जयपुर. बीते साल राजधानी में करीब 1400 आगजनी की घटनाएं हुई. जिन पर पूरी सजगता और सुरक्षा के साथ जयपुर के जांबाज फायर फाइटर्स ने काबू भी पाया और लोगों का भरोसा भी जीता. लेकिन इन फायर फाइटर्स के सामने भी कभी परिस्थितियों को लेकर तो कभी इक्विपमेंट्स को लेकर चुनौती आती है. इसी पर अपने अनुभव को साझा करते हुए फायर फाइटर्स ने बताया कि कभी गाड़ी में, कभी गैस सिलेंडर में, कहीं शॉर्ट सर्किट से तो कहीं कैमिकल से फैक्ट्री, ऊंची इमारतों और तंग गलियों में अलग-अलग तरह की आगजनी की घटनाएं होती रहती हैं. जिन पर टीम वर्क के साथ काम किया जाता है.
फायर फाइटर विक्रम शर्मा ने बताया कि बीते दिनों लाल कोठी में रात के समय आगजनी की घटना हुई. सूचना पर मौके पर पहुंचे, तो सामने बच्चे फंसे हुए थे. ऐसे में पहले प्राथमिकता पर बच्चों को रेस्क्यू किया गया और फिर आग पर काबू पाया. वहीं एक फायर फाइटर ने बताया कि तंग गलियों में वैसे तो फायर बाइक का इस्तेमाल कर लिया जाता है. लेकिन कई बार आगजनी भयावह होती है, तो बड़ी दमकल वहां पहुंच नहीं पाती. ऐसे में होज पाइप जोड़ने से लेकर प्रेशर के साथ आग बुझाना बड़ी चुनौती बन जाता है. वहीं एक अन्य फायर फाइटर ने बताया कि आलम ये है कि कभी-कभी मुंह का निवाला छोड़कर इमरजेंसी में घटनास्थल पर पहुंचते हैं. हाल ही में जो नारायण सिंह सर्किल पर आगजनी की घटना हुई उसमें यही हुआ. मौके पर पहुंचे तो वहां लोग फंसे हुए थे. उन्हें फायर फाइटिंग टीम ने खुद की जान की परवाह किए बिना घटनास्थल से निकाला और आग पर भी काबू पाया.
राजधानी में फायर फाइटर्स के पास में पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं. जिससे सभी तरह की आग पर काबू पाया जा सकता है. यहां फायर फाइटिंग टीम के लिए स्मोक डिटेक्टर, हीट डिटेक्टर,फायर सूट, बूट, दस्ताने, CO2 अग्निशामक यंत्र, फोम अग्निशामक, हैलोट्रॉन अग्निशामक यंत्र और सूखा पाउडर भी मौजूद है. वहीं, सीएफओ राजेंद्र नागर ने बताया कि फायरफाइटर अपनी ड्यूटी के आगे कोई चुनौती नहीं समझता. 4 मई को मनाया जाने वाला इंटरनेशनल फायर फाइटर डे भी इसी की मिसाल है. 1999 में फायर फाइटर्स ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया स्थित लिंटन में फैली आग को बुझाने के लिए गए थे. लेकिन विपरीत दिशा से हवा चलने के कारण उस टीम के 5 सदस्य झुलस गए और उनकी मौत हो गई. उन्हीं की याद में फायर फाइटर्स डे मनाया जाने लगा. उन्होंने बताया कि जयपुर की फायर फाइटिंग टीम सरकार से मिले संसाधनों के साथ हर तरह की आग को बुझाने में सक्षम हैं. यहां फायर फाइटिंग टीम में पुरुष के साथ-साथ महिला फायर फाइटर्स भी मौजूद हैं.
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तमिलनाडु के बाद राजस्थान और महाराष्ट्र ही वो राज्य हैं, जहां फायर फाइटिंग टीम में महिलाएं भी शामिल हैं. आखिर में सीएफओ ने बताया कि फिलहाल स्कूल, हॉस्पिटल और इंडस्ट्रीज में मॉक ड्रिल की जा रही है. यहां की पब्लिक से भी यही अपील है कि 101 के अलावा नजदीकी फायर स्टेशन के नंबर भी याद होने चाहिए और आवासों और अपार्टमेंट में भी इस नंबर को चस्पा किया जाना चाहिए.
बता दें कि वर्तमान में राजधानी में 12 फायर स्टेशन है. इनमें से 8 ग्रेटर नगर निगम में और 4 हेरिटेज नगर निगम क्षेत्र में है. ग्रेटर निगम की बात करें तो यहां कुल 45 छोटी-बड़ी दमकल और फायर बाइक, एक 70 मीटर की एएचएलपी. जबकि हेरिटेज नगर निगम में 35 छोटी-बड़ी दमकल, फायर बाइक और एक 42 मीटर एएचएलपी मौजूद है. इसके अलावा पर्याप्त फायर फाइटिंग स्टाफ भी तैनात है. वहीं परकोटा क्षेत्र में फायर फाइटिंग सिस्टम विथ पंप हाउस प्रोजेक्ट का काम भी चल रहा है. ऐसे में फायर फाइटिंग इक्विपमेंट्स के साथ जयपुर के फायरफाइटर्स यहां किसी भी आगजनी पर काबू पाने के लिए पूरी तरह सजग और तैयार हैं.