जाने वाले लोग घूमना पसंद करते हैं. इनमें से राजधानी जयपुर का सिटी पैलेस म्यूजियम और अल्बर्ट हॉल संग्रहालय शामिल है. वहीं, बीकानेर में गंगा संग्रहालय, उदयपुर में आहड़ संग्रहालय और भरतपुर में राजकीय संग्रहालय प्रमुख है.

सिटी पैलेस म्यूजियम, जयपुर : जयपुर के सिटी पैलेस संग्रहालय में कई राजा महाराजाओं के इस्तेमाल किए गये निजी सामान को संग्रह करके रखा गया है. इस संग्रहालय को महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने बनवाया था. म्युजियम में कई कॉन्प्लेक्स जैसे मुबारक महल, प्रीतम चौक, चंद्र महल, सभा निवास और सर्वतोभद चौक देखने को मिलते हैं. वहीं इसे अंदर से पांच हिस्सों में बांटा गया है, जिन्हें कपड़ा गैलरी, सभा निवास, सिलेह खाना, पेंटिंग और फोटोग्राफी गैलरी और सर्वतोभद के नाम से जाना जाता है. सिटी पैलेस को दो आर्किटेक्ट विद्याधर भट्टाचार्य और सर सैमुअल स्विंटन जैकब ने डिजाइन किया था. इसमें रखे चांदी की विशाल कलश और माधव शिव प्रथम की पहनी गई बेशकीमती ड्रेस मुख्य रूप से सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र होती है. इसके अलावा पूर्व राजपरिवार के हथियार भी यहां प्रदर्शित किए गए हैं.

International Museum Day 2023
सिटी पैलेस म्यूजियम, जयपुर

पढ़ें : International Museum Day 2023 : 6 साल बाद भी नहीं संवारा जा सका विरासत संग्रहालय, एक बग्गी और दो कठपुतली बढ़ा रहे शोभा, पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट

राजकीय संग्रहालय, भरतपुर : भरतपुर का राजकीय संग्रहालय लोहागढ़ किले के परिसर में मौजूद है. संग्रहालय में प्राचीन कलाकृतियां, मूर्तियां, स्मृति चिह्न और पुरातात्विक संसाधनों को संजोया गया है. संग्रहालय में रखी प्राचीन मूर्तियां नोंह, मलाह, बयाना जैसे इलाक़ों में खुदाई के दौरान मिली थीं. संग्रहालय में 18 वी शताब्दी की बंदूक, तोपें, हथियार, अस्त्र, शस्त्र भी रखे हैं. संग्रहालय को चार भागों में बांटा गया है, पुरातत्व, बच्चों की गैलरी, शस्त्रागार, कला और शिल्प-उद्योग शामिल है. संग्रहालय सुबह 10 बजे से शाम 4:30 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है.

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राजकीय संग्रहालय, भरतपुर

आहड़ संग्रहालय, उदयपुर : उदयपुर में आहड़ सभ्यता से जुड़ा हुआ प्रदेश की अति प्राचीन जीवन शैली को प्रदर्शित करने वाला यह संग्रहालय काफी खास है. साल 1961-62 में उदयपुर के धूलकोट यानी मिट्टी की पहाड़ियों के बीच मिली संस्कृति के अंशों को इसमें सहेजा गया है. माना जाता है कि करीब जहां चार हजार साल पुराने अवशेष यहां दबे हुए थे. जहां प्राचीन आहड़ सभ्यता के अवशेष सहेजकर प्रदर्शित किये गये हैं. गौरतलब है कि साल, 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसका जीर्णोद्धार कराया था.

International Museum Day 2023
आहड़ संग्रहालय, उदयपुर

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अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, जयपुर : जयपुर के अल्बर्ट हॉल म्यूजियम का इतिहास 100 साल से भी पुराना माना जाता है. साल 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट एडवर्ड की जयपुर यात्रा के दौरान इसकी नींव रखी गई थी. बाद में महाराजा सवाई माधव सिंह द्वितीय के कहने पर इसे संग्रहालय के रूप में तैयार करवाया गया. अल्बर्ट एडवर्ड के नाम से ही इस जगह को अल्बर्ट हॉल कहा जाता है. इस अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के अलावा विश्व के अन्य जगहों से लाई गई कलाकृतियों का संग्रह देखा जा सकता है. अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में प्राचीन समय के मिट्टी वाले बर्तन, सिक्के, संगमरमर से बनी कलाकृति के साथ-साथ मिश्र की ममी को भी देखा जा सकता है.

International Museum Day 2023
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, जयपुर

गंगा संग्रहालय (राजकीय), बीकानेर : पश्चिमी राजस्थान में प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को जानने के लिए बीकानेर के गंगा संग्रहालय की खास पहचान है. यहां पर हड़प्पा और प्राचीन गुप्त काल की पुरा महत्व की कलाकृतियों को सहेजा गया है. यह इतिहास के उन अवशेषों को आज की पीढ़ी से रूबरू कराता है, जिनके जरिए अति प्राचीन समय में चित्रकला, शिल्पकला, बुने हुए कालीन, मिट्टी के बर्तन प्राचीन सिक्के और शाही हथियार के बारे में जाना जा सकता है. सभी प्रकार के प्राचीन सामान को यहां पर अलग-अलग हिस्सों में करीने से सजा कर रखा गया है.

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गंगा संग्रहालय (राजकीय), बीकानेर
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