जयपुर. यदि किसी इंस्टीट्यूट से इक्का-दुक्का अभ्यर्थी भी आरएएस में सलेक्ट हो जाते हैं तो इंस्टिट्यूट उनके बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर अपना विज्ञापन करते हैं, ताकि दूसरे छात्र भी इंस्टिट्यूट में दाखिला लेने के लिए आगे आएं. इस लाइमलाइट की दुनिया के बीच श्रीगंगानगर में एक ऐसा इंस्टिट्यूट भी है, जिसके एक नहीं, दो नहीं, बल्कि चार छात्र इस महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षा के टॉप 10 में जगह बनाने में कामयाब हुए हैं. यही नहीं टॉप 100 में यहां के 31 अभ्यर्थियों ने जगह बनाई है. खास बात यह है कि इस इंस्टिट्यूट में छात्रों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है और यहां पढ़ाने वाले शिक्षक खुद किसी न किसी विश्वविद्यालय या सरकारी कॉलेज के शिक्षक होते हैं. इसके अलावा पूर्व आरएएस-आईएएस भी यहां छात्रों को पढ़ाते हैं.
सरकारी प्रोफेसर ने शुरू किया इंस्टिट्यूट : कहते हैं हौसलों से उड़ान होती है. कोचिंग के व्यापार बनने वाले इस युग में अभ्यर्थियों के हौसलों के ताकत देने के लिए 15 साल पहले सरकारी कॉलेज में पढ़ाने वाले चंद्रपाल जांदू ने नि:शुल्क एजुकेशन इंस्टिट्यूट 'उड़ान' की शुरुआत की थी. जांदू ने बताया कि राजस्थान के युवाओं को उड़ान देने के लिए राजस्थान में 'उड़ान' फ्री एजुकेशन की शुरुआत की गई. यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है. हाल ही में जो आरएएस का परिणाम आया, उसमें इस संस्थान से तैयारी करने वाले चार अभ्यर्थियों ने टॉप 10 में जगह बनाई, जबकि टॉप 100 में 31 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है. साथ ही 350 अभ्यर्थी इस संस्थान से चयनित हुए हैं. ये राजस्थान में अपने आप में एक रिकॉर्ड है. उन्होंने बताया कि टॉप 10 में श्रीगंगानगर के विक्रांत शर्मा, सीकर की कंचन चौधरी, श्रीगंगानगर के ही शुभम शर्मा और जालौर के सत्यनारायण ने अपना नाम दर्ज कराया है. ये सभी इसी संस्थान के छात्र रहे हैं. इसके अलावा श्रीगंगानगर की ही प्रिया बजाज भी पूर्व में उनके पास पढ़ाई कर चुकीं हैं.
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पूर्व RAS-IAS भी मिशन का हिस्सा : उन्होंने बताया कि वो राजस्थान के सभी अभ्यर्थियों के सपनों को साकार करने के मिशन पर है. इस मिशन से तकरीबन 250 लोग जुड़े हुए हैं, जिसमें आरपीएससी के पूर्व सदस्य, पूर्व आरएएस-आईएएस अधिकारी के अलावा विभिन्न विश्वविद्यालय और सरकारी कॉलेज के नामी प्रोफेसर शिक्षा सेवा मिशन के तहत राजस्थान के युवाओं को नि:शुल्क तैयारी कराते हैं. साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यर्थी को किताबें व नोट्स उपलब्ध कराते हुए उनकी आर्थिक मदद की जाती है, ताकि राजस्थान के किसी भी युवा का सपना साकार होने से ना रह जाए. जांदू ने बताया कि ये संस्थान फिलहाल श्रीगंगानगर के डॉ. बीआर अंबेडकर गवर्नमेंट कॉलेज में संचालित है. इसके अलावा जयपुर में इसकी भी एक ब्रांच है.
इस मिशन में लगा दिया सारा वेतन : बहरहाल, चंद्रपाल जांदू ने 15 साल में सरकारी कॉलेज में पढ़ाते हुए जो भी वेतन कमाया, उसे इस सेवा कार्य में ही लगाया है. यही नहीं उनकी खुद की दो गाड़ियां भी इसी सेवा कार्य में बिक चुकी हैं और उन पर करीब 35 लाख का कर्जा है. बावजूद इसके उनका मिशन जारी है. जरूरी है इस तरह के इंस्टिट्यूट को आर्थिक रूप से संबल मिले ताकि प्रदेश के दूसरे युवा बेरोजगारों के सपने साकार हो सके.