जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वकालत पूर्व परीक्षा के चार करोड़ के गबन से जुड़े मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर अग्रिम जांच करने पर रोक लगा दी है. अदालत ने जांच के लिए हाथ बढ़ाने वाले सदर थाने के तत्कालीन थाना अधिकारी मनोज गुप्ता को नोटिस जारी कर तलब किया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश बीसीआई की ओर से दायर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
मामले के अनुसार हीरालाल शर्मा ने वर्ष 2012 में सदर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि वकालत पूर्व परीक्षा में शामिल करने के लिए बीसीआई ने हर अभ्यर्थी से 1300 रुपये लेते हुए कुल 7 करोड़ रुपए एकत्रित किए हैं. वहीं बिना टेंडर निकाले रेनमेकर कंपनी को परीक्षा संचालित करने का ठेका 5 करोड़ रुपये में दे दिया गया. जबकि परीक्षा आयोजन का खर्च एक करोड़ रुपए से अधिक का नहीं था.
'हाईकोर्ट ने दिया था मौखिक जांच के मौखिक आदेश'
मामले में पुलिस ने 19 दिसंबर 2012 को एफआईआर पेश कर दी. सरकारी वकील शेर सिंह महला ने बताया कि शिकायतकर्ता की याचिका पर हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से थानाधिकारी को अग्रिम जांच के आदेश दिए थे. इसके तहत थाना अधिकारी ने निचली अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर पत्रावली वापस मांग ली. जिसे चुनौती देते हुए बीसीआई की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था, थाना अधिकारी ने अपने स्तर पर ही प्रार्थना पत्र पेश कर प्रकरण की जांच शुरू की है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने प्रकरण में अग्रिम जांच पर रोक लगाते हुए थानाधिकारी से जवाब तलब किया है.