जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह प्रदेश के हर जल स्त्रोत की सैटेलाइट इमेज ले, जिससे वहां मौजूद जंगलात, कैचमेंट एरिया और खनन आदि का पता चल सके और अवैध गतिविधियों पर लोग रोक लगाई जा सके.
इसके साथ ही अदालत ने प्रकरण में जयपुर कलेक्टर, जेडीए आयुक्त, अजमेर विकास प्राधिकरण आयुक्त, अजमेर कलेक्टर, नागौर कलेक्टर और अजमेर नगर निगम के सीईओ को 11 मार्च को पेश होने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश मनीष भंडारी और न्यायाधीश बीएल शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश रामगढ़ बांध में रुकावटो के संबंध में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान अजमेर और नागौर जिला कलेक्टर सहित आईएएस रोहित कुमार सिंह अदालत में पेश हुए. दोनों कलेक्टर्स की ओर से जल स्त्रोतों का पुनर्जीवन प्लान पेश नहीं करने पर अदालत ने उन्हें एक सप्ताह का समय दिया है. अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि जल स्रोतों के पुनर्जीवन के लिए यदि जरूरत हो तो नरेगा फंड का उपयोग किया जा सकता है, ताकि मानसून में इसका लाभ मिल सके.
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को ऐसा प्लान विकसित करना चाहिए कि जल स्रोतों में अवैध गतिविधि संचालित होने पर उसका तत्काल पता चल सके. वही दोषी अफसरों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. अफसरों पर कार्रवाई होने पर भले ही अवैध गतिविधियां पूरी तरह से बंद नहीं होगी लेकिन काफी हद तक इस में कमी आएगी.
जल स्रोतों की अवैध गतिविधियों में ना केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि सरकार को भी हानि हो रही है. सुनवाई के दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कहा गया कि अजमेर के आना सागर में दूषित पानी छोड़ा जा रहा है. वहीं राज्य सरकार की ओर से रामगढ़ बांध क्षेत्र की सेटेलाइट इमेज पेश की गई. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने संबंधित अधिकारियों को 11 मार्च को पेश होने के आदेश दिए हैं.