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त्रिपोलिया गेट से निकली गणगौर माता की शाही सवारी, पर्यटकों ने कैमरे में कैद की विरासत

जयपुर में पारंपरिक गणगौर माता की सवारी अपने शाही लवाजमे के साथ त्रिपोलिया गेट से निकली. इस दौरान पर्यटकों ने इस पारंपरिक पल को अपने कैमरे में कैद किया.

Gangaur sawari in Jaipur
Ground Report : त्रिपोलिया गेट से निकली गणगौर माता की शाही सवारी, पर्यटकों ने कैमरे में कैद की विरासत
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Published : Mar 24, 2023, 9:03 PM IST

Updated : Mar 25, 2023, 8:08 AM IST

गणगौर माता की शाही सवारी

जयपुर. विश्व विरासत में शामिल जयपुर के परकोटा में एक बार फिर परंपरा का निर्वहन किया गया. शुक्रवार शाम त्रिपोलिया गेट से अपने पारंपरिक गौरव और शाही लवाजमे के साथ गणगौर माता की सवारी निकली. इस दौरान राजस्थान की लोक कला और संस्कृति की छटा बिखरी. जिसे देशी-विदेशी पर्यटकों ने अपने कैमरे में कैद किया. वहीं सुहागिनों ने गणगौर माता के दर्शन कर अखंड सौभाग्य की कामना की.

जयपुर के विरासत से जुड़े लोक पर्व गणगौर पर हर साल त्रिपोलिया गेट से गणगौर माता की सवारी निकलती है. आज फिर राजधानी की सड़कों पर पारंपरिक गणगौर माता की सवारी अपने शाही लवाजमे के साथ निकली. जिसे देखने के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगा. गणगौर माता की सवारी सजे-धजे पचरंगा ध्वज लिए शाही हाथी, ऊंट, घोड़े, बैलगाड़ी के लवाजमे के साथ त्रिपोलिया गेट से निकली.

गणगौर माता की शाही सवारी में कच्ची घोड़ी नृत्य
गणगौर माता की शाही सवारी में कच्ची घोड़ी नृत्य

पढ़ें: चैत्र शुक्ल तृतीया आज, गणगौर माता का त्योहार, पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं रखती हैं व्रत

सवारी के आगे विभिन्न लोक कलाकारों ने लोक नृत्य पेश किए. गणगौर की सवारी में कच्ची घोड़ी, आंगी गैर, सफेद गैर, बहरूपिया, कालबेलिया, तेरहताली और मयूर जैसे लोक नृत्य का प्रदर्शन किया गया. साथ ही जयपुर के कई प्रमुख बैंड ने अपने वाद्य यंत्रों के वादन के साथ गणगौर माता को रिझाया. इस दौरान मौजूद रहे देशी-विदेशी पर्यटकों ने इसे एक शानदार अनुभव बताया.

गणगौर माता की शाही सवारी में दिखे कई रंग
गणगौर माता की शाही सवारी में दिखे कई रंग

वहीं इस दौरान मौजूद रहे आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ ने कहा कि कोरोना का सबसे ज्यादा प्रभाव पर्यटन पर पड़ा है, जो अब पटरी पर लौट रहा है. पर्यटन के नजरिए से राजस्थान प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. यहां के तीज, गणगौर, मेले से लोग पीढ़ियों से जुड़े हुए हैं. आज गणगौर माता की सवारी देखने के लिए पूरा जयपुर उमड़ा. इस दौरान उन्होंने ईसर गणगौर से पूरे प्रदेश में अमन, चैन, भाईचारा कायम रखते हुए तरक्की की राह पर बढ़ने की कामना की.

पढ़ें: जोधपुर में तीज के अवसर पर घर-घर हुआ गणगौर पूजन, समाज भवन में हुए बडे़ आयेाजन

उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुखिया ने मेले, तीज, त्यौहार, धार्मिक आयोजन और गायों के लिए भी कई अहम फैसले लिए. पर्यटन विभाग ने भी कई नए नवाचार किए हैं. आरटीडीसी की बोर्ड बैठक में भी फैसला लिया गया कि आरटीडीसी के होटल्स में पत्रकार, परमवीर चक्र-शौर्य चक्रधारी, राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिलने वाले खिलाड़ियों और टूरिज्म डिपार्टमेंट के ऑफिसर के लिए 50% की छूट दी है. वहीं अब चंबल रिवर फ्रंट में क्रूज चलाने का भी फैसला लिया गया है.

गणगौर माता की शाही सवारी में लोक नृत्यांगनाएं झूम कर नाची
गणगौर माता की शाही सवारी में लोक नृत्यांगनाएं झूम कर नाची

इस दौरान देवस्थान विभाग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि कोरोना काल ने जिस गणगौर की सवारी पर ब्रेक लगा दिया था, आज फिर इस पारंपरिक त्योहार पर माता की सवारी के दर्शन के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगा. गणगौर की सवारी राजस्थान की संस्कृति, लोक नृत्य, कला परंपराओं को जिंदा रखने का काम कर रही है.

गणगौर माता की शाही सवारी में नजर आए सजे—धजे ऊंट
गणगौर माता की शाही सवारी में नजर आए सजे—धजे ऊंट

पढ़ें: Gangaur Festival 2023: अखंड सुहाग के लिए सुहागिनों ने पूजी गणगौर, शाही लवाजमे के साथ निकलेगी माता की सवारी

सवारी के दौरान पर्यटक और स्थानीय इस रंगारंग महोत्सव का नजदीक से नजारा देख सकें, इसके लिए त्रिपोलिया गेट के सामने बैरिकेडिंग लगाकर व्यवस्था की गई. वहीं त्रिपोलिया गेट के झरोखे से राजपूती महिलाओं ने भी इस शाही सवारी का लुत्फ लिया. साथ ही बरामदे पर मौजूद देशी-विदेशी पर्यटकों को जयपुर के प्रसिद्ध घेवर का स्वाद भी चखाया. आपको बता दें कि बीते करीब 14 दशक से गणगौर की सवारी जयपुर की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा रही है. इस दो दिवसीय आयोजन में शनिवार को बूढ़ी गणगौर की सवारी निकाली जाएगी.

गणगौर माता की शाही सवारी में पचरंगा ध्वज लिए शाही हाथी
गणगौर माता की शाही सवारी में पचरंगा ध्वज लिए शाही हाथी

गणगौर माता की शाही सवारी

जयपुर. विश्व विरासत में शामिल जयपुर के परकोटा में एक बार फिर परंपरा का निर्वहन किया गया. शुक्रवार शाम त्रिपोलिया गेट से अपने पारंपरिक गौरव और शाही लवाजमे के साथ गणगौर माता की सवारी निकली. इस दौरान राजस्थान की लोक कला और संस्कृति की छटा बिखरी. जिसे देशी-विदेशी पर्यटकों ने अपने कैमरे में कैद किया. वहीं सुहागिनों ने गणगौर माता के दर्शन कर अखंड सौभाग्य की कामना की.

जयपुर के विरासत से जुड़े लोक पर्व गणगौर पर हर साल त्रिपोलिया गेट से गणगौर माता की सवारी निकलती है. आज फिर राजधानी की सड़कों पर पारंपरिक गणगौर माता की सवारी अपने शाही लवाजमे के साथ निकली. जिसे देखने के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगा. गणगौर माता की सवारी सजे-धजे पचरंगा ध्वज लिए शाही हाथी, ऊंट, घोड़े, बैलगाड़ी के लवाजमे के साथ त्रिपोलिया गेट से निकली.

गणगौर माता की शाही सवारी में कच्ची घोड़ी नृत्य
गणगौर माता की शाही सवारी में कच्ची घोड़ी नृत्य

पढ़ें: चैत्र शुक्ल तृतीया आज, गणगौर माता का त्योहार, पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं रखती हैं व्रत

सवारी के आगे विभिन्न लोक कलाकारों ने लोक नृत्य पेश किए. गणगौर की सवारी में कच्ची घोड़ी, आंगी गैर, सफेद गैर, बहरूपिया, कालबेलिया, तेरहताली और मयूर जैसे लोक नृत्य का प्रदर्शन किया गया. साथ ही जयपुर के कई प्रमुख बैंड ने अपने वाद्य यंत्रों के वादन के साथ गणगौर माता को रिझाया. इस दौरान मौजूद रहे देशी-विदेशी पर्यटकों ने इसे एक शानदार अनुभव बताया.

गणगौर माता की शाही सवारी में दिखे कई रंग
गणगौर माता की शाही सवारी में दिखे कई रंग

वहीं इस दौरान मौजूद रहे आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ ने कहा कि कोरोना का सबसे ज्यादा प्रभाव पर्यटन पर पड़ा है, जो अब पटरी पर लौट रहा है. पर्यटन के नजरिए से राजस्थान प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. यहां के तीज, गणगौर, मेले से लोग पीढ़ियों से जुड़े हुए हैं. आज गणगौर माता की सवारी देखने के लिए पूरा जयपुर उमड़ा. इस दौरान उन्होंने ईसर गणगौर से पूरे प्रदेश में अमन, चैन, भाईचारा कायम रखते हुए तरक्की की राह पर बढ़ने की कामना की.

पढ़ें: जोधपुर में तीज के अवसर पर घर-घर हुआ गणगौर पूजन, समाज भवन में हुए बडे़ आयेाजन

उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुखिया ने मेले, तीज, त्यौहार, धार्मिक आयोजन और गायों के लिए भी कई अहम फैसले लिए. पर्यटन विभाग ने भी कई नए नवाचार किए हैं. आरटीडीसी की बोर्ड बैठक में भी फैसला लिया गया कि आरटीडीसी के होटल्स में पत्रकार, परमवीर चक्र-शौर्य चक्रधारी, राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिलने वाले खिलाड़ियों और टूरिज्म डिपार्टमेंट के ऑफिसर के लिए 50% की छूट दी है. वहीं अब चंबल रिवर फ्रंट में क्रूज चलाने का भी फैसला लिया गया है.

गणगौर माता की शाही सवारी में लोक नृत्यांगनाएं झूम कर नाची
गणगौर माता की शाही सवारी में लोक नृत्यांगनाएं झूम कर नाची

इस दौरान देवस्थान विभाग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि कोरोना काल ने जिस गणगौर की सवारी पर ब्रेक लगा दिया था, आज फिर इस पारंपरिक त्योहार पर माता की सवारी के दर्शन के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगा. गणगौर की सवारी राजस्थान की संस्कृति, लोक नृत्य, कला परंपराओं को जिंदा रखने का काम कर रही है.

गणगौर माता की शाही सवारी में नजर आए सजे—धजे ऊंट
गणगौर माता की शाही सवारी में नजर आए सजे—धजे ऊंट

पढ़ें: Gangaur Festival 2023: अखंड सुहाग के लिए सुहागिनों ने पूजी गणगौर, शाही लवाजमे के साथ निकलेगी माता की सवारी

सवारी के दौरान पर्यटक और स्थानीय इस रंगारंग महोत्सव का नजदीक से नजारा देख सकें, इसके लिए त्रिपोलिया गेट के सामने बैरिकेडिंग लगाकर व्यवस्था की गई. वहीं त्रिपोलिया गेट के झरोखे से राजपूती महिलाओं ने भी इस शाही सवारी का लुत्फ लिया. साथ ही बरामदे पर मौजूद देशी-विदेशी पर्यटकों को जयपुर के प्रसिद्ध घेवर का स्वाद भी चखाया. आपको बता दें कि बीते करीब 14 दशक से गणगौर की सवारी जयपुर की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा रही है. इस दो दिवसीय आयोजन में शनिवार को बूढ़ी गणगौर की सवारी निकाली जाएगी.

गणगौर माता की शाही सवारी में पचरंगा ध्वज लिए शाही हाथी
गणगौर माता की शाही सवारी में पचरंगा ध्वज लिए शाही हाथी
Last Updated : Mar 25, 2023, 8:08 AM IST
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