जयपुर. छात्र राजनीति से प्रदेश की मुख्यधारा की राजनीति में आने वालों की एक लंबी फेहरिस्त है. प्रदेश के विभिन्न यूनिवर्सिटी से निकले ऐसे कई चेहरे हैं, जो आज सांसद-विधायक, प्रदेश और केंद्र में मंत्री ही नहीं मुख्यमंत्री तक बने हैं. बड़े स्तर के राजनेता जयपुर की राजस्थान यूनिवर्सिटी, जोधपुर की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी और उदयपुर की सुखाड़िया यूनिवर्सिटी की देन है.
इस तरह हुई शुरुआत : वर्ष 1947 में अस्तित्व में आई राजस्थान यूनिवर्सिटी से कई नेताओं का राजनीतिक सफर शुरू हुआ. यही राजस्थान यूनिवर्सिटी सबसे ज्यादा नेता देने वाला विश्वविद्यालय रहा है. इनमें 1968 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे ज्ञान सिंह चौधरी बाद में मंत्री बने. इसके बाद 1974-75 में आरयू के अध्यक्ष रहे कालीचरण सराफ फिलहाल मालवीय नगर विधानसभा के विधायक हैं, जो पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रहे.
इसके बाद 1978-79 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे राजेंद्र राठौड़ वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष हैं. इनके बाद वर्तमान पीएचईडी मंत्री महेश जोशी भी 1979-80 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे थे. वहीं, 1980-81 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे राजपाल सिंह शेखावत पूर्ववर्ती सरकार में उद्योग मंत्री रहे थे. इसके बाद रघु शर्मा 1981-86 तक अध्यक्ष रहे, जो इसी सरकार में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं. इसी तरह चंद्रशेखर 1986-89 भी छात्रसंघ अध्यक्ष रहे, जो बाद में मंत्री बने. प्रतापसिंह खाचरियावास 1992-93 छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए और वर्तमान कांग्रेस सरकार ने खाद्य आपूर्ति मंत्री हैं, जबकि 1993-94 में छात्रसंघ अध्यक्ष जितेंद्र श्रीमाली वर्तमान में ग्रेटर नगर निगम में समिति चेयरमैन हैं.
ये भी छात्र राजनीति से ही निकले : इनके अलावा मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी भी 1995-96 में शासन अध्यक्ष रहे हैं. सांसद हनुमान बेनीवाल 1997-98 में अध्यक्ष रहे. मुख्यमंत्री के पूर्व सलाहकार राजकुमार शर्मा 1999-2000 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे थे. बीजेपी विधायक और पूर्व मेयर अशोक लाहोटी 2000-01 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं. इसके अलावा 2002-03 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे पुष्पेंद्र भारद्वाज कांग्रेस के विधायक प्रत्याशी रह चुके हैं, जबकि 2003-04 में राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे जितेन्द्र मीणा भी बीजेपी में पदाधिकारी रहे हैं. इनके अलावा मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया वर्तमान सरकार में विधायक हैं, ये भी छात्र राजनीति से ही निकले हैं.
छात्र राजनीति के ट्रेंड पर अगर नजर डालें तो 2004 से पहले तक छात्रनेता रहने वाले कई नेता आज विभिन्न राजनीतिक दलों में कद्दावर नेता हैं, लेकिन 2010 में दोबारा चुनाव शुरू होने के बाद अब तक राजस्थान के किसी यूनिवर्सिटी में एक भी छात्रनेता ऐसा नहीं, जिसने चुनाव जीतने के बाद मुख्य राजनीति में जगह बनाई हो. हालांकि 2010-11 में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे मनीष यादव ने भी विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाया था, जबकि 2015-16 में छात्रसंघ अध्यक्ष बने सतवीर चौधरी वर्तमान में खेल परिषद उपाध्यक्ष हैं.
छात्र राजनीति में रहे सक्रिय : राजस्थान विश्वविद्यालय के अलावा जेएनवीयू यूनिवर्सिटी और सुखाड़िया यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति ने भी मुख्यधारा राजनीति में मुकाम हासिल किया है. इनमें सबसे बड़ा नाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है. हालांकि गहलोत छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ते हुए हार गए थे. वहीं, वर्तमान में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत 1992-93 में जेएनवीयू यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे थे. इसी तरह सीपी जोशी 1973 में सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए थे. पूर्ववर्ती सरकार में यूडीएच मंत्री रहे श्रीचंद कृपलानी 1978 भी सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं. इनके अलावा वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, पूर्व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी भी छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं.
इस सत्र में छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाई गई है. ये फरमान खुद छात्र राजनीति से निकले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निकाला है, जिसे लेकर अब छात्रों में रोष है. इन्हीं विश्वविद्यालय से निकले पूर्व छात्र नेता और वर्तमान में मुख्यधारा की राजनीति कर रहे नेताओं ने इसे लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया दी है, लेकिन इस फरमान का सीधा असर उन छात्र नेताओं पर पड़ रहा है, जो भविष्य में मुख्य धारा की राजनीति में खुद को देख रहे थे.