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राजस्थान हाईकोर्ट ने लगाई आयुर्वेद नर्सिंग कौंसिल के चुनाव पर अंतरिम रोक

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Published : May 30, 2023, 10:32 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान आयुर्वेद नर्सिंग कौंसिल के चुनाव पर अंतरिम रोक लगा दी है.

Interim stay on Ayurveda Nursing council elections by Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट ने लगाई आयुर्वेद नर्सिंग कौंसिल के चुनाव पर अंतरिम रोक

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान आयुर्वेद नर्सिंग कौंसिल के चुनाव पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल कुमार उपमन की खंडपीठ ने यह आदेश छीतरमल की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता अश्विनी जैमन ने अदालत को बताया कि राजस्थान आयुर्वेद नर्सिंग कौंसिल अधिनियम और निर्वाचन नियमों के तहत कौंसिल के चुनाव के लिए सूचना जारी करने के एक दिन पहले मतदाता सूची का प्रकाशन जरूरी है. इसमें उस दिन तक मेंबरशिप के लिए आवेदन करने वालों को चुनाव में मताधिकार दिया जा सकता है. कौंसिल ने गत 17 अप्रैल को निर्वाचन सूचना जारी कर 6 सदस्यों के लिए चुनाव घोषित कर दिए और इसके प्रावधान कर दिया कि 17 अप्रैल तक आवेदन करने वालों को भी मत देने का अधिकार दिया जा रहा है. याचिका में बताया गया कि बिना मतदाता सूची जारी किए चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं. ऐसे में 17 अप्रैल को जारी निर्वाचन सूचना को निरस्त किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने चुनाव पर अंतरिम रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

पढ़ेंः बर्खास्त तीन पार्षदों के वार्ड में चुनाव पर हाईकोर्ट की अंतरिम रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की 5 साल में भी पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने गृह सचिव को 1 जून को पेश होकर इस संबंध में स्पष्टीकरण देने को कहा है. अदालत ने गृह सचिव से पूछा है कि 5 साल पहले दिए आदेश की अब तक पालना क्यों नहीं की गई है. वहीं अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि आदेश की पालना कर ली जाती है, तो सचिव को पेश होने की आवश्यकता नहीं है. जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश सुरेन्द्र सिंह चौहान की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ेंः Rajasthan High Court: वाइस प्रिंसिपल की काउंसलिंग पर अंतरिम रोक, अगले आदेश तक राजस्थान में नहीं होंगे पदस्थापन

गृह सचिव को हाजिर होने के आदेशः सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से आदेश की पालना के लिए समय मांगा गया. इस पर अदालत ने कहा कि अदालती आदेश को 5 साल हो चुके हैं. ऐसे में अब तक आदेश की पालना क्यों नहीं की गई. याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता पूर्व में कांस्टेबल के पद पर तैनात था. इस दौरान उसका शिक्षक पद पर चयन हो गया. ऐसे में उसने शिक्षक पद का कार्यभार ग्रहण करने के लिए पुलिस विभाग से रिलीव होना चाहा, लेकिन विभाग ने उसे रिलीव नहीं किया और उस पर प्रशिक्षण और वेतन के तौर पर खर्च 2 लाख 85 हजार रुपए जमा कराने को कहा.

पढ़ेंः ट्यूशन फीस का 70 फीसदी वसूलने के आदेश पर HC ने लगाई अंतरिम रोक

याचिकाकर्ता की ओर से यह राशि जमा कराने के बाद ही विभाग ने उसे रिलीव किया. याचिका में कहा गया कि विभाग की इस वसूली कार्रवाई को उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 8 जनवरी, 2018 को आदेश जारी कर विभाग को यह राशि याचिकाकर्ता को लौटाने के आदेश दिए थे. याचिका में कहा गया कि 5 साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी अब तक उसे विभाग ने यह राशि नहीं लौटाई है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आदेश की पालना नहीं होने पर गृह सचिव को हाजिर होकर अपना जवाब देने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान आयुर्वेद नर्सिंग कौंसिल के चुनाव पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल कुमार उपमन की खंडपीठ ने यह आदेश छीतरमल की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता अश्विनी जैमन ने अदालत को बताया कि राजस्थान आयुर्वेद नर्सिंग कौंसिल अधिनियम और निर्वाचन नियमों के तहत कौंसिल के चुनाव के लिए सूचना जारी करने के एक दिन पहले मतदाता सूची का प्रकाशन जरूरी है. इसमें उस दिन तक मेंबरशिप के लिए आवेदन करने वालों को चुनाव में मताधिकार दिया जा सकता है. कौंसिल ने गत 17 अप्रैल को निर्वाचन सूचना जारी कर 6 सदस्यों के लिए चुनाव घोषित कर दिए और इसके प्रावधान कर दिया कि 17 अप्रैल तक आवेदन करने वालों को भी मत देने का अधिकार दिया जा रहा है. याचिका में बताया गया कि बिना मतदाता सूची जारी किए चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं. ऐसे में 17 अप्रैल को जारी निर्वाचन सूचना को निरस्त किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने चुनाव पर अंतरिम रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की 5 साल में भी पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने गृह सचिव को 1 जून को पेश होकर इस संबंध में स्पष्टीकरण देने को कहा है. अदालत ने गृह सचिव से पूछा है कि 5 साल पहले दिए आदेश की अब तक पालना क्यों नहीं की गई है. वहीं अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि आदेश की पालना कर ली जाती है, तो सचिव को पेश होने की आवश्यकता नहीं है. जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश सुरेन्द्र सिंह चौहान की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

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गृह सचिव को हाजिर होने के आदेशः सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से आदेश की पालना के लिए समय मांगा गया. इस पर अदालत ने कहा कि अदालती आदेश को 5 साल हो चुके हैं. ऐसे में अब तक आदेश की पालना क्यों नहीं की गई. याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता पूर्व में कांस्टेबल के पद पर तैनात था. इस दौरान उसका शिक्षक पद पर चयन हो गया. ऐसे में उसने शिक्षक पद का कार्यभार ग्रहण करने के लिए पुलिस विभाग से रिलीव होना चाहा, लेकिन विभाग ने उसे रिलीव नहीं किया और उस पर प्रशिक्षण और वेतन के तौर पर खर्च 2 लाख 85 हजार रुपए जमा कराने को कहा.

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याचिकाकर्ता की ओर से यह राशि जमा कराने के बाद ही विभाग ने उसे रिलीव किया. याचिका में कहा गया कि विभाग की इस वसूली कार्रवाई को उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 8 जनवरी, 2018 को आदेश जारी कर विभाग को यह राशि याचिकाकर्ता को लौटाने के आदेश दिए थे. याचिका में कहा गया कि 5 साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी अब तक उसे विभाग ने यह राशि नहीं लौटाई है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आदेश की पालना नहीं होने पर गृह सचिव को हाजिर होकर अपना जवाब देने को कहा है.

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