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3 साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी जयपुर स्मार्ट सिटी कहलाने लायक नहीं...जानें क्यों - jaipur

राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने का काम बीते 3 सालों से चल रहा है. उसके बावजूद भी लगभग आधे से अधिक काम अधूरे पड़े हुए हैं.

जयपुर में स्मार्ट सिटी का काम अधूरा
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Published : Apr 5, 2019, 11:54 PM IST

जयपुर. स्मार्ट सिटी के तहत परकोटा में बड़े स्तर पर काम चल रहा है. लेकिन 3 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी प्रोजेक्ट के काम जमीन पर नहीं उतर पाए हैं. जो काम अब तक हुआ है, उसका भी लोगों को सीधे तौर पर कोई फायदा नहीं मिल पा रहा. प्रोजेक्ट के काम पस्त पड़े हैं और जनता त्रस्त है. वहीं काम की धीमी चाल को लेकर प्रोजेक्ट के सीईओ आलोक रंजन भी कुछ भी कहने से बच रहे हैं.

3 साल बाद भी जयपुर स्मार्ट सिटी कहलाने लायक नहीं

परकोटे के प्रमुख बाजारों में चल रहा फसाड़ वर्क चांदपोल और किशनपोल बाजार में स्मार्ट रोड का काम, चौगान स्टेडियम में पार्किंग और अजमेरी गेट का जीर्णोद्धार. ऐसे कई प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के तहत राजधानी के परकोटा क्षेत्र में चल रहे हैं. लेकिन धरातल पर ये काम अधूरे ही दिखाई देते हैं. अजमेरी गेट के जीर्णोद्धार पर तो यूनेस्को सवाल उठा ही चुका है.
वहीं किशनपोल बाजार में भले ही काम पूरा होने की बात की जाती है. लेकिन अभी भी यहां पर स्मार्ट जैसी कोई बात नजर नहीं आती. ना तो यहां पर अभी वाईफाई सुविधा शुरू हो पाई है और ना ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. यही नहीं बाजार में दूर-दूर तक राहगीरों और खरीददारों के लिये कहीं शौचालय तक की व्यवस्था तक नहीं है.

करीब 1 साल पहले किशनपोल बाजार को स्मार्ट बनाने का काम शुरू हुआ. इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसका उद्घाटन भी किया. हालांकि मौजूदा स्थिति किशनपोल बाजार की ठीक नहीं है. वहीं चौगान स्टेडियम की पार्किंग का काम महीनों से पूरा ही नहीं हो पाया, जिसके चलते परकोटे में आज तक पार्किंग की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई है. इसके अलावा चांदपोल में तो मानो यूटिलिटी डक्ट डालने के बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट वाले आगे काम करना भूल से ही गए हैं. स्थिति ये है कि लोगों को आने-जाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है और व्यापार पूरी तरह प्रभावित हो रहा है.

चौगान स्टेडियम की छत पर 7.35 करोड़ का सोलर प्रोजेक्ट, 89 लाख रुपए का स्मार्ट क्लासरूम प्रोजेक्ट, 1.79 करोड़ का राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स और 3.91 करोड़ के स्मार्ट टॉयलेट जरूर स्मार्ट सिटी के तहत पूरे हुए हैं. लेकिन अभी भी 20 से ज्यादा प्रोजेक्ट का काम पेंडिंग चल रहा है और 37 से ज्यादा प्रोजेक्ट पाइपलाइन में है. ऐसे में 3 साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी फिलहाल जयपुर स्मार्ट सिटी कहलाने योग्य नहीं हो पाया है.

जयपुर. स्मार्ट सिटी के तहत परकोटा में बड़े स्तर पर काम चल रहा है. लेकिन 3 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी प्रोजेक्ट के काम जमीन पर नहीं उतर पाए हैं. जो काम अब तक हुआ है, उसका भी लोगों को सीधे तौर पर कोई फायदा नहीं मिल पा रहा. प्रोजेक्ट के काम पस्त पड़े हैं और जनता त्रस्त है. वहीं काम की धीमी चाल को लेकर प्रोजेक्ट के सीईओ आलोक रंजन भी कुछ भी कहने से बच रहे हैं.

3 साल बाद भी जयपुर स्मार्ट सिटी कहलाने लायक नहीं

परकोटे के प्रमुख बाजारों में चल रहा फसाड़ वर्क चांदपोल और किशनपोल बाजार में स्मार्ट रोड का काम, चौगान स्टेडियम में पार्किंग और अजमेरी गेट का जीर्णोद्धार. ऐसे कई प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के तहत राजधानी के परकोटा क्षेत्र में चल रहे हैं. लेकिन धरातल पर ये काम अधूरे ही दिखाई देते हैं. अजमेरी गेट के जीर्णोद्धार पर तो यूनेस्को सवाल उठा ही चुका है.
वहीं किशनपोल बाजार में भले ही काम पूरा होने की बात की जाती है. लेकिन अभी भी यहां पर स्मार्ट जैसी कोई बात नजर नहीं आती. ना तो यहां पर अभी वाईफाई सुविधा शुरू हो पाई है और ना ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. यही नहीं बाजार में दूर-दूर तक राहगीरों और खरीददारों के लिये कहीं शौचालय तक की व्यवस्था तक नहीं है.

करीब 1 साल पहले किशनपोल बाजार को स्मार्ट बनाने का काम शुरू हुआ. इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसका उद्घाटन भी किया. हालांकि मौजूदा स्थिति किशनपोल बाजार की ठीक नहीं है. वहीं चौगान स्टेडियम की पार्किंग का काम महीनों से पूरा ही नहीं हो पाया, जिसके चलते परकोटे में आज तक पार्किंग की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई है. इसके अलावा चांदपोल में तो मानो यूटिलिटी डक्ट डालने के बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट वाले आगे काम करना भूल से ही गए हैं. स्थिति ये है कि लोगों को आने-जाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है और व्यापार पूरी तरह प्रभावित हो रहा है.

चौगान स्टेडियम की छत पर 7.35 करोड़ का सोलर प्रोजेक्ट, 89 लाख रुपए का स्मार्ट क्लासरूम प्रोजेक्ट, 1.79 करोड़ का राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स और 3.91 करोड़ के स्मार्ट टॉयलेट जरूर स्मार्ट सिटी के तहत पूरे हुए हैं. लेकिन अभी भी 20 से ज्यादा प्रोजेक्ट का काम पेंडिंग चल रहा है और 37 से ज्यादा प्रोजेक्ट पाइपलाइन में है. ऐसे में 3 साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी फिलहाल जयपुर स्मार्ट सिटी कहलाने योग्य नहीं हो पाया है.

Intro:स्मार्ट सिटी के तहत परकोटा में बड़े स्तर पर काम चल रहा है... लेकिन 3 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी प्रोजेक्ट के काम जमीन पर नहीं उतर पाए हैं.... जो काम अब तक हुआ है,,, उसका भी लोगों को सीधे तौर पर कोई फायदा नहीं मिल पा रहा... प्रोजेक्ट के काम पस्त पड़े हैं और जनता त्रस्त है... वहीं काम की धीमी चाल को लेकर प्रोजेक्ट के सीईओ आलोक रंजन भी कुछ भी कहने से बच रहे हैं...


Body:परकोटे के प्रमुख बाजारों में चल रहा फ़साड़ वर्क,,, चांदपोल और किशनपोल बाजार में स्मार्ट रोड का काम,,, चौगान स्टेडियम में पार्किंग,,, और अजमेरी गेट का जीर्णोद्धार,,, ऐसे कई प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के तहत राजधानी के परकोटा क्षेत्र में चल रहे हैं... लेकिन धरातल पर ये काम अधूरे ही दिखाई देते हैं... अजमेरी गेट के जीर्णोद्धार पर तो यूनेस्को सवाल उठा ही चुका है... वहीं किशनपोल बाजार में भले ही काम पूरा होने की बात की जाती है,,, लेकिन अभी भी यहां पर स्मार्ट जैसी कोई बात नजर नहीं आती... ना तो यहां पर अभी वाईफाई सुविधा शुरू हो पाई है,,, और ना ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं... यही नहीं बाजार में दूर-दूर तक राहगीरों और खरीददारों के लिये कहीं शौचालय तक की व्यवस्था तक नहीं है...

करीब 1 साल पहले किशनपोल बाजार को स्मार्ट बनाने का काम शुरू हुआ... इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसका उद्घाटन भी किया... हालांकि मौजूदा स्थिति किशनपोल बाजार की ठीक नहीं है... वहीं चौगान स्टेडियम की पार्किंग का काम महीनों से पूरा ही नहीं हो पाया... जिसके चलते परकोटे में आज तक पार्किंग की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई है... इसके अलावा चांदपोल में तो मानो यूटिलिटी डक्ट डालने के बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट वाले आगे काम करना भूल से ही गए हैं... स्थिति ये है कि लोगों को आने-जाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है... दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है,,, और व्यापार पूरी तरह प्रभावित हो रहा है...


Conclusion:हां, चौगान स्टेडियम की छत पर 7.35 करोड़ का सोलर प्रोजेक्ट,,, 89 लाख रुपए का स्मार्ट क्लासरूम प्रोजेक्ट,,, 1.79 करोड़ का राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स,,, और 3.91 करोड़ के स्मार्ट टॉयलेट जरूर स्मार्ट सिटी के तहत पूरे हुए हैं... लेकिन अभी भी 20 से ज्यादा प्रोजेक्ट का काम पेंडिंग चल रहा है... और 37 से ज्यादा प्रोजेक्ट पाइपलाइन में है... ऐसे में 3 साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी फिलहाल जयपुर स्मार्ट सिटी कहलाने योग्य नहीं हो पाया है...
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