ETV Bharat / state

हाईकोर्ट ने दिए निर्देश पुराने राजस्व मामलों का किया जाए त्वरित निस्तारण, सीएस बनाए कमेटी

HIGH COURT NEWS हाईकोर्ट ने सभी राजस्व अदालतों को निर्देश दिए हैं कि वह पांच से दस साल पुराने मामलों को अलग कैटेगिरी में रखकर उनका जल्दी निस्तारण किया जाए.

पुराने राजस्व मामलों का किया जाए त्वरित निस्तारण
पुराने राजस्व मामलों का किया जाए त्वरित निस्तारण
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 19, 2023, 9:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश की राजस्व अदालतों में दशकों से लंबित चल रहे मुकदमों का निस्तारण नहीं होने को गंभीरता से लिया है. हाईकोर्ट ने सभी राजस्व अदालतों को निर्देश दिए हैं कि वह पांच से दस साल पुराने मामलों को अलग कैटेगिरी में रखकर उनका जल्दी निस्तारण किया जाए. वहीं ऐसे मामलों की पहचान के लिए उन्हें अलग रंग के कवर में रखा जाए. अदालत ने सभी राजस्व अधिकारियों को कहा है कि वह आर्डर शीट को कर्मचारियों के भरोसे न छोड़कर स्वयं अपने हाथ से लिखे. इसके अलावा हर माल लंबित मामलो की जानकारी संबंधित जिला कलेक्टर को भेजी जाए. जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश विशंभर दयाल व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह सभी संभागीय मुख्यालय पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को शामिल करते हुए एरियर्स रिव्यू कमेटी बनाए और जिला कलेक्टर लंबित प्रकरणों के आंकडे इस कमेटी के समक्ष भेजे. अदालत ने मुख्य सचिव को कहा है कि वह आदेश की पालना रिपोर्ट छह माह में अदालत में पेश करे.

पढ़ें:प्रमुख स्वास्थ्य सचिव हाजिर होकर बताए क्यों नहीं की आदेश की पालना?

अदालत ने अलवर जिले की राजस्व अदालत में दशकों से लंबित प्रकरण की चर्चा करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को अपने केस की जल्द सुनवाई का मौलिक अधिकार है. आदमी के जीवन की दौड़ तो छोटी है, लेकिन मुकदमेबाजी की दौड़ लंबे समय तक जीवित रहती है. अदालत ने कहा कि राजस्व अदालत के समक्ष इतनी लंबी अवधि तक केस का लंबित रहना न्याय प्रणाली व केस के जल्द निस्तारण की अवधारणा को ही विफल बनाता है. इतना ही नहीं पिछले 40 साल के दौरान वादी व प्रतिवादियों ने भी कई बार तारीखें ली जो भी न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग ही हैं

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश की राजस्व अदालतों में दशकों से लंबित चल रहे मुकदमों का निस्तारण नहीं होने को गंभीरता से लिया है. हाईकोर्ट ने सभी राजस्व अदालतों को निर्देश दिए हैं कि वह पांच से दस साल पुराने मामलों को अलग कैटेगिरी में रखकर उनका जल्दी निस्तारण किया जाए. वहीं ऐसे मामलों की पहचान के लिए उन्हें अलग रंग के कवर में रखा जाए. अदालत ने सभी राजस्व अधिकारियों को कहा है कि वह आर्डर शीट को कर्मचारियों के भरोसे न छोड़कर स्वयं अपने हाथ से लिखे. इसके अलावा हर माल लंबित मामलो की जानकारी संबंधित जिला कलेक्टर को भेजी जाए. जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश विशंभर दयाल व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह सभी संभागीय मुख्यालय पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को शामिल करते हुए एरियर्स रिव्यू कमेटी बनाए और जिला कलेक्टर लंबित प्रकरणों के आंकडे इस कमेटी के समक्ष भेजे. अदालत ने मुख्य सचिव को कहा है कि वह आदेश की पालना रिपोर्ट छह माह में अदालत में पेश करे.

पढ़ें:प्रमुख स्वास्थ्य सचिव हाजिर होकर बताए क्यों नहीं की आदेश की पालना?

अदालत ने अलवर जिले की राजस्व अदालत में दशकों से लंबित प्रकरण की चर्चा करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को अपने केस की जल्द सुनवाई का मौलिक अधिकार है. आदमी के जीवन की दौड़ तो छोटी है, लेकिन मुकदमेबाजी की दौड़ लंबे समय तक जीवित रहती है. अदालत ने कहा कि राजस्व अदालत के समक्ष इतनी लंबी अवधि तक केस का लंबित रहना न्याय प्रणाली व केस के जल्द निस्तारण की अवधारणा को ही विफल बनाता है. इतना ही नहीं पिछले 40 साल के दौरान वादी व प्रतिवादियों ने भी कई बार तारीखें ली जो भी न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग ही हैं

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.