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किसान दिवस विशेष : ऋण मुक्ति और फसल के पूरे दाम मिलने पर ही देश का किसान हो सकेगा समृद्धि

किसान नेता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का 23 दिसंबर को जन्मदिन है. ऐसे में आज भी भारतीय किसान अपने अस्तीत्व के साथ लड़ता नजर आता है. देश के राजनीतिक दल आज भी किसानों को महज वोट बैंक से ज्यादा नहीं समझते है. लिहाजा आज भी किसानों की स्थिति वैसी की वैसी ही है.

किसान दिवस,  Farmer's Day,  पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जयंती,  Former Prime Minister, Chaudhary Charan Singh Jayanti
किसान दिवस विशेष
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Published : Dec 23, 2019, 11:26 PM IST

जयपुर. वैसे तो दुनिया के अलग-अलग देश अलग-अलग तारीखों पर किसान दिवस मनाते हैं. लेकिन भारत में देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन के मौके पर 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है. जिन्होंने भारतीय किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए कई काम किए. लेकिन आज भी देश का किसान राजनीतिक दलों के लिए महज वोट बैंक से ज्यादा नहीं.

किसान दिवस विशेष

यही वजह है कि हर चुनाव में उनके ऋण माफी और फसल के पूरे दाम दिए जाने का सपना दिखाया जाता है, और चुनाव के बाद किसान खुद को ठगा महसूस करता है. देश के किसानों की आर्थिक समृद्धि कैसे हो इसे लेकर ईटीवी भारत ने किसान नेता रामपाल जाट और खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता से खास बातचीत करते हुए, समाधान तलाशने की कोशिश की. किसान और हम एक दूसरे के पूरक कहे जाते हैं. किसान जो खेत में उगाते हैं, वहीं हम खाते हैं. ऐसे में अन्नदाता का सम्मान भी होना चाहिए और यह जरूरी भी है. इसी सम्मान के लिए 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है. लेकिन किसान के लिए सिर्फ सम्मान ही काफी नहीं है, जरूरत है उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की.

पढ़ेंः चौमू : सीसी सड़कें बनने का रास्ता हुआ साफ, जेडीए ने जारी की एनओसी

हालांकि समय-समय पर राजनीतिक दलों की ओर से किसानों के हितों की मांग उठाने के लिए मंच सजते हैं, रैलियां निकाली जाती हैं, लेकिन उन्हें महज आश्वासन के और कुछ नहीं मिल पाता. यही वजह है कि आज देश का किसान गरीबी रेखा के नीचे जा रहा है. यही नहीं किसान आत्महत्या कर रहा है. इस संबंध में किसान नेता रामपाल जाट ने सबसे पहले केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को किसान दिवस मनाने की अपील की. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को याद करते हुए जिस तरह शिक्षक दिवस मनाया जाता है उसी तरह किसान दिवस मनाने की शुरुआत करने को कहा.

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उन्होंने बताया कि आजादी से पहले किसानों की जो स्थिति थी, वो आजादी के बाद भी नहीं बदली. क्योंकि सभी राजनीतिक दलों ने किसानों की हमेशा उपेक्षा की है. राजनीतिक दल चुनाव से पहले किसानों को संपूर्ण ऋण मुक्ति और फसलों के पूरे दाम दिए जाने की घोषणा जरूर करते हैं. लेकिन सीट पर बैठने के साथ ही उन्हें भूल जाते हैं. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर भी झूठी घोषणा करने का आरोप लगाते हुए बताया कि सरकार कहती है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना कर दिया है. जबकि पूरे देश में ऐसा कहीं भी नहीं. ऐसे में उन्होंने किसानों की आर्थिक समृद्धि के लिए केंद्र सरकार से कानून लाए जाने की मांग की.

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वहीं राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने प्रदेश के किसानों को किसान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, किसान प्रदेश और देश की नीतियों का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाकर आगे बढ़े. उन्होंने कहा कि आज देश ने जितनी तरक्की की है किसान इतनी तरक्की नहीं कर पाया. किसान की समृद्धि के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार सोच बनाएं कि किसान को समय पर बीज, खाद उपलब्ध हो. समय पर ट्रेनिंग मिले और जब फसल पक जाए, तब उसकी कटाई छटाई के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए. इसके बाद आखिर में माल के भंडारण के लिए व्यवस्था करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आज प्याज के दाम भले ही आसमान छू रहे हैं. लेकिन इसका फायदा भी किसान को नहीं मिल पाया. क्योंकि वो इस प्याज को पहले ही 2 से 3 रुपए किलो बेच चुका है. यदि भंडारण सही होता तो किसान को उसकी उपज का सही दाम मिलता. जिस वजह स उपभोक्ता को भी तकलीफ नहीं उठानी पड़ती.

पढ़ेंः RU के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष के जन्मदिन पर रक्तदान शिविर का हुआ आयोजन

बहरहाल, आज देश का किसान ना समृद्ध है, और ना खुशहाल. ऐसे में अब जरूरत है किसानों की सुनिश्चित आय और मूल्य का अधिकार विधेयक - 2012 को लागू किया जाए. ताकि किसानों को प्राप्त होने वाले वैधानिक अधिकार मिल सके. जिससे वो खुद का, खुद के परिवार का बेहतर भरण पोषण करने के साथ, देश की अर्थव्यवस्था सुधारने में भी अपनी भूमिका अदा कर सके.

जयपुर. वैसे तो दुनिया के अलग-अलग देश अलग-अलग तारीखों पर किसान दिवस मनाते हैं. लेकिन भारत में देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन के मौके पर 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है. जिन्होंने भारतीय किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए कई काम किए. लेकिन आज भी देश का किसान राजनीतिक दलों के लिए महज वोट बैंक से ज्यादा नहीं.

किसान दिवस विशेष

यही वजह है कि हर चुनाव में उनके ऋण माफी और फसल के पूरे दाम दिए जाने का सपना दिखाया जाता है, और चुनाव के बाद किसान खुद को ठगा महसूस करता है. देश के किसानों की आर्थिक समृद्धि कैसे हो इसे लेकर ईटीवी भारत ने किसान नेता रामपाल जाट और खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता से खास बातचीत करते हुए, समाधान तलाशने की कोशिश की. किसान और हम एक दूसरे के पूरक कहे जाते हैं. किसान जो खेत में उगाते हैं, वहीं हम खाते हैं. ऐसे में अन्नदाता का सम्मान भी होना चाहिए और यह जरूरी भी है. इसी सम्मान के लिए 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है. लेकिन किसान के लिए सिर्फ सम्मान ही काफी नहीं है, जरूरत है उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की.

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हालांकि समय-समय पर राजनीतिक दलों की ओर से किसानों के हितों की मांग उठाने के लिए मंच सजते हैं, रैलियां निकाली जाती हैं, लेकिन उन्हें महज आश्वासन के और कुछ नहीं मिल पाता. यही वजह है कि आज देश का किसान गरीबी रेखा के नीचे जा रहा है. यही नहीं किसान आत्महत्या कर रहा है. इस संबंध में किसान नेता रामपाल जाट ने सबसे पहले केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को किसान दिवस मनाने की अपील की. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को याद करते हुए जिस तरह शिक्षक दिवस मनाया जाता है उसी तरह किसान दिवस मनाने की शुरुआत करने को कहा.

पढ़ेंः स्पेशल : पुरी में जब जगन्नाथ के पट हो जाते हैं बंद तो यहां खुलते हैं...

उन्होंने बताया कि आजादी से पहले किसानों की जो स्थिति थी, वो आजादी के बाद भी नहीं बदली. क्योंकि सभी राजनीतिक दलों ने किसानों की हमेशा उपेक्षा की है. राजनीतिक दल चुनाव से पहले किसानों को संपूर्ण ऋण मुक्ति और फसलों के पूरे दाम दिए जाने की घोषणा जरूर करते हैं. लेकिन सीट पर बैठने के साथ ही उन्हें भूल जाते हैं. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर भी झूठी घोषणा करने का आरोप लगाते हुए बताया कि सरकार कहती है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना कर दिया है. जबकि पूरे देश में ऐसा कहीं भी नहीं. ऐसे में उन्होंने किसानों की आर्थिक समृद्धि के लिए केंद्र सरकार से कानून लाए जाने की मांग की.

पढ़ेंः उत्तर-पश्चिम रेलवे के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण सैकड़ों यात्रियों की छूटी ट्रेन, ये रही वजह

वहीं राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने प्रदेश के किसानों को किसान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, किसान प्रदेश और देश की नीतियों का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाकर आगे बढ़े. उन्होंने कहा कि आज देश ने जितनी तरक्की की है किसान इतनी तरक्की नहीं कर पाया. किसान की समृद्धि के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार सोच बनाएं कि किसान को समय पर बीज, खाद उपलब्ध हो. समय पर ट्रेनिंग मिले और जब फसल पक जाए, तब उसकी कटाई छटाई के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए. इसके बाद आखिर में माल के भंडारण के लिए व्यवस्था करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आज प्याज के दाम भले ही आसमान छू रहे हैं. लेकिन इसका फायदा भी किसान को नहीं मिल पाया. क्योंकि वो इस प्याज को पहले ही 2 से 3 रुपए किलो बेच चुका है. यदि भंडारण सही होता तो किसान को उसकी उपज का सही दाम मिलता. जिस वजह स उपभोक्ता को भी तकलीफ नहीं उठानी पड़ती.

पढ़ेंः RU के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष के जन्मदिन पर रक्तदान शिविर का हुआ आयोजन

बहरहाल, आज देश का किसान ना समृद्ध है, और ना खुशहाल. ऐसे में अब जरूरत है किसानों की सुनिश्चित आय और मूल्य का अधिकार विधेयक - 2012 को लागू किया जाए. ताकि किसानों को प्राप्त होने वाले वैधानिक अधिकार मिल सके. जिससे वो खुद का, खुद के परिवार का बेहतर भरण पोषण करने के साथ, देश की अर्थव्यवस्था सुधारने में भी अपनी भूमिका अदा कर सके.

Intro:नोट - खबर के साथ अनाज मंडी, सब्जी मंडी, रामपाल जाट का वन टू वन और बाबूलाल गुप्ता की बाइट जोड़ी गई है। कृपया किसानों, फसल और खेत के शॉट्स के साथ इस पैकेज को तैयार कराएं।

जयपुर - वैसे तो दुनिया के अलग-अलग देश अलग-अलग तारीखों पर किसान दिवस मनाते हैं। लेकिन भारत में देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन के मौके पर 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है। जिन्होंने भारतीय किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए कई काम किए। लेकिन आज भी देश का किसान राजनीतिक दलों के लिए महज वोट बैंक से ज्यादा नहीं। यही वजह है कि हर चुनाव में उनके ऋण माफी और फसल के पूरे दाम दिए जाने का सपना दिखाया जाता है। और चुनाव बाद किसान खुद को ठगा महसूस करता है। देश के किसानों की आर्थिक समृद्धि कैसे हो इसे लेकर ईटीवी भारत ने किसान नेता रामपाल जाट और खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता से खास बातचीत करते हुए, समाधान तलाशने की कोशिश की।


Body:किसान और हम एक दूसरे के पूरक कहे जाते हैं। किसान जो खेत में उगाते हैं, वही हम खाते हैं। ऐसे में अन्नदाता का सम्मान भी होना चाहिए। इसी सम्मान के लिए आज 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है। लेकिन किसान के लिए सिर्फ सम्मान ही काफी नहीं। जरूरत है उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की। हालांकि समय-समय पर राजनीतिक दलों की ओर से किसानों के हितों की मांग उठाने के लिए मंच सजते हैं। रैलियां निकाली जाती है। लेकिन उन्हें महज आश्वासन के और कुछ नहीं मिल पाता। यही वजह है कि आज देश का किसान गरीबी रेखा के नीचे जाता जा रहा है। यही नहीं किसान आत्महत्या कर रहा है। इस संबंध में किसान नेता रामपाल जाट ने सबसे पहले केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को किसान दिवस मनाने की अपील की। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को याद करते हुए जिस तरह शिक्षक दिवस मनाया जाता है उसी तरह किसान दिवस मनाने की शुरुआत करने को कहा। उन्होंने बताया कि आजादी से पहले किसानों की जो स्थिति थी, वो आजादी के बाद भी नहीं बदली। क्योंकि सभी राजनीतिक दलों ने किसानों की हमेशा उपेक्षा की है। राजनीतिक दल चुनाव से पहले किसानों को संपूर्ण ऋण मुक्ति और फसलों के पूरे दाम दिए जाने की घोषणा जरूर करते हैं। लेकिन सीट पर बैठने के साथ ही उन्हें भूल जाते हैं। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर भी झूठी घोषणा करने का आरोप लगाते हुए बताया कि सरकार कहती है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना कर दिया है। जबकि पूरे देश में ऐसा कहीं भी नहीं। ऐसे में उन्होंने किसानों की आर्थिक समृद्धि के लिए केंद्र सरकार से कानून लाए जाने की मांग की।

वहीं राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने प्रदेश के किसानों को किसान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, किसान प्रदेश और देश की नीतियों का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाकर आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि आज देश ने जितनी तरक्की की है किसान इतनी तरक्की नहीं कर पाया। किसान की समृद्धि के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार सोच बनाएं कि किसान को समय पर बीज, खाद उपलब्ध हो। समय पर ट्रेनिंग मिले और जब फसल पक जाए, तब उसकी कटाई छटाई के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए। और आखिर में माल के भंडारण के लिए व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज प्याज के दाम भले ही आसमान छू रहे हैं। लेकिन इसका फायदा भी किसान को नहीं मिल पाया। क्योंकि वो इस प्याज को पहले ही ₹2 ₹3 किलो बेच चुका है। यदि भंडारण सही होता तो किसान को उसकी उपज का सही दाम मिलता। और उपभोक्ता को भी तकलीफ नहीं उठानी पड़ती।


Conclusion:बहरहाल, आज देश का किसान ना समृद्ध है, और ना खुशहाल। ऐसे में अब जरूरत है किसानों की सुनिश्चित आए और मूल्य का अधिकार विधेयक - 2012 को लागू किया जाए। ताकि किसानों को प्राप्त होने वाले वैधानिक अधिकार मिल सके। और वो खुद का, खुद के परिवार का बेहतर भरण पोषण करने के साथ, देश की अर्थव्यवस्था सुधारने में भी अपनी भूमिका अदा कर सके।
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