जयपुर. राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme in rajasthan) और न्यू पेंशन स्कीम पर विवाद लगातार बरकरार है. एक ओर जहां 2004 के बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों को भी अब ओपीएस का लाभ मिल रहा है, तो वहीं कई कर्मचारी ऐसे हैं जो एनपीएस के तहत जमा राशि का अंशदान निकलवा रहे हैं. ऐसा करने वाले कर्मचारियों को गहलोत सरकार ने चेताया है. सरकार ने कहा कि कोई भी कर्मचारी अगर एनपीएस की किसी भी योजना का लाभ लेता है तो वो ओल्ड पेंशन स्कीम से बाहर माना जाएगा.
ये कहा आदेश में: वित्त विभाग की ओर से जारी परिपत्र में कहा गया है कि प्रदेश में 19 मई 2022 से एक बार फिर 2004 के बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर दिया गया है. ओपीएस स्कीम के लागू होने के साथ ही न्यू पेंशन स्कीम का राजस्थान (New Pension Scheme in Rajasthan) में कर्मचारियों के लिए कोई अस्तित्व नहीं रहता है. लेकिन बावजूद देखने में आ रहा है कि बड़ी संख्या में कर्मचारी एनपीएस की अंशदान राशि को निकलवाने के लिए आवेदन कर रहे हैं. जोकि 19 मई 2022 के आदेश का पूरी तरीके से उल्लंघन है. आदेश में कहा गया है कि कोई भी कर्मचारी अगर एनपीएस के अंशदान राशि के लिए आवेदन करता है या राशि निकलवाता है तो वह यह माना जाएगा कि ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ नहीं लेना चाहता. सरकार कर्मचारी को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ नहीं देगी और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है.
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कर्मचारी एनपीएस के अंशदान के लिए कर रहे थे आवेदन: बता दें कि राजस्थान में गहलोत सरकार ने विधानसभा सत्र में घोषणा करते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम को पुनः लागू किया था. लेकिन बावजूद इसके प्रदेश के कई कर्मचारी एनपीएस के तहत अंशदान निकालने की योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कर रहे थे. इस तरह के आवेदन की लगातार सरकार के पास शिकायत के आ रही थी. लगातार बढ़ती शिकायतों को देखते हुए सरकार ने इसके लिए चेतावनी पत्र जारी किया है. इस परिपत्र के तहत अब यह स्पष्ट है कि कोई भी कर्मचारी जो 2004 के बाद नियुक्त हुआ है, अगर वह एनपीएस के किसी भी लाभ के लिए आवेदन करता है तो वह सरकार के आदेश की अवहेलना के रूप में माना जाएगा.
एनपीएस में ये था प्रावधान: बता दें कि 2004 के बाद नियुक्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को केंद्र सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम (New Pension Scheme in Rajasthan) में शामिल किया था. जिसमें एक अनुदान कर्मचारी के हिस्से का तो दूसरा हिस्सा सरकार की ओर से शामिल किया जाता था. एनपीएस के तहत जमा हुई राशि में कर्मचारियों के लिए प्रावधान था कि वह आवश्यकता के अनुसार अंशदान की कुछ राशि को निकलवा सकता था.