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जयपुर सिटी पैलेस में गुरु गोविंद सिंह की ऐतिहासिक तलवार, जानें कैसे पहुंची राजस्थान

जयपुर के सिटी पैलेस में गुरुवार को गुरु गोविंद सिंह जी की ऐतिहासिक तलवार (Guru Govind Singh Sword) प्रदर्शित की गई. इस दौरान सिख धर्मावलंबियों ने कीर्तन और अरदास की. आखिर ये तलवार राजस्थान कैसे पहुंची, जानिए इस रिपोर्ट में...

Guru Govind Singh Sword
गुरु गोविंद सिंह की ऐतिहासिक तलवार
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Published : Apr 13, 2023, 9:45 PM IST

गुरु गोविंद सिंह की ऐतिहासिक तलवार

जयपुर. बैसाखी की पूर्व संध्या पर गुरुवार को राजधानी जयपुर में सिटी पैलेस में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान सिख धर्मावलंबियों ने कीर्तन और अरदास की. सुखमनी सेवा सोसायटी की ओर से यह कार्यक्रम रखा गया था, जहां सोसाइटी के सदस्यों की ओर से कीर्तन और अरदास की गई. कार्यक्रम के दौरान सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी की ऐतिहासिक तलवार भी प्रदर्शित की गई. बैसाखी के तहत सोसायटी की ओर से 'आपणी मेहर कर' के सदस्यों ने गुरु जी की बाणी चौपाई साहिब के 7,700 पाठ किए. गौरतलब है कि बैसाखी के दिन को खालसा साजना दिवस के रूप में मनाया जाता है.

1699 में हुई थी खालसा पंथ की स्थापना : सिख धर्म के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह वैशाखी का दिन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. साल 1699 में आनंदपुर साहिब में गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी और इसी मौके पर उन्होंने पंज प्यारों को अपने हाथ से अमृत पान करवा कर खालसा बनाया था. गुरुजी ने तब उन पंज प्यारों के हाथों से स्वयं भी अमृतपान किया था. इस मौके पर गुरु गोविंद सिंह ने 'जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल' और 'वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतह' जैसे प्रेरक शब्दों के जरिए जोश भर दिया था. आज उनके कहे गये यह वाक्य सिख धर्म की पहचान हैं. इस मौके पर सुखमनी सेवा सोसायटी की अध्यक्ष, पिंकी सिंह ने बताया कि कार्यक्रम में सदस्यों ने "मेरा बैद गुरु गोविंदा'', "नासरो मन्सूर गुरु गोविंद सिंह" और "वाह वाह गोविंद सिंह आपे गुरु चेला का गायन किया.

पढ़ें : Khalsa Sajna Divas : 'खालसा साजना दिवस यह दिखाने के लिए है कि सिख किसी चीज से डरते नहीं हैं'

338 साल पहले की है तलवार : गुरु गोविंद सिंह की इस पवित्र ऐतिहासिक तलवार को हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले के नाहान राज परिवार को भेंट किया गया था. इसके बाद यह तलवार पूर्व राजमाता पद्मिनी देवी अपने पीहर से जयपुर लेकर आई थी. सिटी पैलेस की सर्वतो भद्र चौक में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था. यह पहला मौका है, जब बैसाखी के मौके गुरु गोविंद सिंह की इस ऐतिहासिक तलवार का प्रदर्शन किया गया. जाहिर है कि बैसाखी के दिन ही गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. इससे पहले गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व यानी उनकी जयंती पर ही इस पवित्र तलवार को दर्शनार्थ सार्वजनिक किया जाता था.

सिटी पैलेस में आये सिख धर्मावलंबियों ने बताया कि जब महाराष्ट्र के नांदेड़ साहिब में गुरु गोविंद सिंह ने जीवन के आखिरी समय को बिताया था. तब उनसे उनके भक्तों ने पूछा था की वे आगे जाकर किसका अनुसरण करेंगे, तो गुरु गोविंद सिंह ने कहा था कि उनके बाद उनके शस्त्रों को ही पूजा जाएगा. सुखमनी सेवा सोसायटी के सूर्य उदय सिंह ने बताया कि वे अपने गुरु की बताई परंपरा की पालना करने के लिए सिटी पैलेस पहुंचे और गुरु गोविंद सिंह की तलवार के दर्शन कर लाभ प्राप्त किया.

उन्होंने इस दौरान जयपुर के पूर्व राजपरिवार का भी आभार जताया. सोसायटी के सेक्रेटरी, सूर्य उदय सिंह ने गुरु गोविंद सिंह जी की 'कृपाण' के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि अपने जीवन काल का कुछ समय नाहन (सिरमौर जिला) में व्यतीत किया था. तब नाहन छोड़ते समय उन्होंने अपनी निजी तलवार तत्कालीन शासक को स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट की थी. राजमाता पद्मिनी देवी, जो कि नाहन से हैं, कुछ वर्ष पहले तलवार को जयपुर लेकर आई थीं, तब से यह तलवार सिटी पैलेस में है.

गुरु गोविंद सिंह की ऐतिहासिक तलवार

जयपुर. बैसाखी की पूर्व संध्या पर गुरुवार को राजधानी जयपुर में सिटी पैलेस में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान सिख धर्मावलंबियों ने कीर्तन और अरदास की. सुखमनी सेवा सोसायटी की ओर से यह कार्यक्रम रखा गया था, जहां सोसाइटी के सदस्यों की ओर से कीर्तन और अरदास की गई. कार्यक्रम के दौरान सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी की ऐतिहासिक तलवार भी प्रदर्शित की गई. बैसाखी के तहत सोसायटी की ओर से 'आपणी मेहर कर' के सदस्यों ने गुरु जी की बाणी चौपाई साहिब के 7,700 पाठ किए. गौरतलब है कि बैसाखी के दिन को खालसा साजना दिवस के रूप में मनाया जाता है.

1699 में हुई थी खालसा पंथ की स्थापना : सिख धर्म के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह वैशाखी का दिन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. साल 1699 में आनंदपुर साहिब में गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी और इसी मौके पर उन्होंने पंज प्यारों को अपने हाथ से अमृत पान करवा कर खालसा बनाया था. गुरुजी ने तब उन पंज प्यारों के हाथों से स्वयं भी अमृतपान किया था. इस मौके पर गुरु गोविंद सिंह ने 'जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल' और 'वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतह' जैसे प्रेरक शब्दों के जरिए जोश भर दिया था. आज उनके कहे गये यह वाक्य सिख धर्म की पहचान हैं. इस मौके पर सुखमनी सेवा सोसायटी की अध्यक्ष, पिंकी सिंह ने बताया कि कार्यक्रम में सदस्यों ने "मेरा बैद गुरु गोविंदा'', "नासरो मन्सूर गुरु गोविंद सिंह" और "वाह वाह गोविंद सिंह आपे गुरु चेला का गायन किया.

पढ़ें : Khalsa Sajna Divas : 'खालसा साजना दिवस यह दिखाने के लिए है कि सिख किसी चीज से डरते नहीं हैं'

338 साल पहले की है तलवार : गुरु गोविंद सिंह की इस पवित्र ऐतिहासिक तलवार को हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले के नाहान राज परिवार को भेंट किया गया था. इसके बाद यह तलवार पूर्व राजमाता पद्मिनी देवी अपने पीहर से जयपुर लेकर आई थी. सिटी पैलेस की सर्वतो भद्र चौक में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था. यह पहला मौका है, जब बैसाखी के मौके गुरु गोविंद सिंह की इस ऐतिहासिक तलवार का प्रदर्शन किया गया. जाहिर है कि बैसाखी के दिन ही गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. इससे पहले गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व यानी उनकी जयंती पर ही इस पवित्र तलवार को दर्शनार्थ सार्वजनिक किया जाता था.

सिटी पैलेस में आये सिख धर्मावलंबियों ने बताया कि जब महाराष्ट्र के नांदेड़ साहिब में गुरु गोविंद सिंह ने जीवन के आखिरी समय को बिताया था. तब उनसे उनके भक्तों ने पूछा था की वे आगे जाकर किसका अनुसरण करेंगे, तो गुरु गोविंद सिंह ने कहा था कि उनके बाद उनके शस्त्रों को ही पूजा जाएगा. सुखमनी सेवा सोसायटी के सूर्य उदय सिंह ने बताया कि वे अपने गुरु की बताई परंपरा की पालना करने के लिए सिटी पैलेस पहुंचे और गुरु गोविंद सिंह की तलवार के दर्शन कर लाभ प्राप्त किया.

उन्होंने इस दौरान जयपुर के पूर्व राजपरिवार का भी आभार जताया. सोसायटी के सेक्रेटरी, सूर्य उदय सिंह ने गुरु गोविंद सिंह जी की 'कृपाण' के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि अपने जीवन काल का कुछ समय नाहन (सिरमौर जिला) में व्यतीत किया था. तब नाहन छोड़ते समय उन्होंने अपनी निजी तलवार तत्कालीन शासक को स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट की थी. राजमाता पद्मिनी देवी, जो कि नाहन से हैं, कुछ वर्ष पहले तलवार को जयपुर लेकर आई थीं, तब से यह तलवार सिटी पैलेस में है.

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