जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को जयपुर ग्रेटर नगर निगम (Jaipur Greater Municipal Corporation) की पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर को मेयर पद से हटाने और 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य करने की कार्रवाई को चुनौती देने वाली सौम्या की याचिका पर सुनवाई 2 नवंबर तक टल गई है. सौम्या की याचिका पर जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ में सुनवाई होनी थी, लेकिन नंबर नहीं आने के चलते याचिका में सुनवाई नहीं हो पाई.
याचिका में सौम्या को मेयर पद से हटाने और चुनाव लड़ने से अयोग्य करने वाली राज्य सरकार की कार्रवाई को रद्द करने और याचिका के निस्तारित नहीं होने तक उसके वार्ड में उप चुनाव नहीं कराए जाने का आग्रह किया है. याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने 13 अक्टूबर को प्रदेश के निकायों की खाली सीटों पर उप चुनाव करवाए जाने के लिए पत्र लिखा है. इन वार्ड में याचिकाकर्ता का वार्ड भी शामिल है. यदि उसके वार्ड में चुनाव हुए तो उसके अधिकार भी प्रभावित होंगे.
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इसलिए याचिका के निस्तारण तक उसके वार्ड में चुनाव नहीं करवाए जाए. इस मामले में राज्य सरकार ने पहले ही केविएट दायर कर रखी है, ताकि कोई भी अंतरिम आदेश देने से पहले अदालत उसका पक्ष भी सुने. गौरतलब है कि ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर व तत्कालीन आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के बीच हुए विवाद के बाद सौम्या सहित तीनों पार्षद अजय सिंह चौहान, शंकर शर्मा और पारस जैन को राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया था.
जेडीए को ब्यौरा पेश करने का आदेश : वहीं, एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने जेडीए से सेंट्रल पार्क से हटाए गए अतिक्रमण का ब्यौरा पेश करने को कहा है. साथ ही पार्क से अतिक्रमण हटाने वाले जिम्मेदार अफसर भी आगामी सुनवाई 3 नवंबर को कोर्ट में हाजिर होंगे. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव व वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश योगेश यादव की रिव्यू पिटिशन पर दिए.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि पार्क में अतिक्रमण को जेडीए ने नहीं हटाया है. पार्क में होटल का गेट खुला हुआ है और जेडीए ने अभी तक सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं लिया है. लिहाजा सेंट्रल पार्क से अतिक्रमण हटवाकर सरकारी जमीन पर कब्जा लिया जाए.
अदालत ने याचिकाकर्ता का पक्ष जानने के बाद जेडीए के अधिवक्ता को कहा कि वे आगामी सुनवाई पर सेंट्रल पार्क से हटाए गए अतिक्रमणों का ब्याैरा पेश करें. वहीं, पार्क से अतिक्रमण हटाने वाले जेडीए के जिम्मेदार अफसर को भी रिकार्ड सहित हाजिर होने को कहा गया है. याचिकाकर्ता ने रिव्यू पिटिशन में हाईकोर्ट के 26 मार्च, 2021 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें जेडीए के तत्कालीन कमिश्नर के उस बयान के बाद अदालत ने याचिका को निस्तारित कर दिया था. जिसमें कमिश्नर ने कहा था कि सेंट्रल पार्क से सभी अतिक्रमण हटा दिए गए हैं और वहां कोई अतिक्रमण नहीं है.
गौर हो कि रिव्यू पिटिशन में याचिकाकर्ता का कहना था कि जेडीए ने अदालत को गलत जानकारी दी है और सेंट्रल पार्क से अतिक्रमण नहीं हटाया गया है. जिस पर अदालत ने पूर्व में सुनवाई करते हुए प्रमुख यूडीएच सचिव व जेडीए सचिव सहित अन्य से जवाब देने को कहा था.