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उपराष्ट्रपति का बड़ा बयान, कहा- संसद और विधानसभा में अशोभनीय घटनाएं चिंताजनक

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Published : Jan 11, 2023, 4:19 PM IST

Updated : Jan 11, 2023, 4:42 PM IST

राजस्थान में आयोजित दो दिवसीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के पहले दिन उपराष्ट्रपति धनखड़ ने विधानसभा में बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभा में अशोभनीय घटनाएं चिंताजनक हैं. इसका समाधान ढूंढना होगा और पार्टी से ऊपर उठकर पहले देश के बारे में सोचना होगा.

Vice President Jagdeep Dhankhar
Vice President Jagdeep Dhankhar
राजस्थान विधानसभा में उपराष्ट्रपति...

जयपुर. 83वें पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में जयपुर पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विधायिका में सदस्यों के व्यवहार पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का हमें गौरव है. ऐसे में हमारी जिम्मेदारी अधिक है कि प्रजातांत्रिक मुद्दों को उनके मौलिकता को हम हर तरीके से बचाएंगे. आज के हालात में पार्लियामेंट में जो हो रहा है, वह चिंता का विषय है और आपसे ज्यादा कौन जानता है कि लोकसभा, विधानसभा में (Indecent Incidents in Parliament and Vidhansabha) जो वातावरण दर्शित होता है, उसका जनता क्या आकलन करती है.

उन्होंने कहा कि यह समय है कि हम इस समस्या का समाधान ढूंढें. लोकतंत्र के मंदिरों की विषमता से (83rd Presiding Officers Conference) हम भलीभांति परिचित हैं, लेकिन समय आ गया है कि इस निराशाजनक स्थिति का उचित समाधान अविलंब निकाला जाए. आप सभी इस समाधान के सशक्त माध्यम हैं. संसद और विधानसभा में अशोभनीय घटनाओं से जनता के अंदर व्यापक रोष है. सभापति बनने के बाद बच्चे से लेकर विद्यार्थी तक, हर कोई मुझे कहता है कि आप क्या कर रहे हैं ? क्या उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, क्या यही कल्पना थी ? इसका समाधान आपको ढूंढना होगा.

पढ़ें : 83rd Presiding Officers Conference: स्पीकर जोशी ने कहा- हम हेल्पलेस रेफरी से ज्यादा और कुछ नहीं

इसके अलावा हमारे पास एक ही विकल्प है कि हम समाधान ढूंढें. इस गिरावट को रोकें, समाज को एजुकेट करें और सदन को नियमों से चलाएं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह समझ से परे है, गले नहीं उतरता कि कानून और संविधान की शपथ लेने वाले (Rajasthan Conference Update) खुलेआम सदन के अंदर लोकतंत्र के मंदिर में ऐसा आचरण करते हैं, ऐसा व्यवहार करते हैं. आप अंदाजा लगाइए जो लोग निर्वाचित करके हमें भेजते हैं वो हमारे बारे में क्या सोचते हैं. लोकतंत्र के उस मंदिर का हमने क्या कर दिया है. हम तब तक विकास नहीं कर सकते, जब तक कि इस बीमारी का इलाज ना करें और मुझे समझ में नहीं आता कि हम इसका समाधान क्यों नहीं निकाल पा रहे.

83rd Presiding Officers Conference
ओम बिरला, जगदीप धनखड़ और सीपी जोशी

उपराष्ट्रपति ने कहा कि राजनीति से ऊपर उठकर देश भावना को ध्यान में रखते हुए संविधान के एसेंस को दृष्टिगत रखते हुए हमें रास्ता ढूंढना पड़ेगा और कोई रास्ता नहीं है. उपराष्ट्रपति ने नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या प्रतिरोध और नियमों को तोड़ना पार्लिमेंट और विधानसभा में राजनीतिक हथियार हो सकता है, क्या यह राजनीतिक स्ट्रेटजी हो सकती है कि हम वेल में जाएं, उसको नहीं चलने दें और नियमों को नहीं मानें. इन व्यवधान को अगर हम राजनीतिक हथियार बनने देंगे तो हमारी स्थिति क्या होगी. धनखड़ ने कहा कि 2600 से ज्यादा संविधान संशोधन आए, क्या आपको लगा कि उस समय इस तरह डिस्ट्रक्शन हुआ, इतने महान महापुरुषों ने इतनी कड़ी मेहनत के बाद इतनी विषम परिस्थितियों में हमको एक ऐसा शानदार संविधान दिया है. उसको बनाने की प्रक्रिया का अनुकरण हम नहीं कर सकते.

पढ़ें : उपराष्ट्रपति ने कहा- न्यायपालिका का सम्मान करते हैं, लेकिन पब्लिक प्लेटफॉर्म सही स्थान नहीं

धनखड़ ने कहा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में सबसे बड़ा हथियार बातचीत, डिस्कशन और डिबेट है, लेकिन हम सब कुछ कर रहे हैं, बस बातचीत, डिबेट, डिस्कशन नहीं कर रहे. धनखड़ ने कहा कि मुझे कहने में कोई संकोच नहीं कि पीठासीन अधिकारियों का मन ठीक है, लेकिन वह बेबस हो जाते हैं. इन चीजों को सुधारने का सबसे ज्यादा उत्तरदायित्व सदन के नेता प्रतिपक्ष और राजनीतिक दलों के नेताओं का है. मैं मानता हूं कि आपके मंथन के बाद एक सार्थक संदेश जाएगा. विधानसभा के सदस्यों के टैलेंट, एक्सपोजर, एक्सपीरियंस किसी से कम नहीं है. वह बहुत योग्य, जानकार हैं, लेकिन एक सिंगल रिमोट कंट्रोल और हम वेल में आ जाते हैं और सदन को डिस्टर्ब करते हैं. उन्होंने कहा कि हमें भारत की सोच रखनी पड़ेगी. राजनीतिक दल अपनी जगह, लेकिन नेशन फर्स्ट को सोचना होगा.

पीएम मोदी का संदेश : राजस्थान विधानसभा में बुधवार को 83वें पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत तौर पर तो नहीं आए, लेकिन उन्होंने अपना संदेश जरूर एक पत्र के रूप में भेजा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को सशक्त और समृद्ध करने में हमारे विधायी निकायों की भूमिका सराहनीय है. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि समय के साथ बदलते विश्व के अनुरूप देश प्रगति की राह पर अग्रसर है. पिछले कुछ वर्षों में विधायिका के कामकाज में तकनीक के अधिकतम इस्तेमाल से लेकर अनेक अप्रासंगिक कानूनों को खत्म करने तक हमने लगातार ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे जनसामान्य के जीवन में सुखद और सकारात्मक बदलाव सुनिश्चित हो.

उन्होंने आशा वक्त की कि हमारी विधायिकाएं लोगों के हितों की रक्षा के लिए अपनी कार्यप्रणाली में आधुनिक बदलावों के साथ देश की प्रगति में और मजबूती से आगे बढ़ेंगीं. प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि 21वीं सदी के भारत में लोगों की आकांक्षाएं लगातार बढ़ रही हैं. इस आकांक्षी भारत के अनुरूप हमारी विधायी संस्थाओं से लेकर प्रशासन तक, हमारी व्यवस्थाओं को विधि और नीति निर्माण से लेकर उनके क्रियान्वयन में ज्यादा गतिशील, उत्तरदायी, और लक्ष्योन्मुखी होना अनिवार्य है. आज के नए भारत के लिए हमें संस्थाओं को अधिक प्रभावी, कुशल और तकनीकी रूप से समृद्ध करते रहने की आवश्यकता है.

राजस्थान विधानसभा में उपराष्ट्रपति...

जयपुर. 83वें पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में जयपुर पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विधायिका में सदस्यों के व्यवहार पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का हमें गौरव है. ऐसे में हमारी जिम्मेदारी अधिक है कि प्रजातांत्रिक मुद्दों को उनके मौलिकता को हम हर तरीके से बचाएंगे. आज के हालात में पार्लियामेंट में जो हो रहा है, वह चिंता का विषय है और आपसे ज्यादा कौन जानता है कि लोकसभा, विधानसभा में (Indecent Incidents in Parliament and Vidhansabha) जो वातावरण दर्शित होता है, उसका जनता क्या आकलन करती है.

उन्होंने कहा कि यह समय है कि हम इस समस्या का समाधान ढूंढें. लोकतंत्र के मंदिरों की विषमता से (83rd Presiding Officers Conference) हम भलीभांति परिचित हैं, लेकिन समय आ गया है कि इस निराशाजनक स्थिति का उचित समाधान अविलंब निकाला जाए. आप सभी इस समाधान के सशक्त माध्यम हैं. संसद और विधानसभा में अशोभनीय घटनाओं से जनता के अंदर व्यापक रोष है. सभापति बनने के बाद बच्चे से लेकर विद्यार्थी तक, हर कोई मुझे कहता है कि आप क्या कर रहे हैं ? क्या उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, क्या यही कल्पना थी ? इसका समाधान आपको ढूंढना होगा.

पढ़ें : 83rd Presiding Officers Conference: स्पीकर जोशी ने कहा- हम हेल्पलेस रेफरी से ज्यादा और कुछ नहीं

इसके अलावा हमारे पास एक ही विकल्प है कि हम समाधान ढूंढें. इस गिरावट को रोकें, समाज को एजुकेट करें और सदन को नियमों से चलाएं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह समझ से परे है, गले नहीं उतरता कि कानून और संविधान की शपथ लेने वाले (Rajasthan Conference Update) खुलेआम सदन के अंदर लोकतंत्र के मंदिर में ऐसा आचरण करते हैं, ऐसा व्यवहार करते हैं. आप अंदाजा लगाइए जो लोग निर्वाचित करके हमें भेजते हैं वो हमारे बारे में क्या सोचते हैं. लोकतंत्र के उस मंदिर का हमने क्या कर दिया है. हम तब तक विकास नहीं कर सकते, जब तक कि इस बीमारी का इलाज ना करें और मुझे समझ में नहीं आता कि हम इसका समाधान क्यों नहीं निकाल पा रहे.

83rd Presiding Officers Conference
ओम बिरला, जगदीप धनखड़ और सीपी जोशी

उपराष्ट्रपति ने कहा कि राजनीति से ऊपर उठकर देश भावना को ध्यान में रखते हुए संविधान के एसेंस को दृष्टिगत रखते हुए हमें रास्ता ढूंढना पड़ेगा और कोई रास्ता नहीं है. उपराष्ट्रपति ने नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या प्रतिरोध और नियमों को तोड़ना पार्लिमेंट और विधानसभा में राजनीतिक हथियार हो सकता है, क्या यह राजनीतिक स्ट्रेटजी हो सकती है कि हम वेल में जाएं, उसको नहीं चलने दें और नियमों को नहीं मानें. इन व्यवधान को अगर हम राजनीतिक हथियार बनने देंगे तो हमारी स्थिति क्या होगी. धनखड़ ने कहा कि 2600 से ज्यादा संविधान संशोधन आए, क्या आपको लगा कि उस समय इस तरह डिस्ट्रक्शन हुआ, इतने महान महापुरुषों ने इतनी कड़ी मेहनत के बाद इतनी विषम परिस्थितियों में हमको एक ऐसा शानदार संविधान दिया है. उसको बनाने की प्रक्रिया का अनुकरण हम नहीं कर सकते.

पढ़ें : उपराष्ट्रपति ने कहा- न्यायपालिका का सम्मान करते हैं, लेकिन पब्लिक प्लेटफॉर्म सही स्थान नहीं

धनखड़ ने कहा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में सबसे बड़ा हथियार बातचीत, डिस्कशन और डिबेट है, लेकिन हम सब कुछ कर रहे हैं, बस बातचीत, डिबेट, डिस्कशन नहीं कर रहे. धनखड़ ने कहा कि मुझे कहने में कोई संकोच नहीं कि पीठासीन अधिकारियों का मन ठीक है, लेकिन वह बेबस हो जाते हैं. इन चीजों को सुधारने का सबसे ज्यादा उत्तरदायित्व सदन के नेता प्रतिपक्ष और राजनीतिक दलों के नेताओं का है. मैं मानता हूं कि आपके मंथन के बाद एक सार्थक संदेश जाएगा. विधानसभा के सदस्यों के टैलेंट, एक्सपोजर, एक्सपीरियंस किसी से कम नहीं है. वह बहुत योग्य, जानकार हैं, लेकिन एक सिंगल रिमोट कंट्रोल और हम वेल में आ जाते हैं और सदन को डिस्टर्ब करते हैं. उन्होंने कहा कि हमें भारत की सोच रखनी पड़ेगी. राजनीतिक दल अपनी जगह, लेकिन नेशन फर्स्ट को सोचना होगा.

पीएम मोदी का संदेश : राजस्थान विधानसभा में बुधवार को 83वें पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत तौर पर तो नहीं आए, लेकिन उन्होंने अपना संदेश जरूर एक पत्र के रूप में भेजा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को सशक्त और समृद्ध करने में हमारे विधायी निकायों की भूमिका सराहनीय है. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि समय के साथ बदलते विश्व के अनुरूप देश प्रगति की राह पर अग्रसर है. पिछले कुछ वर्षों में विधायिका के कामकाज में तकनीक के अधिकतम इस्तेमाल से लेकर अनेक अप्रासंगिक कानूनों को खत्म करने तक हमने लगातार ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे जनसामान्य के जीवन में सुखद और सकारात्मक बदलाव सुनिश्चित हो.

उन्होंने आशा वक्त की कि हमारी विधायिकाएं लोगों के हितों की रक्षा के लिए अपनी कार्यप्रणाली में आधुनिक बदलावों के साथ देश की प्रगति में और मजबूती से आगे बढ़ेंगीं. प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि 21वीं सदी के भारत में लोगों की आकांक्षाएं लगातार बढ़ रही हैं. इस आकांक्षी भारत के अनुरूप हमारी विधायी संस्थाओं से लेकर प्रशासन तक, हमारी व्यवस्थाओं को विधि और नीति निर्माण से लेकर उनके क्रियान्वयन में ज्यादा गतिशील, उत्तरदायी, और लक्ष्योन्मुखी होना अनिवार्य है. आज के नए भारत के लिए हमें संस्थाओं को अधिक प्रभावी, कुशल और तकनीकी रूप से समृद्ध करते रहने की आवश्यकता है.

Last Updated : Jan 11, 2023, 4:42 PM IST
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