जयपुर. 9 सितम्बर से शुरू हुई इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना परवान पर नहीं चढ़ पा रही है. ढाई महीने में प्रदेश के 3.82 लाख जॉब कार्ड बने लेकिन रोजगार लेने के लिए महज 90 हजार लोग ही पहुंचे हैं. जिसकी एक बड़ी वजह 259 रुपए की न्यूनतम मजदूरी बताई जा रही है.
हर हाथ रोजगार की संकल्पना को साकार करने के लिए देश की पहली सबसे बड़ी शहरी रोजगार गारंटी योजना राजस्थान में शुरू की गई. 800 करोड़ रुपए के बजट से संचालित इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना में अब तक शहरी क्षेत्र के 3.82 लाख से अधिक परिवारों ने पंजीकरण करवाया (Registration in Urban employment guarantee scheme ) है. इनमें से लगभग 90 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है. योजना के अंतर्गत प्रदेशभर में 6995 स्वीकृत कार्यों में से 2175 काम चल रहे हैं.
पढ़ें: शहरी रोजगार योजना में अब तक 3 लाख से अधिक परिवारों ने कराया पंजीकरण- सीएम गहलोत
स्वीकृत कार्यों में स्वच्छता संबंधी कार्यों को प्राथमिकता देने के साथ ही पर्यावरण जल संरक्षण, ठोस कचरा प्रबंधन, अतिक्रमण अवैध बोर्ड/होर्डिंग्स हटाने, हैरिटेज संरक्षण जैसे कार्य किए जा रहे हैं. योजना में लाभार्थी परिवार को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है. आंकड़ों से स्पष्ट है कि योजना के तहत पंजीकृत परिवारों की तुलना में काम करने वाले एक चौथाई लोग ही इस योजना का लाभ ले रहे हैं.
पढ़ें: शहरी रोजगार गारंटी योजनाः धारीवाल बोले- अब देश में चलेगा राजस्थान मॉडल, राठौड़ ने कही ये बात
हालांकि विभाग इस आंकड़े से भी संतुष्ट है. एलएसजी सचिव डॉ जोगाराम ने बताया कि प्रदेश में 90 हजार श्रमिकों का नियोजन विभिन्न नगरीय निकायों में किया गया है. हर व्यक्ति के पास चॉइस है कि वो ई-मित्र के माध्यम से नगरीय निकाय में बनी हेल्पडेस्क पर या खुद भी अप्लाई कर सकते हैं. जन आधार के माध्यम से जॉब कार्ड बनवा सकते हैं और जो काम सैंक्शन किए गए हैं, उसमें अपना नियोजन करवा सकते हैं. जोगाराम ने कहा कि पर्याप्त संख्या में लेबर आ रही है. 3.82 लाख से ज्यादा जॉब कार्ड बने हैं. ऐसे में ये एक संतोषप्रद आंकड़ा है.
पढ़ें: इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना में तय किए गए मिनीमम वेजेस पर बेरोजगारों ने उठाए सवाल
उन्होंने बताया कि ये योजना डिमांड आधारित है. जो मांग करता है, उसको 100 प्रतिशत रोजगार देने की गारंटी सरकार ने दी है. इसमें मिनिमम वेजेज 259 रुपए निर्धारित है. इसमें स्पष्ट चॉइस है कि यदि मार्केट या प्राइवेट सेक्टर में ज्यादा वेजेज मिल रहा है, तो वहां भी जा सकते हैं. लेकिन जिसको कहीं रोजगार नहीं मिलता, वे सरकार की योजना से जुड़ सकते हैं.