जयपुर. केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट से राजस्थान को बड़ी उम्मीदें हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने अलग-अलग क्षेत्र के लोगों से इस बजट की उम्मीदों पर बात की और समझने की कोशिश की क्या अपेक्षाओं पर वित्त मंत्री सीतारमण खरा उतर सकेंगी. इस बातचीत में उद्यमी और चार्टेड अकाउंटेंट निवेदिता सारड़ा, कर विशेषज्ञ महेन्द्र मोदी, स्टार्टअप कारोबारी शरद शर्मा, किसान नेता संजय माधव और सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह शामिल हुए.
व्यापारियों के लिए पैकेज की आस : निर्मला सीतारमण के बजट से पहले उम्मीदों को लेकर बात करते हुए उद्यमी निवेदिता सारड़ा ने कहा कि सरकार परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव की स्कीम बेहतर तरीके से लाई है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में अभी और काम करने की गुंजाइश है, तब ही जाकर निवेश आएगा. जो ग्रोथ नजर आ रही है, उसके हिसाब से सरकारी और निजी क्षेत्र में इस बार निवेश आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि मंदी का दौर रहा है और मांग गिरने का खासा खौफ रहा है. ऐसे में निजी क्षेत्र फिलहाल असमंजस में है. वर्तमान में देश की विकास दर में संभावनाओं को देखते हुए सिर्फ निवेश पर जोर से काम नहीं चलेगा. सरकार को इंसेंटिव स्कीम भी साथ में लेकर आनी होगी. उन्होंने माना कि शेयर बाजार में फिलहाल अनिश्चितता है. इकोनामिक सर्वे की बात करते हुए निवेदिता ने कहा कि कैपेसिटी यूटिलाइजेशन मैन्युफैक्चरिंग फील्ड में बढ़ा है और इसका फायदा निश्चित तौर पर कुशल और अकुशल लेबर को मिलना चाहिए.
स्टार्टअप कारोबारी की उम्मीद : बजट पर बातचीत में स्टार्टअप कारोबारी शरद शर्मा ने कहा कि सरकार ने सिस्टम को विकसित कर दिया है, लेकिन इसमें और अच्छा करने की गुंजाइश है. फिलहाल, कारोबारी शुरुआती दौर में कई तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिनका समाधान नहीं हो पाया है. खासतौर पर फंडिंग का सिस्टम अभी और बेहतर बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बजट से काफी उम्मीदें हैं, खासतौर पर फूड, एजुकेशन और फिन टेक जैसे स्टार्टअप आज पहचान बना चुके हैं. पर आज भी आइडिया पर काम करने की जरूरत ज्यादा है. युवा के पास सपने हैं, जो पैसे की कमी के कारण टूट रहे हैं. सरकार को ऐसे लोगों को कनेक्ट करना चाहिए.
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करों में राहत की आस : ईटीवी भारत में बजट को लेकर विशेष चर्चा के दरमियान टैक्स एक्सपर्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट महेंद्र मोदी जीएसटी जैसे करो में स्लेब की समस्या पर बात की. महेंद्र मोदी ने कहा कि जीएसटी में अभी और सुधार की गुंजाइश है. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जीएसटी के दायरे में शामिल करने के लिए बदलाव पर भी काम किए जाने की जरूरत है. बढ़ी हुई स्लैब से निचली दरों में लोगों को शामिल करने के लिए भी उन्होंने अपना सुझाव दिया. उन्होंने उम्मीद जताई कि निर्मला सीतारमण इस बार जीएसटी के स्लेब्स में भी बदलाव पर काम करेंगी. महेंद्र मोदी ने उम्मीद जताई कि चुनावी साल के लिहाज से सरकार इनकम टैक्स स्लैब में भी बदलाव कर सकती है. वहीं, उन्होंने कहा कि होम लोन पर ब्याज दरों में छूट के प्रावधान में राशि डेढ़ लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये किए जाने की भी जरूरत है.
किसान को यह उम्मीद : बजट पर चर्चा के दौरान किसान नेता संजय माधव ने नरेंद्र मोदी सरकार के उदारीकरण के रुख को लेकर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि दुनिया इस पैटर्न को छोड़ रही है और मोदी सरकार अब भी पुराने पैटर्न का अनुसरण कर रही है. उन्होंने मोदी सरकार की वादाखिलाफी को याद दिलाते हुए कहा कि किसानों की कर्ज माफी के मसले पर कोई ठोस काम अब तक नहीं हुआ है. यहां तक कि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल से पहले स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की बात कही थी, पर उस पर भी काम नहीं हुआ. उल्टा किसान की सब्सिडी खत्म की जा रही है. किसान आज भी खाद-बीज की समस्या से जूझ रहा है. संजय माधव ने इस दौरान ईआरसीपी, यमुना और नर्मदा के पानी का मसला भी उठाया.
महिलाओं की उम्मीद : देश में आधी आबादी भले ही आगे आकर विकास में पुरुषों के बराबर भागीदार बन रही हैं, लेकिन घरेलू बजट में उनकी भूमिका आज भी महत्वपूर्ण है. इसलिए महिलाओं ने निर्मला सीतारमण के इस बजट में रसोई के खर्च में राहत की उम्मीद जताई है. बजट चर्चा में शामिल होते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह ने आम गृहणी का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने खास तौर पर आटे, दाल और खाद्य तेलों की बीते दिनों बढ़ी कीमतों में राहत को लेकर उम्मीद जताई.