जयपुर. बीते दिनों भारत जोड़ो यात्रा का हवाला देकर पार्टी की एकता का मैसेज देने के लिए हेरिटेज निगम में धरने पर बैठे पार्षदों को समितियों का गठन करने का छठी बार आश्वासन दिया गया और धरना खत्म कराया गया. वहीं, अब मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने शहर अध्यक्ष होने के नाते कमेटियों को लेकर एक प्रारूप तैयार कर मंत्री महेश जोशी, विधायक अमीन कागजी और रफीक खान से कमेटियों के लिए पार्षदों के नाम मांगें हैं और स्पष्ट कहा है कि जिस दिन ये नाम उनके पास आ जाएंगे, कमेटियों का गठन कर दिया जाएगा.
हेरिटेज नगर निगम ने समितियों का गणित विधानसभा क्षेत्रों में ऐसा उलझा कि इसे सुलझाने में (Councilors Death Strike in Jaipur) दो साल कम पड़ गए. कांग्रेस विधायकों की दखलंदाजी के कारण हेरिटेज निगम में दो साल में समितियों का गठन नहीं हो पाया. इस वजह से निर्दलीय पार्षद कई बार नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. ये सभी समितियों के अध्यक्ष बनना चाहते हैं.
दरअसल, नगर निगम हेरिटेज क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इसमें आमेर बीजेपी के खाते में है. वहीं, 4 विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं. इनमें दो विधायक बराबर संख्या में पार्षदों को कमेटियां (Formation of Committees in Heritage Nagar Nigam) देने की बात कहते हैं, जबकि दो विधायक चाहते है कि कमेटियां पार्षदों की संख्या के अनुपात में मिले. नतीजन दो साल में कार्यकारी समितियों का गठन नहीं हो पाया है.
हालांकि, शहर अध्यक्ष होने के नाते मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने 100% कमेटियों के गठन की बात कही, लेकिन गेंद मंत्री महेश जोशी, विधायक अमीन कागजी और रफीक खान के पाले में डाल दी. उन्होंने कहा कि बीते दिनों महेश जोशी के घर गए थे, उनके हाथ में प्रारूप दिया. रफीक खान और अमीन कागजी को भी प्रारूप दिया जा चुका है. शहर अध्यक्ष होने के नाते वो यही कर सकते थे. इस प्रारूप में जैसे ही विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र के पार्षदों के नाम लिखकर दे देंगे, उस दिन कमेटियां घोषित कर देंगे.
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आपको बता दें कि 3 नवंबर 2020 को चुनाव का परिणाम में कांग्रेस ने 100 में से 47 ही सीटें जीती थी, लेकिन 11 में से 9 निर्दलीयों ने समर्थन देकर कांग्रेस का न केवल बोर्ड बनाया बल्कि मेयर मुनेश गुर्जर को भी जीताया. इसके बाद से ये निर्दलीय पार्षद इस आस में बैठे है कि उन्हें भी चैयरमेन की कुर्सी मिलेगी. निर्दलीय पार्षद पिछले डेढ़ साल में 6 बार विरोध कर चुके है और बोर्ड को भंग करने तक की चेतावनी दे चुके हैं, लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ. अभी भी जिस प्रारूप को भरकर देने की बात की जा रही है. उससे कमेटियों के गठन पर अंतिम मोहर लगना सुनिश्चित होता नहीं दिख रहा.