जयपुर. हेरिटेज नगर निगम के कांग्रेस और निर्दलीय पार्षदों के सब्र का बांध टूट गया है. बोर्ड बनने के 2 साल बाद (Heritage Nigam Councillors on indefinite strike) भी कार्यकारी समितियों का गठन नहीं होने से नाराज पार्षद बुधवार को निगम मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए. इस दौरान उन्होंने विधायकों और कांग्रेस सरकार पर नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि जब तक कांग्रेस के विधायक और मंत्री समितियों का चेयरमैन बनाए जाने को लेकर आश्वस्त नहीं करते, तब तक ये धरना जारी रहेगा.
जयपुर हेरिटेज नगर निगम के कांग्रेस बोर्ड को बने 2 वर्ष का समय बीत चुका है. लेकिन अब तक यहां कार्यकारी समितियों का गठन नहीं किया गया. इसे लेकर निर्दलीय और कांग्रेस पार्षदों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पार्षदों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए निगम मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया. इस दौरान आदर्श नगर हवा महल और किशनपोल विधानसभा क्षेत्र से आने वाले कांग्रेसी और निर्दलीय पार्षदों ने कांग्रेस विधायकों पर जमकर हमला बोला.
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2 साल बाद भी समितियों का नहीं हुआ गठन : आदर्श नगर विधानसभा के वरिष्ठ कांग्रेस पार्षद (Protest in heritage Nagar Nigam) उमरदराज ने कहा कि पार्षद अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस तरह से अभी तक समितियों का गठन कर चेयरमैन नहीं बनाए गए, उससे कहीं न कहीं अब पार्षदों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, पहली बार जयपुर के निगम में कांग्रेस बोर्ड बना है. हेरिटेज नगर निगम में 2 साल पूरे हो चुके हैं, बावजूद इसके समितियों का गठन नहीं हो पा रहा है. जबकि जहां बीजेपी का बोर्ड है, उस निगम में समितियां बन भी गई और काम भी कर रही हैं. यहां के चारों विधायक एक दूसरे पर टाल देते हैं, इसका यही मतलब है कि विधायक समितियां बनाना ही नहीं चाहते. इससे पार्षदों का मनोबल टूट रहा है.
चारों विधायक एक दूसरे टाल रहे : किशनपोल विधानसभा से पार्षद अरविंद मेठी ने कहा कि आज निगम में अफसरशाही हावी हो चुकी है. समितियों का गठन नहीं होने पर हर काम के लिए अधिकारियों के आगे गिड़गिड़ाना पड़ता है. वहीं हवा महल विधानसभा क्षेत्र से आने वाले पार्षद पिता और पूर्व पार्षद गफूर मंसूरी ने बताया कि वो पहले भी निगम का हिस्सा रहे, लेकिन ऐसा कभी देखने को नहीं मिला कि इतने समय बाद भी समितियों का गठन नहीं किया गया हो. लेकिन यहां कांग्रेस के चारों विधायक आपस में बैठकर तय नहीं कर पा रहे. यदि समय रहते समितियों का गठन किया जाता तो इसका फायदा कांग्रेस को ही आने वाले विधानसभा चुनाव में मिलता. नहीं तो इसका नुकसान कांग्रेस को आने वाले चुनाव में भुगतना पड़ेगा.
कांग्रेस को भुगतना होगा खामियाजा : कांग्रेस नेता और निर्दलीय पार्षद पति अख्तर हुसैन और निर्दलीय पार्षद मोहम्मद जकारिया शेरम ने कहा कि बंद कमरों में विश्वास दिलाया गया था कि निर्दलीय पार्षदों को समितियों का चेयरमैन बनाया जाएगा. अब 2 साल बीत गए हैं. अब खामियाजा उन्हें भी भुगतना पड़ेगा, क्योंकि उनका भी समय आने को है. कांग्रेस का साथ छोड़ने को लेकर उन्होंने कहा कि व्यक्ति को ज्यादा परेशान किया जाता है वो दूसरे रास्ते को अपनाता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि ये आखिरी धरना-प्रदर्शन है जो अनिश्चितकाल तक रहेगा. अगर सरकार के नुमाइंदे आकर बात करेंगे और चेयरमैन बनाने के लिए स्वीकृति प्रदान करेंगे, तभी धरना खत्म किया जाएगा. तब तक जनता के बीच एक मैसेज जाएगा कि आज कांग्रेस की विचारधारा और कांग्रेस के साथ रहने वालों के साथ क्या हो रहा है.
आपको बता दें कि 3 नवंबर 2020 को चुनाव का परिणाम आने के बाद पूर्ण बहुमत नहीं (Protest demanding Formation of Committees) होने के बाद भी कांग्रेस का बोर्ड बना. उस समय कांग्रेस ने 100 में से 47 ही सीटें जीती थीं, लेकिन 11 में से 9 निर्दलीयों ने समर्थन देकर कांग्रेस का बोर्ड बनाते हुए मुनेश गुर्जर को मेयर बनवाया. इसके बाद से निर्दलीय पार्षद इस आस में बैठे है कि उन्हें भी चैयरमेन की कुर्सी मिलेगी, लेकिन ऐसा अब तक हो नहीं पाया है.