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राजस्थान में 62 कॉलेजों की NOC रद्द

प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र के लिए ये बुरी खबर है. आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा ने 151 निजी कॉलेजों में से जांच के बाद 62 निजी कॉलेजों की एनओसी यानि स्थाई अनापत्ति प्रमाण पत्र नोडल अधिकारी की रिपोर्ट के बाद निरस्त कर दी है.

62 निजी कॉलेजों की NOC रद्द
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Published : May 21, 2019, 9:37 PM IST

Updated : May 21, 2019, 9:44 PM IST

जयपुर. राज्य सरकार ने साल 2015-16 और 2016-17 के 151 निजी कॉलेजों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. कॉलेज शिक्षा आयुक्त के मुताबिक एनओसी निरस्त होने के बाद संस्था को किसी तरह का दोबारा भुगतान नहीं किया जाएगा. राज्य सरकार किसी भी प्रकार का दायित्व वहन नहीं करेगी.

गौरतलब है कि प्रदेश में कुल 1578 निजी कॉलेज संचालित हो रहे हैं. वहीं 904 बीएड कॉलेज हैं. आयुक्त कॉलेज शिक्षा ने जिन निजी कॉलेजों की एनओसी निरस्त हुई है. उसकी सूचना संबंधित निजी कॉलेज के अलावा जिला कलेक्टर और सरकारी विश्वविद्यालय के कुलसचिव जहां से संबद्धता है वहां भेज दी है. वहीं 20 से 22 कॉलेज ऐसे हैं, जो कोर्ट में चले गए और वहां से स्टे लेकर संचालित कर रहे हैं. 46 कॉलेज ऐसे हैं, जिन्होंने नोटिस देने के बाद भी मापदंडों को पूरा नहीं किया है. उन कॉलेजों की जांच विचाराधीन है और इन निजी कालेजों की रिपोर्ट पर फैसला होना बाकी है.

राजस्थान में 62 निजी कॉलेजों की NOC रद्द

कॉलेज शिक्षा विभाग के मुताबिक जिनकी एनओसी को रद्द किया गया है वो तय मापदंडों के अनुसार नहीं संचालित थे. वहीं उनमें से भी आधे से ज्यादा कॉलेज संचालित होना ही बंद हो गए. इस मामले में वसुंधरा सरकार के वक्त तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी के निर्देश पर प्रदेश के 151 कॉलेजों की जांच के आदेश 26 जुलाई 2018 में दिए गए. इसके बाद राजकीय कॉलेजों के प्रिंसिपल को नोडल अधिकारी बनाकर संबंधित जिले के निजी कॉलेजों की विभिन्न मापदंडों पर जांच कराई गई थी.

विभाग निजी कॉलेज को पहले तीन साल के लिए अस्थायी एनओसी देता है. उसके बाद कुछ मापदंड पूरे होने पर दो साल की एनओसी दी जाती है. ऐसे में पूरे पांच साल अस्थायी एनओसी पर कॉलेज संचालित होता है. वहीं छठे साल में विभाग मापदंडों के अनुसार कार्रवाई करता है और फिर अनियमितता पाने पर कॉलेज की एनओसी को रद्द करता देता है.

ये है स्थायी एनओसी पत्र के मापदंड

  • स्वयं की भूमि
  • स्वयं का भवन
  • प्राचार्य और व्यख्याताओं की नियुक्ति का संबंधित विश्वविद्यालय से अनुमोदन और अनुमोदन प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत व्याख्याताओं की सूची सहित प्रेषित पत्र की प्रति.
  • महाविद्यालय के स्टॉफ का वेतन भुगतान बैंक के माध्यम से किया जा रहा है.
  • महाविद्यालय के समस्त स्टॉफ की पीएफ कटौती नियमानुसार की जा रही हो.
  • छात्र-छात्राओं की समुचित सुविधाओं का विकास कर लिया हो.
  • विधिवत रूप से कॉलेज परिषद का गठन कर लिया हो.
  • गत 3 सालों तक छात्रों का औसत परीक्षा परिणाम सम्बद्धक विश्वविद्यालय के परीक्षा परिणाम के समक्ष हो.
  • निर्धारित राशि की सावधि जमा हो.

उधर, कॉलेज आयुक्त प्रदीप बोर्ड ने कहा कि अनियमित के चलते इन कॉलेजों पर कार्रवाई की गई है. वहीं आधे से प्रकरण में कॉलेज संचालित होने ही बंद हो गए.

जयपुर. राज्य सरकार ने साल 2015-16 और 2016-17 के 151 निजी कॉलेजों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. कॉलेज शिक्षा आयुक्त के मुताबिक एनओसी निरस्त होने के बाद संस्था को किसी तरह का दोबारा भुगतान नहीं किया जाएगा. राज्य सरकार किसी भी प्रकार का दायित्व वहन नहीं करेगी.

गौरतलब है कि प्रदेश में कुल 1578 निजी कॉलेज संचालित हो रहे हैं. वहीं 904 बीएड कॉलेज हैं. आयुक्त कॉलेज शिक्षा ने जिन निजी कॉलेजों की एनओसी निरस्त हुई है. उसकी सूचना संबंधित निजी कॉलेज के अलावा जिला कलेक्टर और सरकारी विश्वविद्यालय के कुलसचिव जहां से संबद्धता है वहां भेज दी है. वहीं 20 से 22 कॉलेज ऐसे हैं, जो कोर्ट में चले गए और वहां से स्टे लेकर संचालित कर रहे हैं. 46 कॉलेज ऐसे हैं, जिन्होंने नोटिस देने के बाद भी मापदंडों को पूरा नहीं किया है. उन कॉलेजों की जांच विचाराधीन है और इन निजी कालेजों की रिपोर्ट पर फैसला होना बाकी है.

राजस्थान में 62 निजी कॉलेजों की NOC रद्द

कॉलेज शिक्षा विभाग के मुताबिक जिनकी एनओसी को रद्द किया गया है वो तय मापदंडों के अनुसार नहीं संचालित थे. वहीं उनमें से भी आधे से ज्यादा कॉलेज संचालित होना ही बंद हो गए. इस मामले में वसुंधरा सरकार के वक्त तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी के निर्देश पर प्रदेश के 151 कॉलेजों की जांच के आदेश 26 जुलाई 2018 में दिए गए. इसके बाद राजकीय कॉलेजों के प्रिंसिपल को नोडल अधिकारी बनाकर संबंधित जिले के निजी कॉलेजों की विभिन्न मापदंडों पर जांच कराई गई थी.

विभाग निजी कॉलेज को पहले तीन साल के लिए अस्थायी एनओसी देता है. उसके बाद कुछ मापदंड पूरे होने पर दो साल की एनओसी दी जाती है. ऐसे में पूरे पांच साल अस्थायी एनओसी पर कॉलेज संचालित होता है. वहीं छठे साल में विभाग मापदंडों के अनुसार कार्रवाई करता है और फिर अनियमितता पाने पर कॉलेज की एनओसी को रद्द करता देता है.

ये है स्थायी एनओसी पत्र के मापदंड

  • स्वयं की भूमि
  • स्वयं का भवन
  • प्राचार्य और व्यख्याताओं की नियुक्ति का संबंधित विश्वविद्यालय से अनुमोदन और अनुमोदन प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत व्याख्याताओं की सूची सहित प्रेषित पत्र की प्रति.
  • महाविद्यालय के स्टॉफ का वेतन भुगतान बैंक के माध्यम से किया जा रहा है.
  • महाविद्यालय के समस्त स्टॉफ की पीएफ कटौती नियमानुसार की जा रही हो.
  • छात्र-छात्राओं की समुचित सुविधाओं का विकास कर लिया हो.
  • विधिवत रूप से कॉलेज परिषद का गठन कर लिया हो.
  • गत 3 सालों तक छात्रों का औसत परीक्षा परिणाम सम्बद्धक विश्वविद्यालय के परीक्षा परिणाम के समक्ष हो.
  • निर्धारित राशि की सावधि जमा हो.

उधर, कॉलेज आयुक्त प्रदीप बोर्ड ने कहा कि अनियमित के चलते इन कॉलेजों पर कार्रवाई की गई है. वहीं आधे से प्रकरण में कॉलेज संचालित होने ही बंद हो गए.

Intro:जयपुर- राजस्थान में उच्च शिक्षा के क्षेत्र के लिए ये बुरी खबर है। आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा ने 151 निजी कॉलेजों में से जांच के बाद 62 निजी कॉलेजों की एनओसी यानी स्थाई अनापत्ति प्रमाण पत्र नोडल अधिकारी की रिपोर्ट के बाद निरस्त कर दी है। राज्य सरकार ने 2015-16 और 2016-17 के 151 निजी कॉलेजों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। कॉलेज शिक्षा आयुक्त के मुताबिक एनओसी निरस्त होने के बाद संस्था को किसी तरह का पुर्न भुगतान नहीं किया जाएगा और राज्य सरकार किसी भी प्रकार का दायित्व वहन नहीं करेगी।


Body:प्रदेश में कुल 1578 निजी कॉलेज संचालित हो रहे है वही 904 बीएड कॉलेज है। आयुक्त कॉलेज शिक्षा ने जिन निजी कॉलेजों की एनओसी निरस्त हुई है उसकी सूचना संबंधित निजी कॉलेज के अलावा जिला कलेक्टर और सरकारी विश्वविद्यालय के कुलसचिव जहां से संबद्धता ले रही है, उसे भी भेजी है। वहीं 20 से 22 कॉलेज ऐसे है जो कोर्ट में चले गए और वहां से स्टे लेकर संचालित कर रहे है। 46 कॉलेज ऐसे है जिन्होंने नोटिस देने के बाद भी मापदंडों को पूरा नहीं किया है तो उन कॉलेजों की जांच विचाराधीन है और इन निजी कालेजों की रिपोर्ट पर फैसला होना बाकी है।

कॉलेज शिक्षा विभाग के मुताबिक जिनकी एनओसी को रद्द किया गया है वो तय मापदंडों के अनुसार नहीं संचालित थे वही उनमें से भी आधे से ज्याद कॉलेज संचालित होना ही बंद हो गए। इस मामले में वसुंधरा सरकार के वक्त तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी के निर्देश पर प्रदेश के 151 कॉलेजों की जांच के आदेश 26 जुलाई 2018 में दिए गए। इसके बाद राजकीय कॉलेजों के प्रिंसिपल को नोडल अधिकारी बना कर संबंधित जिले के निजी कॉलेजों की विभिन्न मापदंडों पर जांच कराई गई थी।

विभाग निजी कॉलेज को पहले तीन साल के लिए अस्थायी एनओसी देता है उसके बाद कुछ मापदंड पूरे होने पर दो साल की एनओसी दी जाती है। ऐसे पूरे पांच साल अस्थायी एनओसी पर कॉलेज संचालित होता है। वही छठे साल में विभाग मापदंडों के अनुसार कार्यवाही करता है और फिर अनियमितता पाने पर कॉलेज की एनओसी को रद्द करता देता है।

ये है स्थायी एनओसी पत्र के मापदंड
1. स्वंय की भूमि
2. स्वंय का भवन
3. प्राचार्य एवं व्यख्याताओं की नियुक्ति का संबंधित विश्वविद्यालय से अनुमोदन और अनुमोदन प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत व्याख्याताओं की सूची सहित प्रेषित पत्र की प्रति
4. महाविद्यालय के स्टाफ का वेतन भुगतान बैंक के माध्यम से किया जा रहा है
5. महाविद्यालय के समस्त स्टाफ की पीएफ कटौती नियम अनुसार की जा रही हो
6. छात्र-छात्राओं की समुचित सुविधाओं का विकास कर लिया हो
7. विधिवत रूप से कॉलेज परिषद का गठन कर लिया हो
8. गत 3 वर्षों का छात्रों का औसत परीक्षा परिणाम सम्बद्धक विश्वविद्यालय के परीक्षा परिणाम के समक्ष हो
9. निर्धारित राशि की सावधि जमा हो

उधर, कॉलेज आयुक्त प्रदीप बोर्ड ने कहा कि अनियमित के चलते इन कॉलेजों पर कार्रवाई की गयी है। वही आधे से प्रकरण में कॉलेज संचालित होने ही बंद हो गए।

बाईट- प्रदीप बोरड़, कॉलेज आयुक्त


Conclusion:
Last Updated : May 21, 2019, 9:44 PM IST
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