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हाईकोर्ट ने एएनएम भर्ती में दिव्यांग अभ्यर्थी के लिए एक पद रिक्त रखने का दिया आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने एएनएम भर्ती-2018 में फीसदी से ज्यादा विकलांग याचिकाकर्ता महिला अभ्यर्थियों के लिए एक पद खाली रखने का निर्देश दिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश सुनीता यादव की याचिका पर दिया.

जयपुर, court punished accused
बालिका के साथ छेड़छाड करने में मामले में पॉक्सो की विशेश अदालत ने सुनाई सजा
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Published : Feb 1, 2020, 11:41 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एएनएम भर्ती-2018 में फीसदी से ज्यादा विकलांग याचिकाकर्ता महिला अभ्यर्थियों के लिए एक पद खाली रखने का निर्देश दिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने ये आदेश सुनीता यादव की याचिका पर दिया है.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता 2018 की एएनएम भर्ती में सफल रही. इसके बावजूद भी उसका नाम रिजेक्ट अभ्यर्थियों की लिस्ट में था. बाद में ये इस बात की पुष्टि हुई कि याचिकाकर्ता की दिव्यांग केटेगिरी बदल दी गई थी. जबकि मेडिकल बोर्ड सर्टिफिकेट के मुताबिक वह एक पैर से 40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग है.

इसे हाईकोर्ट ने चुनौती देते हुए कहा कि दिव्यांगों को मुख्य धारा में लाने के लिए 1995 और 2016 के एक्ट के जरिए नियम बनाए गए हैं और उसके अनुसार ही उनके लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है. ऐसे में याचिकाकर्ता को किसी अन्य दिव्यांग वर्ग में मानना गलत है.

दस साल की बालिका के साथ छेड़छाड करने वाले अभियुक्त को पांच साल की सजा

जयपुर. पॉक्सो मामलों की विशेश अदालत ने दस साल की बालिका के साथ घर में घुसकर छेड़छाड करने वाले अभियुक्त अशोक कुमार को पांच साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर 55 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

पढ़ें: जयपुर एयरपोर्ट पर सामने आया कोरोना वायरस का एक संदिग्ध यात्री

अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक विजया पारीक ने बताया कि 11 फरवरी 2019 को पीड़िता की मां ने कोटपूतली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया था कि घटना वाले दिन पीड़िता घर में अकेली थी. उसी दौरान आरोपी ने उनके घर में घुसकर उसकी नाबालिग बेटी को पकड़ लिया और उसके कपड़े खोलने का प्रयास किया. पीड़िता के चिल्लाने पर अभियुक्त वहां से भाग गया. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एएनएम भर्ती-2018 में फीसदी से ज्यादा विकलांग याचिकाकर्ता महिला अभ्यर्थियों के लिए एक पद खाली रखने का निर्देश दिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने ये आदेश सुनीता यादव की याचिका पर दिया है.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता 2018 की एएनएम भर्ती में सफल रही. इसके बावजूद भी उसका नाम रिजेक्ट अभ्यर्थियों की लिस्ट में था. बाद में ये इस बात की पुष्टि हुई कि याचिकाकर्ता की दिव्यांग केटेगिरी बदल दी गई थी. जबकि मेडिकल बोर्ड सर्टिफिकेट के मुताबिक वह एक पैर से 40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग है.

इसे हाईकोर्ट ने चुनौती देते हुए कहा कि दिव्यांगों को मुख्य धारा में लाने के लिए 1995 और 2016 के एक्ट के जरिए नियम बनाए गए हैं और उसके अनुसार ही उनके लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है. ऐसे में याचिकाकर्ता को किसी अन्य दिव्यांग वर्ग में मानना गलत है.

दस साल की बालिका के साथ छेड़छाड करने वाले अभियुक्त को पांच साल की सजा

जयपुर. पॉक्सो मामलों की विशेश अदालत ने दस साल की बालिका के साथ घर में घुसकर छेड़छाड करने वाले अभियुक्त अशोक कुमार को पांच साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर 55 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

पढ़ें: जयपुर एयरपोर्ट पर सामने आया कोरोना वायरस का एक संदिग्ध यात्री

अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक विजया पारीक ने बताया कि 11 फरवरी 2019 को पीड़िता की मां ने कोटपूतली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया था कि घटना वाले दिन पीड़िता घर में अकेली थी. उसी दौरान आरोपी ने उनके घर में घुसकर उसकी नाबालिग बेटी को पकड़ लिया और उसके कपड़े खोलने का प्रयास किया. पीड़िता के चिल्लाने पर अभियुक्त वहां से भाग गया. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एएनएम भर्ती-2018 में फीसदी से ज्यादा विकलांग याचिकाकर्ता महिला अभ्यर्थी के लिए एक पद खाली रखने का निर्देश देते हुए राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश सुनीता यादव की याचिका पर दिया। Body:न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश सुनीता यादव की याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता 2018 की एएनएम भर्ती में सफल रही, लेकिन उसका नाम रिजेक्ट अभ्यर्थियों की लिस्ट में था। जानकारी करने पर पता चला कि याचिकाकर्ता की दिव्यांग केटेगिरी बदल दी गई थी। जबकि मेडिकल बोर्ड सर्टिफिकेट के अनुसार वह एक पैर से 40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग है। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि दिव्यांगों को मुख्य धारा में लाने के लिए 1995 व 2016 के एक्ट के जरिए नियम बनाए गए हैं और उसके अनुसार ही उनके लिए आरक्षण का प्रावधान किया है। ऐसे में याचिकाकर्ता को किसी अन्य दिव्यांग वर्ग में मानना गलत है।Conclusion:
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