जयपुर. राजधानी में लोकरंग समारोह का आयोजन हुआ. इसमें परंपरागत वेशभूषा से सुसज्जित ‘म्यूजिकास‘ ग्रुप के कलाकारों की प्रस्तुति में विविधता, लय-ताल और ऊर्जा का अद्भुत संगम ने सभी का मन मोह लिया. वायलिन, वायोला, बांसुरी, मेंडोलिन एवं ट्रंप पैड के सम्मोहित कर देने वाले संगीत से परिपूर्ण इस प्रस्तुति में एक युवक-युवती ने जब मंच पर युगल नृत्य किया तो दर्शक झूम उठे. साथ ही तालियों से केंद्र परिसर गूंज उठा.
उत्तराखंड से आए लोक कलाकारों ने छपेली नृत्य पेश किया. नृत्य के दौरान पुरूष कलाकार एक हाथ में रूमाल और दूसरे हाथ में डमरू लिए हुए थे. उत्तराखण्ड के गढ़वाल क्षेत्र में किया जाने वाला यह वेद नृत्य है, जिसे जनजाति के लोग नई फसल उगाने सहित सभी शुभ अवसरों पर करते हैं. लोकरंग में महाराष्ट्र की मल्लखंभ प्रस्तुति रही. इसमें कलाकारों ने जबरदस्त संतुलन प्रदर्शित करते हुए एक्रोबेटिक प्रस्तुति दी. जिसे देख उपस्थित दर्शक दांतों तले अंगुली दबाने पर विवश हो गए. इस प्रस्तुति में कलाकारों में बालिकाएं भी शामिल थी, जिसने इसे अन्य मल्लखंभ प्रस्तुतियों से विशेष बनाया. हैरतअंगेज करतबों के दौरान कई बार दर्शक वाह-वाह करते रहे.
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इस अवसर पर कश्मीर में खास उत्सवों और त्योहारों पर किया जाने वाला रौफ लोक नृत्य पेश किया गया. इसमें पुरूषों के संगीत की धुन पर महिलाओं ने शानदार नृत्य प्रदर्शन किया. इस डांस ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. यह नृत्य फोरम कश्मीर की संस्कृति को पूर्णरूपेण दर्शाती है. इसमें कलाकार लोक लिबास पहने थे, जिसे फेरून कहते है. इसी प्रकार गुजरात के लोक नृत्य करवानुवेश में कलाकार ने सोलो नृत्य पेश किया. कलाकार ने इस दौरान अपने हाथ में लिए कपड़ो की सहायता से कबूतर और खरगोश बनाकर खूब तालियां बटोरी.
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बच्चों और प्रतिभागियों की कलात्मक सर्जनशीलता में संवर्धन करने के लिए ‘लोकरंग‘ के दौरान फड़ पेन्टिंग्स, पेपर मेकिंग, किशनगढ़ चित्र शैली और टेराकोटा पोट्स की कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जा रहा है. जेकेके के शिल्पग्राम में प्रतिदिन दोपहर 12 से शाम 5 बजे तक आयोजित इन वर्कशॉप्स को निशुल्क रखा गया है.