जयपुर. जिले के रेनवाल तहसील अंतर्गत नांदरी गांव में 160 साल में पहली बार कोरोना वायरस के चलते रावण दहन और दशहरा मेला नहीं होगा. रविवार को रावण दहन की तिथि है लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है. नांदरी गांव में अनूठी परंपरा के चलते हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष में दसवें दिन नृसिंह लीला का आयोजन होता है. इस हिसाब से इस वर्ष रविवार को ही यह मेला आयोजित होना था.
दशहरा मेले पर नृसिंह लीला के साथ शाम को आतिशबाजी के साथ रावण के पुतले का दहन किया जाता है. दहन से पूर्व पुतले के सिर के रूप में रखी रंगीन पानी से भरी मटकी को गोली मारकर फोड़ने की परपंरा भी है. इससे पूर्व सीता और राम के मंदिर से ठाकुर जी की पालकी दशहरा मैदान पहुंचती है.
पढ़ें- आज कोटा से बिहार जाएंगे छात्र, सुबह 11 और रात 9 बजे रवाना होगी ट्रेन
दशहरा मैदान पर राम-रावण की सेना के बीच युद्ध के बाद भगवान श्रीराम रावण का वध करते हैं. असत्य पर सत्य की जीत की खुशी में रातभर नृसिंह लीला का आयोजन होता है. जिसमें राम की सेना के मुखौटे लगाकर ढ़ाेल नगाड़ों पर नृत्य करते है.
1857 से चली आ रही परंपरा
जानकारी के अनुसार 1857 में बोदू सिंह शेखावत ने नांदरी में सीता राम के मंदिर का निर्माण करवाया था. तब से प्रतिवर्ष वैशाख माह की दशमी को नृिसंह लीला और रावण दहन होता है. रावण दहन के बाद जीत की खुशी में गांव में राजपूतों की कोटड़ी के सामने रातभर नृसिंह लीला का आयोजन होता है. जिसमें मुखोटे लगाए पात्र ढोल नगाड़ों पर नृत्य करते हैं.
पढ़ें- Lockdown में एकता का प्रतीक बनी 'सांझी रसोई', मिल-बांटकर पहुंचा रहे जरूरतमंदों तक खाना
अनूठा है नांदरी का दशहरा
होली के बाद दशहरा और नृसिंह लीला को लेकर गांव के लोगों को खासा लगाव रहता है. गांव के कई लोग जो बाहर दूसरें बड़े शहरों में व्यापार या नौकरी के लिए रहते है, वो भी गांव के इस पांरपरिक उत्सव में आकर शामिल होते हैं. गांव के सभी लोग चाहे वो कहीं भी रहते हो, एक साथ शामिल होकर सैकड़ों वर्षों से चली आ रही परंपरा को कायम रखते है.