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झोटवाड़ा में होगा चतुष्कोणीय मुकाबला, भाजपा के अपनों ने दिखाई बगावत

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 6, 2023, 7:31 PM IST

झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प हो गया है.भाजपा के दो नेताओं ने बगावत करते हुए निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया है. सोमवार को नामांकन के आखिरी दिन भाजपा के पूर्व प्रत्याशी और कैबिनेट मिनिस्टर रहे राजपाल सिंह शेखावत और बीजेपी से टिकट की दावेदारी कर रहे आशु सिंह सुरपुरा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है.

Rajasthan assembly Election 2023
राजस्थान का रण
झोटवाड़ा में मुकाबला रोचक

जयपुर. झोटवाड़ा राजस्थान की सबसे बड़ी विधानसभा सीट है, जहां पर इस बार विधानसभा चुनाव में मुकाबला बड़ा रोचक होने के साथ चतुष्कोणीय होने जा रहा है. झोटवाड़ा सीट पर भाजपा के अपनों ने बगावती तेवर दिखा दिए हैं. टिकट नहीं मिलने से नाराज कैबिनेट मिनिस्टर रहे राजपाल सिंह शेखावत ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया तो वहीं, भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहे समाजसेवी आशु सिंह सुरपुरा ने भी अपना पर्चा दाखिल कर इस सीट को चतुष्कोणीय मुकाबले में बदल दिया है.

झोटवाड़ा विधानसभा सीट कई मायनों में खास है, इस बार बीजेपी की ओर से जयपुर ग्रामीण से सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा है. भाजपा ने अपने पूर्व प्रत्याशी और पूर्व में कैबिनेट मंत्री रहे राजपाल सिंह शेखावत का टिकट काटकर कर्नल राठौड़ को मैदान में उतारा है. राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को प्रत्याशी घोषित करने के साथ ही बीजेपी में सबसे ज्यादा विरोध इसी सीट पर देखने को मिला.

पढ़ें:भाजपा प्रत्याशी पर शांति धारीवाल ने लगाए गंभीर आरोप, प्रहलाद गुंजल बोले- धारीवाल हिस्ट्रीशीटर के साथ घूम रहे

ये हैं मुख्य दावेदार: शेखावत के साथ टिकट की दावेदारी कर रहे आशु सिंह सुरपुरा ने भी बगावती तेवर दिखाते हुए निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. इतना ही नहीं नामांकन के आखिरी दिन राजपाल सिंह शेखावत और आशु सिंह सुरपुरा ने भी नामांकन दाखिल कर दिया. राजपाल सिंह शेखावत पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खास माने जाते हैं. बीजेपी इस कोशिश में है कि किसी तरह से इन दोनों बागी प्रत्याशियों को 9 नवंबर से पहले राजी कर ले. हालांकि, बीजेपी के लिए ही नहीं बल्कि कांग्रेस के लिए भी ये सीट आसान नहीं है, कांग्रेस ने भले ही अपने कैबिनेट मंत्री लालचंद कटारिया का टिकट काट के युवा चेहरे अभिषेक चौधरी पर दांव खेला खेल हो, लेकिन इस सीट पर जितना प्रभाव राजपूत समाज का है उतना ही प्रभाव जाट समाज का भी है. कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है कि लालचंद कटारिया जिनका टिकट काटा गया है वो अभिषेक को कितना समर्थन देते हैं .

झोटवाड़ा सीट ख़ास क्यों? : झोटवाड़ा विधानसभा सीट राजस्थान की सबसे बड़ी विधानसभा सीट में से एक है. झोटवाड़ा की खास बात यह है कि जिस नाम से इस विधानसभा का नाम रखा गया है, उस क्षेत्र के लोग इस विधानसभा के लिए मतदान नहीं करते हैं , उनका वोट विद्याधर नगर की प्रत्याशी को डाला जाता है. झोटवाड़ा में हार और जीत का भी हमेशा रिकॉर्ड बनता है. पिछली बार साल 2018 में यहां की हार और जीत चर्चा में रही. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाले लालचंद कटारिया को 1,27185 वोट मिले थे, जो उस चुनाव में सबसे अधिक था. वहीं भाजपा के राजपाल सिंह शेखावत को हार मिली मगर उन्हें 1,16438 वोट मिले. चुनाव में इतने वोट पाकर हारने वाले शेखावत अकेले प्रत्याशी थे इसलिए इन दोनों की हार और जीत रिकॉर्ड बना गई.

पढ़ें:जयपुर में बीजेपी नए और कांग्रेस पुराने चेहरों के साथ उतरी मैदान में, कांग्रेस ने दो मंत्रियों के काटे टिकट

कुछ ऐसा रहा 15 सालों का हिसाब: निर्वाचन विभाग की ओर से हाल ही जारी की गई अंतिम मतदाता सूची के बाद 200 विधानसभा सीटों पर 5 करोड़ 26 लाख 80 हजार 545 मतदाता नई सरकार के लिए वोट डालेंगे. झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर 4 लाख 20 हजार 712 मतदाता हैं. इनमें 2 लाख 1992 महिलाएं और 2.18 लाख से ज्यादा पुरुष मतदाता हैं. इस सीट के 15 सालों का हिसाब देखें तो वर्ष 2008 में इस विधान सभा सीट पर भाजपा के राजपाल सिंह चुनाव जीते थे. कांग्रेस के लाल चंद कटारिया 66,396 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. मगर उन्हें 2 हजार मतों से हार मिल गई थी. वर्ष 2013 में इस सीट पर भाजपा को जीत मिली थी. कांग्रेस की रेखा कटारिया को 20 हजार से अधिक मतों से हार मिली थी. वहीं साल 2018 में कांग्रेस के लाल चंद कटारिया ने 11 हजार मतों से भाजपा के राजपाल सिंह शेखावत को हरा दिया था.

क्या बोले बागी: निर्दलीय नामांकन दाखिल करने के बाद राजपाल सिंह शेखावत ने कहा कि कई बार गलतियां होती है और उन गलतियों को सुधारने की जरूरत होती है. पार्टी ने भी मुझे टिकट नहीं देकर गलती की है. अब उसको सुधारने की जिम्मेदारी मेरी है इसलिए मैंने नामांकन पत्र दाखिल किया है. उन्होंने कहा कि वो भारतीय जनता पार्टी के एक सिपाही हैं, इसे किसी तरह के बगावत के रूप में नहीं देखा जा सकता. वहीं निर्दलीय के तौर पर पर्चा दाखिल करने वाले आशु सिंह सुरपुरा ने कहा कि जनता के समर्थन से नामांकन दाखिल किया है, अब किसी के समझाने से नहीं बैठने वाला. उन्होंने कहा कि पार्टी ने जो गलती की है उसका एहसास 3 दिसंबर को हो जाएगा .

झोटवाड़ा में मुकाबला रोचक

जयपुर. झोटवाड़ा राजस्थान की सबसे बड़ी विधानसभा सीट है, जहां पर इस बार विधानसभा चुनाव में मुकाबला बड़ा रोचक होने के साथ चतुष्कोणीय होने जा रहा है. झोटवाड़ा सीट पर भाजपा के अपनों ने बगावती तेवर दिखा दिए हैं. टिकट नहीं मिलने से नाराज कैबिनेट मिनिस्टर रहे राजपाल सिंह शेखावत ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया तो वहीं, भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहे समाजसेवी आशु सिंह सुरपुरा ने भी अपना पर्चा दाखिल कर इस सीट को चतुष्कोणीय मुकाबले में बदल दिया है.

झोटवाड़ा विधानसभा सीट कई मायनों में खास है, इस बार बीजेपी की ओर से जयपुर ग्रामीण से सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा है. भाजपा ने अपने पूर्व प्रत्याशी और पूर्व में कैबिनेट मंत्री रहे राजपाल सिंह शेखावत का टिकट काटकर कर्नल राठौड़ को मैदान में उतारा है. राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को प्रत्याशी घोषित करने के साथ ही बीजेपी में सबसे ज्यादा विरोध इसी सीट पर देखने को मिला.

पढ़ें:भाजपा प्रत्याशी पर शांति धारीवाल ने लगाए गंभीर आरोप, प्रहलाद गुंजल बोले- धारीवाल हिस्ट्रीशीटर के साथ घूम रहे

ये हैं मुख्य दावेदार: शेखावत के साथ टिकट की दावेदारी कर रहे आशु सिंह सुरपुरा ने भी बगावती तेवर दिखाते हुए निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. इतना ही नहीं नामांकन के आखिरी दिन राजपाल सिंह शेखावत और आशु सिंह सुरपुरा ने भी नामांकन दाखिल कर दिया. राजपाल सिंह शेखावत पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खास माने जाते हैं. बीजेपी इस कोशिश में है कि किसी तरह से इन दोनों बागी प्रत्याशियों को 9 नवंबर से पहले राजी कर ले. हालांकि, बीजेपी के लिए ही नहीं बल्कि कांग्रेस के लिए भी ये सीट आसान नहीं है, कांग्रेस ने भले ही अपने कैबिनेट मंत्री लालचंद कटारिया का टिकट काट के युवा चेहरे अभिषेक चौधरी पर दांव खेला खेल हो, लेकिन इस सीट पर जितना प्रभाव राजपूत समाज का है उतना ही प्रभाव जाट समाज का भी है. कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है कि लालचंद कटारिया जिनका टिकट काटा गया है वो अभिषेक को कितना समर्थन देते हैं .

झोटवाड़ा सीट ख़ास क्यों? : झोटवाड़ा विधानसभा सीट राजस्थान की सबसे बड़ी विधानसभा सीट में से एक है. झोटवाड़ा की खास बात यह है कि जिस नाम से इस विधानसभा का नाम रखा गया है, उस क्षेत्र के लोग इस विधानसभा के लिए मतदान नहीं करते हैं , उनका वोट विद्याधर नगर की प्रत्याशी को डाला जाता है. झोटवाड़ा में हार और जीत का भी हमेशा रिकॉर्ड बनता है. पिछली बार साल 2018 में यहां की हार और जीत चर्चा में रही. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाले लालचंद कटारिया को 1,27185 वोट मिले थे, जो उस चुनाव में सबसे अधिक था. वहीं भाजपा के राजपाल सिंह शेखावत को हार मिली मगर उन्हें 1,16438 वोट मिले. चुनाव में इतने वोट पाकर हारने वाले शेखावत अकेले प्रत्याशी थे इसलिए इन दोनों की हार और जीत रिकॉर्ड बना गई.

पढ़ें:जयपुर में बीजेपी नए और कांग्रेस पुराने चेहरों के साथ उतरी मैदान में, कांग्रेस ने दो मंत्रियों के काटे टिकट

कुछ ऐसा रहा 15 सालों का हिसाब: निर्वाचन विभाग की ओर से हाल ही जारी की गई अंतिम मतदाता सूची के बाद 200 विधानसभा सीटों पर 5 करोड़ 26 लाख 80 हजार 545 मतदाता नई सरकार के लिए वोट डालेंगे. झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर 4 लाख 20 हजार 712 मतदाता हैं. इनमें 2 लाख 1992 महिलाएं और 2.18 लाख से ज्यादा पुरुष मतदाता हैं. इस सीट के 15 सालों का हिसाब देखें तो वर्ष 2008 में इस विधान सभा सीट पर भाजपा के राजपाल सिंह चुनाव जीते थे. कांग्रेस के लाल चंद कटारिया 66,396 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. मगर उन्हें 2 हजार मतों से हार मिल गई थी. वर्ष 2013 में इस सीट पर भाजपा को जीत मिली थी. कांग्रेस की रेखा कटारिया को 20 हजार से अधिक मतों से हार मिली थी. वहीं साल 2018 में कांग्रेस के लाल चंद कटारिया ने 11 हजार मतों से भाजपा के राजपाल सिंह शेखावत को हरा दिया था.

क्या बोले बागी: निर्दलीय नामांकन दाखिल करने के बाद राजपाल सिंह शेखावत ने कहा कि कई बार गलतियां होती है और उन गलतियों को सुधारने की जरूरत होती है. पार्टी ने भी मुझे टिकट नहीं देकर गलती की है. अब उसको सुधारने की जिम्मेदारी मेरी है इसलिए मैंने नामांकन पत्र दाखिल किया है. उन्होंने कहा कि वो भारतीय जनता पार्टी के एक सिपाही हैं, इसे किसी तरह के बगावत के रूप में नहीं देखा जा सकता. वहीं निर्दलीय के तौर पर पर्चा दाखिल करने वाले आशु सिंह सुरपुरा ने कहा कि जनता के समर्थन से नामांकन दाखिल किया है, अब किसी के समझाने से नहीं बैठने वाला. उन्होंने कहा कि पार्टी ने जो गलती की है उसका एहसास 3 दिसंबर को हो जाएगा .

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