जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने गुर्जर सहित पांच जातियों को अलग से एमबीसी वर्ग में पांच फीसदी आरक्षण देने पर मुख्य सचिव और प्रमुख कार्मिक सचिव को 25 मार्च तक जवाब देने के निर्देश दिए हैं. साथ ही मामले की सुनवाई 2 अप्रैल को तय की गई है.
मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रजोग और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने यह आदेश अरविंद शर्मा और अन्य की जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने याचिका में पक्षकार बनाए किरोड़ी सिंह बैंसला और हिम्मत सिंह को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया है. वहीं, अदालत ने मौखिक रूप से मामले में अंतरिम रोक लगाने से भी इंकार किया है.
याचिका में राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने आपात स्थितियों का हवाला देते हुए इन जातियों को शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी सेवाओं में पांच फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया है.
सरकार ने यह आरक्षण इनकी जनसंख्या के अनुपात को देखते हुए दिया है. जबकि संविधान के तहत जनसंख्या के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता. यह सिर्फ शैक्षणिक और सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर ही दिया जा सकता है.
इसके अलावा राज्य सरकार ने गुर्जरों के उग्र आंदोलन को रोकने के लिए मजबूरी में यह अधिनियम पारित किया है. सरकार ने रेलवे ट्रैक और हाईवे जाम कर बैठे गुर्जरों से मौके पर जाकर दबाव में यह कार्रवाई की है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.